पुष्पा परजिया
सबसे पहले मेरे सभी पाठकों को, मेरे देशवासियों को और दुनिया के किसी भी कोने में बसे हर भारतवासी को मेरी ओर से होली की अनेकानेक बधाइयां और शुभकामनाएं। आप सबके लिए यह होली का त्योहार अत्यंत शुभ हो और आपके जीवन में सिर्फ खुशियां ही खुशियां लेकर आए।
होली शब्द सुनते ही हमारे दिलों में एक उमंग एक उत्साह की लहर दौड़ जाती है। सोशल मीडिया से लेकर घर की गृहणियां, बच्चे, बूढ़े सब मानो खुशी के रंग में रंग जाते हैं। कोई खुशियों संग होली मनाने की व्यवस्था में लग जाते हैं, तो कोई अनेक रंगारंग कार्यक्रम को संजोने में...।
यदि ध्यान से देखा जाए तो, सोचा जाय तो, यह बेहद प्यारा त्योहार है जो दुश्मनी को दूर कर लोगों में भाईचारे का संबंध बनाता है। व्यस्त जीवन के कुछ पल से हमें छुटकारा दिलाकर खुशियां प्रदान करता है और जीवन को एक अनोखी स्फूर्ति से भर देता है। वैसे सभी त्यौहार मानव जीवन को उल्लासित करते हैं, किंतु होली के त्योहार की खासियत और महत्ता इसलिए और बढ़ जाती है, क्योंकि इस दिन खुद भगवान ने इस दुनिया को यह बताया, कि दुष्टों का नाश करने के लिए और अपने भक्त की रक्षा के लिए वे धरती पर भी अवतरित हो सकते हैं और कोई भी स्वरुप धारण कर सकते हैं।
यह तो सर्वविदित है ही, कि प्रहलाद को लेकर जब होलिका अग्नि में प्रवेश कर गई, तब होलिका का दहन तो हो गया पर भगवान ने प्रहलाद को बचा लिया था। क्योंकि प्रहलाद एक बालक था और भगवान विष्णु का अनन्य भक्त था। होलिका को वरदान प्राप्त था की वह आग में नहीं जलेगी कभी, इसलिए प्रहलाद को खत्म करने की बुरी मंशा को लेकर वह अग्नि में प्रहलाद को लेकर बैठी। किंतु भगवान ने रक्षा कर दी प्रहलाद की। क्योंकि वो निर्दोष भक्त था और होलिका की नीयत बुरी होने की वजह से उसका वरदान भी निष्फल रहा था। यही सीख दी है भगवान ने, कि बुरे कर्म का नतीजा हमेशा बुरा होता है और इस तरह होलिका को जलाकर बुरे के नाश का उदहारण इस संसार के सामने रखा, होली के दिन। यह सब तो हो गई प्राचीन समय की बातें और होली मनाने की वजह।
किेंतु आज आधुनिकता ने और विज्ञान ने तो मानो त्योहारों के स्वरुप को ही बदल दिया है। अब टेसू के फूलों से बने रंगों से होली नहीं खेली जाती। अब एक तो रंगों में इतने केमिकल्स डाले जाते हैं कि सभी रंगों से दूर भागने लगे हैं। कई लोग तो अजीब-अजीब चीजों से होली खेलते हैं, जिसमें कालिख तक लगा डालते हैं लोग एक दूजे को, जो की सर्वथा अनुचित है...।
होली खेलना है तो आज भी आप बहुत शांति पूर्ण ढंग से होली खेल सकते हो, होली मना सकते हो, ईको फ्रेंडली होली खेलकर। इससे न पानी का दुरुपयोग होगा न ही आपको केमिकल्स वाले रंगों की वजह से चर्म रोग का भय रहेगा। होलिका दहन में अनुपयोगी चीजों को डालने से लकड़ियों की जरुरत नही रहेगी और बेवजह हमें पेड़ नहीं काटने पड़ेंगे, सो ग्लोबल वार्मिंग की वजह हम नहीं बनेंगे।
सबसे बड़ा जो कारण है इस होली को मनाने का, आपसी मनमुटाव को छोड़कर अपने सम्बंधों को प्रेम से सींचने का, उसे सदा अपनाएं...। आपसी प्रेम अड़ोस-पड़ोस का, भाई से भाई का, बहन भाई का, बाप बेटे का या एक दोस्त से दोस्ती का। जीवन के हर रिश्ते को इस त्योहार के द्वारा और ज्यादा सुदृढ़ बनाएं और मन की शांति प्राप्त करें।
क्योंकि प्रेम, स्नेह जहां है, वहां अनेक समस्याओं का समाधान अपने आप हो जाता है। प्रेम और स्नेह के लिए ये जीवन छोटा है। तो जीवन के अनमोल पलों को क्यों दुश्मनी के साथ व्यर्थ में गवाएं हम...है न?