कश्मीर में घुस सकते हैं अलकायदा आतंकवादी...
-सुरेश एस डुग्गर
पाकिस्तान से सटी 814 किमी लम्बी नियंत्रण रेखा और 264 किमी लंबी जम्मू-कश्मीर की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर लाखों की तादाद में फौजियों तथा भारी हथियारों की तैनाती के बावजूद राज्य का प्रत्येक शख्स आने वाले दिनों को लेकर चिंतित है। उनकी इस चिंता में सेनाधिकारियों के रहस्योदघाटन इजाफा कर रहे हैं जिनमें वे कह रहे हैं कि आने वाले दिनों में अफगानिस्तान से भागने वाले अल-कायदा तथा तालिबान के सदस्य राज्य में घुस कर कहर बरपाएंगे।
माना कि नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ को रोक पाना कठिन कार्य है, लेकिन अब जबकि भारतीय सेना पूरी तरह से युद्ध करने की स्थिति में है ऐसे में सेनाधिकारियों द्वारा किए जाने वाले रहस्योदघाटन उनकी उन सुरक्षा व्यवस्थाओं के प्रति भी प्रश्न चिन्ह लगा रहे हैं जिनके प्रति वे लगातार दावा कर रहे हैं। दो दिन पूर्व ही सेना के वरिष्ठ अधिकारियों ने सीमाओं पर बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था अपनाने की बात कही है, जिसका मकसद आतंकवादियों की घुसपैठ को रोकना है।
थोड़े दिन पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने भी ऐसे रहस्योदघाटन किए थे। उनका कहना था कि नियंत्रण रेखा के पार हजारों की तादाद में प्रशिक्षित आतंकवादी घुसपैठ के लिए मौके की तलाश में हैं। इन पुलिस अधिकारियों ने ऐसे आतंकवादियों की संख्या चार हजार के ही लगभग बताई थी। कितने आतंकवादी घुसपैठ की फिराक में... पढ़ें अगले पेज पर....
सेनाधिकारी इससे भी कई कदम आगे निकल गए। वे कहते हैं कि 10 हजार आतंकवादी इंतजार कर रहे हैं। सेनाधिकारियों के मुताबिक खतरा आतंकवादियों की ओर से नहीं है बल्कि अफगानिस्तान से भागने वाले अल-कायदा तथा तालिबान के सदस्यों से है जिनका इस्तेमाल पाकिस्तान कश्मीर में करना चाहता है। अगर सेनाधिकारियों पर विश्वास करें तो प्रतीक्षारत 10 हजार आतंकवादियों में अल-कायदा तथा तालिबान के सदस्यों की एक अच्छी खासी संख्या है।
यह तो कुछ भी नहीं, सेनाधिकारी कहते हैं कि कुछ अल-कायदा तथा तालिबान के सदस्य भीतर घुसने में कामयाब भी रहे हैं। वे कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में होने वाली कुछ मुठभेड़ों का उदाहरण देते हुए कहते हैं कि उनमें अल-कायदा तथा तालिबान के सदस्यों ने हिस्सा लिया था। फिलहाल मारे गए आतंकवादियों की पहचान नहीं हो पाई थी। साथ ही इसके प्रति अभी मतभेद है कि मारे गए आतंकवादी अलकायदा के सदस्य थे। यह मतभेद पुलिस और सेना के बयानों से पैदा हुआ है। पुलिस महानिदेशक के मुताबिक प्रत्येक आतंकवादी तालिबानी और अल-कायदा का सदस्य होता है क्योंकि सब आतंकवादी ही होते हैं।
लेकिन, सेनाधिकारी पुलिस के तर्क से सहमत नहीं हैं जिनका कहना है कि अल-कायदा या फिर तालिबानों की घुसपैठ कश्मीर में आतंकवाद को नए मोड़ पर ला खड़ा कर देगी। हालांकि उनके रहयोद्घाटन का एक रोचक पहलू यह है कि सीमाओं पर युद्ध की परिस्थिति बनी हुई है और पाक सेना के हमले से निपटने की खातिर लाखों की संख्या में सैनिक तैनात हैं और बावजूद इसके सेना यह शंका प्रकट कर रही है कि सर्दियों की शुरुआत से पहले ही आतंकवादियों के जत्थे इस ओर चले आएंगे विशेषकर अल-कायदा तथा तालिबान के सदस्य। क्या सेना की चिंता... पढ़ें अगले पेज पर...
साथ ही वह कहती है कि सेना तालिबान और अल-कायदा सदस्यों से निपटने को पूरी तरह से तैयारी है। परंतु उनकी चिंता का कारण अल-कायदा के आतंक फैलाने के तौर तरीके हैं, जो गुरिल्ला युद्ध से कहीं अधिक खतरनाक हैं। सेनाधिकारियों के रहस्योद्घाटन के मुताबिक अल-कायदा का जो करीब 25 लोगों का दल घुसपैठ में कामयाब रहा है उसने कुछ हमले भी किए हैं और उनके हमलों ने सेना को चौंकाया है।
परिणाम इन रहस्योद्घाटनों का यह है कि पहले से ही हो रहे फिदायीन हमलों से दहशतजदा जम्मू-कश्मीर के निवासी सेना की इन बातों से और भयभीत हो गए हैं। उन्हें लग रहा है कि इस बार की सर्दियां सबसे भयानक साबित होंगी।