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  4. 5 reasons why BJP dumps PDP
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Last Updated : मंगलवार, 19 जून 2018 (17:36 IST)

5 बड़ी बातें जिस के कारण जम्मू-कश्मीर में अमित शाह और मोदी ने तोड़ा गठबंधन...

क्यों टूटा गठबंधन, 5 बड़े कारण । 5 reasons why BJP dumps PDP - 5 reasons why BJP dumps PDP
कश्मीर में बढ़ती हिंसक घटनाओं के बीच आखिर भाजपा और पीडीपी का दोस्ताना टूट ही गया। भाजपा महासचिव राम माधव ने इस गठबंधन के टूटने की सूचना देते हुए कहा कि घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ, हिंसा बढ़ रही है। ऐसे माहौल में सरकार में रहना मुश्किल था। रमजान के दौरान केंद्र ने शांति के मकसद से ऑपरेशंस रुकवाए। लेकिन बदले में शांति नहीं मिली। यहीं नहीं उन्होंने पीडीपी सरकार पर भेदभाव के आरोप भी लगाए।
 
लेकिन इस बिखराव की स्क्रिप्ट लिखने वाले थे नरेंद्र मोदी और अमित शाह। राम माधव ने स्वीकार किया कि जम्मू कश्मीर भाजपा के नेताओं और उन्होंने मोदी और शाह से सलाह ली। 
 
उन्होंने बताया कि हम इस नतीजे पर पहुंचे कि इस गठबंधन की राह पर चलना भाजपा के लिए मुश्किल होगा। घाटी में आतंकवाद, कट्टरपंथ और हिंसा बढ़ रही है। लोगों के जीने का अधिकार और बोलने की आजादी भी खतरे में है। पत्रकार शुजात बुखारी की दिनदहाड़े हत्या कर दी गई।
 
वैसे 4 मुद्दे हैं जिनपर मोदी और शाह ने पीडीपी सरकार से समर्थन वापस लेने का निर्णय लिया। 
 
भेदभाव की नीति : जम्मू और कश्मीर क्षेत्र के बीच सरकार के भेदभाव के कारण केंद्रीय नेतृत्व को लगातार नकारात्मक फीडबैक मिल रहे थे। जम्मू से 25 सीट जितने वाली भाजपा को घाटी में एक भी सीट नहीं मिल पाई थी और उन्हें जम्मू से स्थानीय लोगों के द्वारा उपेक्षित होने की शिकायतें आ रही थी। यहीं नहीं कठुआ कांड के बाद से ही वहां आपसी वैमनस्य काफी बढ़ रहा था और रोहिंगियाओं को जम्मू के बाहरी इलाकों में बसाने की खबरों से भी जम्मू में स्थानीय लोग आक्रोश में थे। 
 
सीज फायर पर भारी पड़ा आतंक : रमजान के दौरान सुरक्षाबल आतंकियों के खिलाफ ऑपरेशन रोकने पर भी भाजपा-पीडीपी में मतभेद थे। महबूबा के दबाव में केंद्र ने सीजफायर तो किया लेकिन इस दौरान घाटी में 66 आतंकी हमले हुए, पिछले महीने से 48 ज्यादा। इसके अलावा पत्रकार शुजात बुखारी और सेना के राइफलमैन औरंगजेब की हत्या से भी सेना और सुरक्षाबलों में इस एकतरफा सीजफायर को लेकर गुस्सा था। 
सेना की सख्ती से महबूबा थी परेशान : ऑपरेशन ऑलआउट को लेकर भी भाजपा-पीडीपी में मतभेद था। जहां सेना अपनी हिटलिस्ट में दर्ज आतंकियों का सफाया कर रही थी, वहीं पीडीपी ने कई नेता और विधायक इसका विरोध कर रहे थे।
 
भाजपा की अलगाववादियों से वार्ता को ना : पीडीपी चाहती थी कि केंद्र सरकार हुर्रियत समेत सभी अलगाववादियों से बातचीत करे। लेकिन, भाजपा इसके पक्ष में नहीं थी। राजनाथ सिंह जैसे नेता भी अब आतंकियों या उनके सरपरस्तों से बात करने के मूड में नहीं थे। 
 
भाजपा की राजनैतिक मजबूरी : जम्मू में रोहिंगिया मुसलमानों को बसाने के मुद्दे पर स्थानीय लोग बेहद नाराज थे, कठुआ मामले को लेकर भी लोगों में गठबंधन सरकार पर नाराजगी बढ़ती जा रही थी। हिंदुत्व की पक्षधर भाजपा को अब यह गठबंधन भारी पड़ने लगा था। रमजान पर सेना पर हुए हमलों से भी भारत के अन्य भागों से सरकार के सीजफायर के निर्णय पर सवालिया निशान लग रहे थे। कुलमिला कर आने वाले लोकसभा चुनावों के मद्देनजर यह गठबंधन टूटना तय था।
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