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Written By सुरेश बाफना
Last Updated :नई दिल्ली (भाषा) , सोमवार, 20 अक्टूबर 2014 (17:34 IST)

टाइटलर मामला, सुनवाई स्थगित

Titler case, proceeding postponed | टाइटलर मामला, सुनवाई स्थगित
दिल्ली की एक अदालत ने 1984 के सिख विरोधी दंगा प्रकरण में कांग्रेस नेता जगदीश टाइटलर के खिलाफ मामले की सुनवाई गुरुवार को 28 अप्रैल तक स्थगित कर दी।

अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट राकेश पंडित ने कहा कि मामले की सुनवाई 28 और 29 अप्रैल को की जाएगी। इससे पहले सीबीआई ने कहा कि उनकी अदालत के अधिकार क्षेत्र में यह मामला नहीं है, क्योंकि यह हत्या का मामला है, जिस पर सुनवाई करने का अधिकार सत्र अदालत को है।

बहस के दौरान सीबीआई अधिवक्ता संजय कुमार ने दावा किया कि मामले की सुनवाई सत्र अदालत को करना चाहिए, क्योंकि यह हत्या से जु़ड़ा मामला है।

कुमार ने दावा किया कि इस मामले में हम अन्य अभियुक्त सुरेश कुमार पानीवाला के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र दाखिल कर चुके हैं। अदालत को इसका संज्ञान लेना चाहिए, मामले को सत्र अदालत को भेजना चाहिए।

जब अदालत ने टाइटलर के बारे में जानना चाहा तो सीबीआई के अधिवक्ता ने कहा कि कांग्रेस नेता घटना के वक्त उपस्थित नहीं थे। उन्होंने कहा टाइटलर गुरुद्वारा पुलबंगश में नहीं थे, क्योंकि वे इंदिरा गाँधी के शव के पास तीन मूर्ति भवन में थे।

सीबीआई अधिवक्ता ने कहा हमने दो गवाहों का बयान दर्ज करने के बाद टाइटलर के खिलाफ मामले को बंद करने के संबंध में पहले ही रिपोर्ट दाखिल की है। उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत नहीं हैं।

बहस के दौरान सीबीआई ने टाइटलर द्वारा सौंपी गई उस सीडी का भी उल्लेख किया, जिसके जरिये उन्होंने यह साबित करने की कोशिश की थी कि वे तीन नवंबर 1984 को घटना के वक्त मौका-ए-वारदात पर नहीं थे।

सीबीआई की दलीलों को खारिज करते हुए दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की ओर से पेश हो रहे वरिष्ठ अधिवक्ता एचएस फुल्का ने कहा कि इस तरह की दलीलों के साथ आते-आते एजेंसी ने बहुत देर कर दी।

फुल्का ने कहा कि इस अदालत ने पहले सीबीआई की ओर से मामले को बंद करने के संबंध में दाखिल रिपोर्ट को खारिज करते हुए दोबारा इसकी जाँच करने का आदेश दिया था, इसलिए अदालत को इस मुद्दे पर फैसला करने का अधिकार है।

उन्होंने कहा कि सीबीआई ने टाइटलर के खिलाफ मामला नानावटी आयोग के निर्देश पर दर्ज किया था। आयोग ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए सिख विरोधी दंगे से जुड़े मामलों की जाँच की थी।

कैलिफोर्निया में बस गए एक गवाह जसबीरसिंह ने आयोग के समक्ष अपनी गवाही में आरोप लगाया था कि उसने तीन नवंबर 1984 की रात को कांग्रेस नेता को सिखों की हत्या के बारे में अपने निर्वाचन क्षेत्र (दिल्ली सदर) में टिप्पणी करते हुए सुना था।

अदालत की कार्यवाही के बाद टाइटलर के समर्थकों ने अदालत परिसर के बाहर फुल्का की प्रेस ब्रीफिंग को बाधित करने की कोशिश की।

सीबीआई ने गवाह जसबीरसिंह के नहीं मिलने के बाद 28 सितंबर 2007 को भी टाइटलर को क्लीन चिट दी थी। हालाँकि अदालत ने मामले को बंद करने के संबंध में सीबीआई की रिपोर्ट को स्वीकार करने से इनकार करते हुए जाँच एजेंसी को इस मामले की दोबारा जाँच करने का निर्देश दिया था।

उसने जाँच एजेंसी को बाध्य किया था कि वह जसबीरसिंह का बयान दर्ज करने के लिए अपने अधिकारियों को अमेरिका भेजे।

उत्तर पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार जगदीश टाइटलर को नानावटी आयोग द्वारा दोषी ठहराए जाने के बाद उन्हें संप्रग सरकार में मंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।