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Written By अनिरुद्ध जोशी
Last Updated : शनिवार, 14 अक्टूबर 2023 (19:40 IST)

Israel hamas war: फिलिस्तीन गाजा पट्टी पर किसका है हक, यहूदी या मुसलमान?

Israel hamas war: फिलिस्तीन गाजा पट्टी पर किसका है हक, यहूदी या मुसलमान? - History of Israel Palestine dispute and War
Israel-Palestine Conflict: हमास के आतंकवादियों ने इसराइल पर बर्बर हमला करके करीब 1200 से ज्यादा लोगों का कत्ल कर दिया है जिसके चलते अब इसराइल और हमास में युद्ध छिड़ गया है। जवाबी कार्रवाई में इजरायल ने गाजा पट्टी के इलाके को खंडहर में बदल दिया है। यह लड़ाई अभी लंबी चलने वाली है और संभावना है कि कुछ और देश भी इस युद्ध में शामिल हो सकते हैं। आखिर हमास ने क्यों किया हमला? फिलिस्तीन और गाजा पट्टी पर किसका हक है मुस्लिम या यहूदी?
 
हमास ने क्यों किया हमला?
- हमास एक शिया समर्थित मुस्लिम आतंकवादी संगठन है। हमास कई सालों से इसराइल पर हमला कर रहा है। वर्तमान में जो हमला किया है उसे उसने 'ऑपरेशन अल अक्सा फ्लड' नाम दिया है। इससे पहले हमास ने 2021 में भी बड़ा हमला किया था।
 
- वर्तमान हमले का कारण हमास के प्रवक्ता खालेद क्वादोमी ने अलजजीरा को बताया कि इसराइल द्वारा लगातार सैन्य कार्रवाई करके फिलिस्तीनियों अत्याचार किया जा रहा है, जिसका यह प्रतिउत्तर है। हम चाहते हैं कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय गाजा में फिलिस्तीनियों, हमारे अल आक्सा जैसे पवित्र इलाकों पर हो रहे अत्याचारों को रोके. इसलिए इस लड़ाई की शुरुआत की गई है।
 
- फिलिस्तीन के लोगों सहित हमास और हिजबुल्ला जैसे संगठनों का मानना है कि यहूदियों ने हमारी भूमि पर अवैध कब्जा कर रखा है। वह चाहे यरूशलेम हो या तेल अबीब या अन्य कोई जगह। फिलिस्तीन मुसलमानों और अरब जगत का मानना है कि संपूर्ण इसराइल मुसलमानों का है और यहूदियों को यहां रहने का अधिकार नहीं। फिलिस्तीन मुस्लिम मानते हैं कि हम अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं जबकि यहूदियों का कहना है कि हम अपने अस्तित्व और देश की रक्षा की लड़ाई लड़ रहे हैं।
किसका है- फिलिस्तीन, इजराइल और यरुशलम?
 
- इसराइल, फिलिस्तीन, वेस्ट बैंक और गाजा पट्टी सहित 1917 में इस संपूर्ण क्षेत्र पर फिलिस्तीन मुस्लिमों का शासन था। उन्होंने यहां से यहूदियों को खदेड़ कर बाहर भगा दिया था। अधिकतर यहूदी या तो अमेरिका चले गए या जर्मन, इंग्लैंड या फ्रांस में बस गए।
 
- वर्ष 1947 के बाद संयुक्त राष्ट्र ने जब फिलिस्तीन का विभाजन किया तब यह तय हुआ था कि इस संपूर्ण इलाके में से 44 प्रतिशत क्षेत्र में फिलिस्तीन बनेगा और 56 प्रतिशत क्षेत्र में इसराइल बनेगा और जहां तक पवित्र भूमि यरूशलेम का सवाल है तो उस पर संयुक्त राष्ट्र का नियंत्रण होगा। इस बंटवारे को उस वक्त अधिकतर मुसलमानों और यहूदियों ने स्वीकार कर लिया था परंतु कई कट्टरपंथियों को यह स्वीकार नहीं था।
 
