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कविता पाटीदार की उम्‍मीदवारी से शिवराज और वीडी शर्मा का काम हुआ आसान...

राजवाड़ा 2 रेसीडेंसी

कविता पाटीदार की उम्‍मीदवारी से शिवराज और वीडी शर्मा का काम हुआ आसान... - Kavita Patidar's candidature in Rajya Sabha made this task of Shivraj Singh Chouhan and VD Sharma easy
कविता पाटीदार को किसकी मदद से राज्यसभा की उम्मीदवारी मिली, यह कहना तो बहुत मुश्किल है, लेकिन पार्टी नेतृत्व के इस फैसले से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष वीडी शर्मा का काम जरूर आसान हो गया। ये दोनों नेता नहीं चाहते थे कि राज्यसभा के लिए भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय को मौका मिले और यही कारण था कि पार्टी से जुड़े कई मामलों में अलग-अलग राय रखने वाले ये दोनों नेता कविता के नाम पर एकमत हो गए। हालांकि मालवा-निमाड़ में पाटीदार वोटों का समीकरण और ओबीसी मतदाताओं को साधना भी इस कवायद का एक हिस्सा रहा।

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अनुशंसा पर मंत्रिमंडल में स्थान पाने वाले मालवा के दो मंत्रियों का जो कच्चा-चिट्ठा संघ के दिग्गजों के पास पहुंचा है, उससे उनकी आंखें फटी रह गईं। ये दोनों मंत्री नई पीढ़ी की तालीम से जुड़े महकमों से वास्ता रखते हैं। अपने दफ्तर में बैठने वाले स्टाफ के माध्यम से इन मंत्रियों ने ऐसा 'सिस्टम' चला रखा है, जिससे कोई अछूता नहीं रह पाता है। चाहे किसी मंत्री की अनुशंसा हो या विधायक की या फिर संगठन के किसी पदाधिकारी की इन मंत्रियों के यहां काम तो 'सिस्टम' से होता है। इनमें से एक मंत्री तो संघ के एक दिग्गज के वरदहस्त के चलते ऊंचे सपने पाले बैठे हैं।

सुनने में ये जरूर अटपटा लगता है, लेकिन हकीकत कुछ ऐसी ही है। एक वीडियो के वायरल होने के बाद संभागीय संगठन मंत्री के दायित्व से मुक्त कर दिए गए संघ के प्रचारक प्रदीप जोशी इन दिनों पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ के मददगार की भूमिका में हैं। वे संघ की तर्ज पर बूथ स्तर पर कांग्रेस का नेटवर्क तैयार करने में मदद कर रहे हैं। संगठन मंत्री रहते हुए जो लोग जोशी के नजदीकी थे, वे भी इस काम में उनके मददगार की भूमिका में हैं। देखते हैं इसका कितना फायदा कमलनाथ या कांग्रेस को मिल पाता है।

आखिर वही हुआ, जिसकी संभावना थी। तमाम अटकलें धरी रह गईं और ख्यात अधिवक्ता विवेक तन्खा को कांग्रेस ने एक बार फिर मध्य प्रदेश से राज्यसभा के लिए मौका दे दिया। 'द कश्मीर फाइल्स' के बाद भाजपा ने जिस तरह का माहौल देश में बनाया था, उसके बाद कांग्रेस के लिए तन्खा की दावेदारी को नजरअंदाज करना संभव ही नहीं था। कमलनाथ ने इसी को भांपकर तन्खा की जबरदस्त पैरवी की थी, पर न जाने क्यों दिग्विजय ने नया शिगूफा छेड़ दिया। भला हो कपिल सिब्बल का जिन्होंने ऐन वक्त पर कांग्रेस को झटका दे दिया और इससे तन्खा पक्ष और मजबूत हो गया।

राज्यसभा के लिए मध्य प्रदेश से जिस तरह का चौंकाने वाला नाम आगे बढ़ा है उसके बाद इंदौर में महापौर पद के लिए भाजपा के टिकट के कई दावेदारों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। फेहरिस्त बहुत लंबी है और इसमें मधु वर्मा से लेकर गौरव रणदिवे तक कई नाम शामिल हैं, लेकिन न जाने क्यों निगाहें पुष्यमित्र भार्गव, डॉ. निशांत खरे, टीनू जैन और गोलू शुक्ला पर आकर टिक रही हैं। दिल्ली से भोपाल तक जो संकेत मिल रहे हैं वह बड़े बदलाव के हैं। अब देखना यह है कि इंदौर में इसका फायदा किसको मिलता है।

इंदौर में महापौर का पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित है, लेकिन न जाने क्यों भाजपा के दिग्गज यहां से पिछड़े वर्ग के किसी नेता को मौका देना चाहते हैं। इस चर्चा ने सामान्य वर्ग के दावेदारों को हिलाकर रख दिया है। लंबे अंतराल के बाद इंदौर का महापौर पद सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित हुआ है। ऐसे में यहां से पिछड़े वर्ग के किसी नेता को मौका देने के पीछे मकसद क्या हो सकता है, यह समझ से परे है। वैसे इस चर्चा ने मधु वर्मा और जीतू जिराती के साथ ही महेंद्र हार्डिया को भी खुश होने का मौका तो दे ही दिया है।

जो पुलिस अफसर डीजीपी सुधीर सक्सेना को हलके में ले रहे थे, उन्हें अब सक्सेना के तीखे तेवर का अंदाज होने लगा है। पीएचक्यू का काम समझने के बाद अब सक्सेना की नजरें उन तमाम पुलिस अफसरों पर है, जो काम करने की बजाय ज्ञान बांटते रहते हैं। ऐसे एक दर्जन से ज्यादा अफसरों को वे चिह्नित कर चुके हैं। आने वाले समय में ये अफसर बदले-बदले से दिखें तो चौंकिए मत। थानों तक अपनी आमद देकर सक्सेना ने यह भी बता दिया है कि कहां क्या चल रहा है, यह उनसे छुपा रहने वाला नहीं।

चलते-चलते
मंत्रालय में तैनात अपर मुख्य सचिव और प्रमुख सचिव स्तर के कई अफसर 'सरकार' के निशाने पर आ गए हैं। दरअसल पार्टी के लोगों के साथ ही आम जनता से जो फीडबैक मुख्यमंत्री तक पहुंचा उससे यह स्पष्ट है कि कई विभागों में भ्रष्टाचार की इंतहा है और यह सब आला अफसरों की जानकारी में हो रहा है।

पुछल्ला
इंदौर में कांग्रेस की कहानी गजब की है। इंदौर गौरव उत्सव में स्थानीय कलाकारों की उपेक्षा के विरोध में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री का विरोध करने का निर्णय लिया था। यह विरोध शाम 4 बजे एयरपोर्ट पर होना था, लेकिन शहर कांग्रेस अध्यक्ष विनय बाकलीवाल तक पहुंचे एक फोन के बाद प्रदर्शन का समय 2 बजे कर दिया गया और स्थान एयरपोर्ट से 8 किलोमीटर दूर बाणगंगा थाना हो गया।
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