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Last Updated : मंगलवार, 2 दिसंबर 2025 (16:26 IST)

अजब गांव की गजब परंपरा, लड़का दुल्हन की तरह सजा, लड़की बनी दूल्हा, क्‍या है इसके पीछे का राज?

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आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में अनोखी परंपराएं निभाई जा रही हैं। जिनके बारे में जानकार हर कोई हैरान है। सोशल मीडिया में एक घटना जमकर वायरल हो रही है। इसकी तस्‍वीरें देखकर हर कोई दंग रह गया है।

दरअसल, कुछ गांवों में यहां शादी से पहले दूल्हा दुल्हन की वेशभूषा में और दुल्हन दूल्हे की तरह सजती है। वहीं, अंकम्मा थाली जातरा में भी पुरुष महिलाओं का और महिलाएं पुरुषों का रूप धारण करती हैं। स्थानीय लोग मानते हैं कि कुलदेवता की पूजा के लिए यह रूप बदलना सौभाग्य लाने वाला है।

यहां आज भी पुरानी रस्‍में निभाई जा रही हैं। कुछ गांवों में, पूजा के दौरान पुरुष महिलाओं का और महिलाएं पुरुषों का वेश धारण करती हैं। यानी शादी के दौरान दूल्हा तो दुल्हन की तरह सजता है और दुल्हन दूल्हे की तरह तैयारी होती है। दूल्हा दुल्हन की तरह साड़ी, गहने और अन्य सामान पहनता है, जबकि दुल्हन दूल्हे की तरह शर्ट और पैंट पहनकर पुरुष जैसा हेयरस्टाइल अपनाती है।
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येरागोंडापालेम मंडल के कोलुकुला गांव में दूल्हा-दुल्हन शादी से एक दिन पहले अपनी पोशाक बदलते हैं और अपने इष्ट देवता की पूजा करते हैं। दूल्हा यहां दुल्हन की तरह सज-संवर कर बारात निकालता है। फिर वह अपने इष्ट देवता की पूजा करते हैं। प्रकाशम जिले के कुछ गांवों में ये रिवाज पीढ़ियों से चलता आ रहा है। यहां के लोगों का मानना है कि अगर वो इस तरह अपना रूप बदल लें और अपने कुलदेवता की पूजा करें, तो सब अच्छा होता है। हालांकि, पूजा करने के बाद दूल्हा-दुल्हन को फिर सामान्य कपड़े पहनाकर शादी कराई जाती है।

क्‍यों चल रहा है यह रिवाज : बता दें कि हाल ही में कोलुकुला गांव के बत्तुला में एक शादी हुई, जिसमें ये परंपरा फिर से निभाई गई। यहां दूल्हे शिव गंगुराजू को दुल्हन की तैयार किया गया और दुल्हन नंदिनी को दूल्हा बनाया गया। फिर बारात निकली गई और और इष्ट देवता की पूजा की गई। इसके बाद सामान्य तरीके से शादी हुई। बत्तुला कबीले के लोगों का कहना है कि यह रिवाज उनके परिवारों में सदियों से चला आ रहा है और आधुनिक समय में भी जारी है।

दूसरी ओर, नागुलुप्पलापाडु में हर तीन साल में मनाए जाने वाले अंकम्मा थाली जातरा में विवाहित महिलाएं पुरुषों के रूप में और पुरुष महिलाओं के रूप में तैयार होते हैं। पुरुषों के रूप में तैयार महिलाएं और महिलाओं के रूप में तैयार पुरुष पूजा करते हैं और अपनी मनोकामना मांगते हैं। ये त्योहार हर तीन में मनाया जाता है।
रिपोर्ट : नवीन रांगियाल
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