- 1947 के बाद से ही कट्टरपंथी मुस्लिमों ने पहले येरूशलम को अपने अधीन लेने के लिए संघर्ष किया। इस दौरान कई आतंकवादी हमले हुए। आए दिन यरूशलेम की खबरें अखबारों की सुर्खियां बनती थीं। इसराइल की सेना भी इसका कड़ा जवाब देती थी। फिर धीरे धीरे इसराइल ने यरुशलम को अपने कब्जे में ले लिया और तब यहूदी एवं मुस्लिमों के संघर्ष का नया दौर चला।
 
- फिलिस्तीन का पुन: गठन 1988 में हुआ था जिसमें गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के इलाके उसके हिस्से में आए थे, लेकिन फिलिस्तीन ईसाई, यहूदी और मुस्लिमों के पवित्र शहर यरुशलम पर भी अपना दावा करता रहा है।
 
- संघर्ष, युद्ध और आतंकी हमले का परिणाम यह हुआ कि फिलिस्तीन मुसलमानों का नियंत्रण अपनी भूमि पर से भी खोता गया और इस संघर्ष के चलते कई लोग पलायन करके गाजा पट्टी में एकत्रित होने लगे जहां पर हमास जैसे आतंकवादी संगठन और अन्य मुस्लिमों ने एक बेस बनाई। यहां से उन्होंने अपनी भूमि को फिर से हासिल करने के लिए लड़ाई की शुरुआत की जो अभी तक जारी है। गाजा पट्टी की आबादी करीब 2.2 करोड़ है जो दुनिया के सबसे घनी आबादी वाले इलाकों में से एक माना जाता है।
 
- फिलिस्तीन मुस्लिम यह कहते हैं कि यह संपूर्ण भूमि हमारी है जिस पर यहूदियों ने कब्जा कर रखा है। लेकिन क्या यह सच है? दरअसल, इस्लाम धर्म की उत्पत्ति 570 ईस्वी से 613 के बीच हुई है। यानी यह धर्म करीब 1400 साल पुराना है जबकि यहूदी धर्म की उत्पत्ति अनुमानित रूप से 1500 ईसा पूर्व हुई थी। यानी यह धर्म करीब 3500 वर्ष पुराना है।
 
- जब इस्लाम धर्म की उत्पत्ति भी नहीं हुई थी तब यह संपूर्ण क्षेत्र (फिलिस्तीन, गाजा, यरूशलेम, वेस्ट बैंक और इजरायल) यहूदी धर्म के लोगों का हुआ करता था। करीब 733 ईसा पूर्व यानी आज से 2756 वर्ष पूर्व इसे किंगडम ऑफ इसराइल और किंगडम  ऑफ जुदाह कहते थे। यहूदियों के ईशदूत अब्राहम के पुत्र आईजैक हुई और उनके पुत्र जैकब हुए। जैकब को याकूब भी कहते हैं। यहूदी, ईसाई और इस्लाम में इन तीनों का ही बहुत आदर है क्योंकि यह तीनों की धर्मों के ईशदूत हैं।
 
- जैकब को ही इसराइल भी कहा जाता था। जैकब के 12 पुत्र थे जिसके 12 कबीले थे। उन्होंने ही अपने 12 पुत्रों के कबीलों को लेकर ही इसराइल राष्ट्र की स्थापना की थी। इनके 12 पुत्रों में से ही एक का नाम थे जुदाह जिन्हें यहूदा भी कहते हैं। यहूदा के नाम पर ही उनके वंशज यहूदी कहलाए। फिलिस्तीन के अरब मुसलमान जिस भूमि को अपना बताते हैं उस पर आज से करीब ढाई हजार वर्ष पहले यहूदा का शासन था और यह संपूर्ण क्षेत्र किंगडम ऑफ जुदाह के नाम से जाना जाता था।
 
