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Last Updated : शुक्रवार, 25 मार्च 2022 (15:08 IST)

कांग्रेस ने की क्रिप्टो करेंसी पर सरकार से रुख स्पष्ट करने की मांग, अर्थव्यवस्था को बताया कमजोर

कांग्रेस ने की क्रिप्टो करेंसी पर सरकार से रुख स्पष्ट करने की मांग, अर्थव्यवस्था को बताया कमजोर - Congress demands clarification from the government on cryptocurrency
नई दिल्ली। कांग्रेस ने देश में कोरोना महामारी के बाद अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने में असमानता की स्थिति का सामना करने और गरीबों एवं अमीरों के बीच खाई बढ़ने का दावा करते हुए शुक्रवार को कहा कि केंद्र सरकार को क्रिप्टो करेंसी पर रुख स्पष्ट करना चाहिए और शेयर बाजार में निवेशकों की संख्या तेजी से बढ़ने को भी गंभीरता से लेना चाहिए।

 
लोकसभा में 'वित्त विधेयक 2022' पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के गौरव गोगोई ने इसमें किए गए कुछ प्रावधानों के लिए सरकार की प्रशंसा भी की। गोगोई ने यह भी कहा कि केंद्र की नीतियों के कारण ऋण बोझ बढ़ता जा रहा है, जो अर्थव्यवस्था के लिहाज से ठीक नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि सरकार को बाहरी कारकों के साथ उठाए गए अपने कदमों को उचित ठहराने के बजाय मजबूत नीति लानी चाहिए जिस तरह पूर्ववर्ती संप्रग सरकार 2008 में और अन्य मौकों पर लाई थी। गोगोई ने कहा कि कोविड के कारण लगे लॉकडाउन एवं प्रतिबंधों के बाद देश अब इससे उबर रहा है लेकिन अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने में असमानता की स्थिति है।
 
उन्होंने कहा कि देश में गरीबों और अमीरों के बीच अंतराल बढ़ गया है लेकिन यह सुधार वैसी नहीं है, जैसी होनी चाहिए और यह बहुत चिंता की बात है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि देश में पहले ही असमानता बढ़ रही है और यह सरकार उस पर भरोसा करने वाली जनता को, देश के गरीबों को केवल अंध राष्ट्रवाद दे रही है।
 
गोगोई ने दावा किया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कह रहे हैं कि देश में पेट्रोल-डीजल के दाम बढ़ने और महंगाई की मुख्य वजह यूक्रेन का संकट है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि रूस के सैनिक यूक्रेन की सीमाओं पर दिसंबर से ही जमा होने लगे थे, लेकिन तब देश में पेट्रोल-डीजल के दाम कैसे स्थिर रहे? उन्होंने कहा कि यूक्रेन पर संकट तो काफी दिन से है। तब दाम कैसे स्थिर रहे और आज क्यों नहीं हैं? क्योंकि चुनाव हो गए इसलिए? गोगोई ने कहा कि वित्त विधेयक में कोविड-19 और उससे जुड़े उपचार से संबंधित भुगतान में छूट जैसे कुछ प्रावधान सराहनीय हैं।
 
उन्होंने कहा कि कुछ बड़ी फार्मा कंपनियां ऐसे कदमों का विरोध कर सकती हैं, लेकिन उम्मीद है कि सरकार इस विषय का सही से प्रबंधन कर लेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने बजट में डिजिटल परिसंपत्तियों पर भारी-भरकम 30 प्रतिशत कर लगाया है, जो जाहिर रूप से क्रिप्टो करेंसी को हतोत्साहित करने के लिए दिखता है। लेकिन क्रिप्टो को लेकर सरकार का कोई स्पष्ट संदेश या रुख नहीं है।
 
गोगोई ने कहा कि सरकार को क्रिप्टो करेंसी को परिभाषित करना चाहिए और इसे देश में वैध करार देने या प्रतिबंधित करने को लेकर उसकी ओर से जल्द स्पष्टीकरण आना चाहिए, क्योंकि देश में बड़ी संख्या में लोग क्रिप्टो करेंसी में लेनदेन कर रहे हैं।
 
उन्होंने कहा कि इसी तरह शेयर बाजार में निवेश करने वालों की संख्या भी तेजी से बढ़ रही है। महामारी के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने स्टॉक बाजार की तरफ रुख किया है और इसके लिए इश्तहारों ने भी उन्हें प्रेरित किया है। गोगोई ने कहा कि लेकिन बिना जानकारी के इतनी बड़ी संख्या में लोगों का शेयर बाजार में निवेश करना जोखिमभरा हो सकता है और आगे अर्थव्यवस्था के लिए बड़ी समस्या पैदा कर सकता है जिस पर सरकार को ध्यान देना होगा।
 
उन्होंने राज्यों को उनके जीएसटी बकाया के भुगतान की स्थिति को भी खराब बताते हुए कहा कि केंद्र अपने हिसाब से भुगतान करता है और राज्यों की जरूरतों का ध्यान नहीं रखा जाता। वित्तमंत्री को अपने जवाब में बताना चाहिए कि देश में वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) आने से पहले और जीएसटी आने के बाद राजस्व संग्रह में कितना अंतर आया है? यह बढ़ा है या घटा है? उन्होंने कहा कि कॉर्पोरेट कर को कम करने के पीछे सरकार का तर्क है कि इससे अधिक निवेश होगा और रोजगार के अवसर बढ़ेंगे। कांग्रेस सांसद ने कहा कि क्या इस तर्क के संदर्भ में कोई अध्ययन किया गया है।
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