- ईसाई धर्म की उत्पत्ति के बाद ईसाई और यहूदियों का संघर्ष प्रारंभ हुआ और इसके बाद जब इस्लाम की उत्पत्ति हुई तब यहूदियों का सबसे मुश्लिक दौर प्रारंभ हुआ और उन्हें अपनी भूमि को छोड़कर अन्य देशों में शरण लेना पड़ी। लेकिन एक दौर ऐसा भी आया जबकि जर्मन सहित कई देशों में यहूदियों का जब कत्लेआम किया जाने लगा तो वे सभी अपना अस्तित्व बचाने के लिए संयुक्त राष्ट्र के संरक्षण में फिलिस्तीन क्षेत्र में एकत्रित होने लगे। यही से उनमें अपनी भूमि को पुनः: वापस लेने के लिए आशा की किरण नजर आई।

तीन धर्मों की पवित्र भूमि जेरूशलम:
येरुशलम इसराइल देश की विवादित राजधानी है। इस पर यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम धर्म, तीनों ही दावा करते हैं, क्योंकि यहीं यहूदियों का पवित्र सुलैमानी मन्दिर हुआ करता था, जो अब एक दीवार मात्र है। यही शहर ईसा मसीह की कर्मभूमि रहा है। यहीं से हजरत मुहम्मद स्वर्ग गए थे। यही पर पैगंबर मूसा ने यहूदियों को धर्म की शिक्षा दी थी।
 
सिनेगॉग पवित्र मंदिर : कहते हैं कि 937 ईपू बना यह सिनेगॉग इतना विशाल था कि इसे देखने में पूरा एक दिन लगता था, लेकिन लड़ाइयों ने इसे ध्वस्त कर दिया। अब इस स्थल को 'पवित्र परिसर' कहा जाता है। माना जाता है कि इसे राजा सुलेमान ने बनवाया था। किलेनुमा चहारदीवारी से घिरे पवित्र परिसर में यहूदी प्रार्थना के लिए इकट्ठे होते हैं। इस परिसर की दीवार बहुत ही प्राचीन और भव्य है। यह पवित्र परिसर यरुशलम की ओल्ड सिटी का हिस्सा है।
 
चर्च ऑफ द होली स्कल्प्चर : ईसाइयों के लिए भी यह शहर बहुत महत्व रखता है, क्योंकि यह शहर ईसा मसीह के जीवन के अंतिम भाग का गवाह है। पुराने शहर की दीवारों से सटा एक प्राचीन पवित्र चर्च है जिसके बारे में मान्यता है कि यहीं पर प्रभु यीशु पुन: जी उठे थे। जिस जगह पर ईसा मसीह फिर से जिंदा होकर देखा गए थे उसी जगह पर यह चर्च बना है। ईसाइयों का विश्वास है कि ईसा एक बार फिर यरुशलम आएंगे। माना यह भी जाता है कि यही ईसा के अंतिम भोज का स्थल है। यहीं वह मकबरा है जहां ईसा मसीह को दफनाया गया था। यहां पर पत्थर के तीन स्लेब्स है। एक वह जहां पर पहले दफनाया गया दूसरा वह जहां पर जीवित पाए गए और तीसरा वह जहां उन्हें पुन: दफनाया गया था।।
 
अल अक्सा मस्जिद: इसराइल की राजधानी यरुशलम में स्थित अल अक्सा मस्जिद को 'अलहरम-अलशरीफ' के नाम से भी जाना जाता है। मुसलमान इसे तीसरा सबसे पवित्र स्थल मानते हैं। उनका विश्वास है कि यहीं से हजरत मुहम्मद सल्लाहओ अलैव सल्लम जन्नत की तरफ गए थे और अल्लाह का आदेश लेकर पृथ्वी पर लौटे थे। यहीं से पैगंबर साहब मेराज के लिए गए थे।