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रूस में आतंकवादी हमला : गंभीर और चिंताजनक

रूस में आतंकवादी हमला : गंभीर और चिंताजनक - Hindi Blog On Terrorist Attack
मास्को के बाद रूस के दूसरे सबसे बड़े शहर सेंट पीटर्सबर्ग में भूमिगत मेट्रो में हुए धमाके ने फिर से दुनिया का ध्यान खींचा है। हालांकि इसमें 10 लोगों के मरने तथा 50 के घायल होने की ही खबर है। इस आधार पर इसे छोटी घटना करार दिया जा सकता है। हालांकि सेन्नया प्लोशद और टेक्नोलॉजीचेस्की इंस्टीट्यूट स्टेशनों के बीच दोपहर बाद 2.40 बजे भूमिगत मेट्रो में धमका करने का मतलब है, वे ज्यादा से ज्यादा क्षति पहुंचाना चाहते थे। वह समय काफी भीड़ का होता है। कम लोगों का हताहत होना केवल संयोग है। 
 
वैसे भी रुसी आतंकवादी विरोधी समिति ने कहा है कि उसने सेंट पीटर्सबर्ग के एक अन्य भूमिगत स्टेशन से जीवित बम बरामद किया और उसे निष्फल किया। अगर वह फट जाता तो और क्षति होती। हमल छोटा था या बड़ा था, इसमें कम लोग मारे गए या ज्यादा मारे गए यह अब मायने नहीं रखता। आतंकवादी या आतंकवादियों को हमला करने में सफलता मिली, यह महत्वपूर्ण है और दुनिया के लिए यही चिंता की बात है। अभी पिछले 22 मार्च को लंदन के वेस्टमिंस्टर पुल पर एक कार हमले में 5 लोग मारे गए एवं 13 घायल हुए। वहां तो हताहतों की संख्या और कम थी। तो क्या इससे उस हमले को नजरअंदाज कर दिया जाएगा? पिछले 26 मार्च को बंगलादेश के सिलहट में दो विस्फोटों में 6 लोग मारे गए एवं 40 घायल हुए। इसका निष्कर्ष यह है कि आतंकवादी अब इस तरह उतर आए हैं कि जैसे भी हो, हमला करो...। यह न सोचो कि छोटा है या बड़ा और उसमें कितने लोग मरे। इसमें उनको अपनी जान की परवाह नहीं। यह साफ हो गया है कि सेंट पीटर्सबर्ग का हमला भी आत्मघाती था। यह आतंकवाद की नई प्रवृत्ति है और इसमें हमले का स्रोत ज्यादातर स्थानीय होता है। यह संगठित और बड़े वारदात से ज्यादा खतरनाक है। दुनिया में इससे दहशत तो फैलती है। रुसी मेट्रो पर हमले ने दुनिया को फिर नए सिरे से सतर्क होने और सुरक्षा व्यवस्था को सख्त करने पर विवश किया है। दुनिया भर में मेट्रो एवं रेलों की सुरक्षा बढ़ाई जा रही है। 
 
संयोग देखिए, जिस समय हमला हुआ, उस समय रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शहर में ही थे। वह बेलारूस के नेता एलेक्जेंडर लुकाशेंको से मुलाकात के लिए यहां आए हैं। पुतिन ने हमले के बारे में तत्काल कुछ नहीं कहा, लेकिन उन्होंने इसे आतंकवादी हमला मानने से इंकार नहीं किया। सुरक्षा एजेंसियों ने तो इसे आतंकवादी घटना मान ही लिया है। विस्फोटक से किसी रेल के डिब्बे को उड़ाना आतंकवाद का ही कारनामा तो है। विस्फोट इतना तगड़ा था कि मेट्रो के कोच के परखच्चे उड़ गए। रूस के स्थानीय न्यूज चैनलों के फुटेज में खून से लथपथ घायल लोग प्लेटफॉर्म पर जहां-तहां पड़े दिखाई दिए। एक प्लेटफॉर्म के पास धमाके से एक बड़ा गड्ढा बन गया। यह भी साफ हो गया है कि मेट्रो में धमाका कील बम (नेल बम) से किया गया। ज्यादा लोगों को घायल करने के लिए कीलों का प्रयोग किया जाता है। कीलें छर्रे के रूप में काम करती हैं, जिससे छोटे क्षेत्र में अधिक से अधिक नुकसान पहुंचाया जाता है। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना था कि उन्होंने हमलावर को अपनी पीठ पर लटका बैग ट्रेन के भीतर फेंकते देखा, इसके बाद धमाका हुआ। माना जा रहा है कि कीलों से भरा विस्फोटक किसी ब्रिफकेस में रेल के भीतर रखा गया था। विस्तृत जानकारियां तो छानबीन के बाद ही आएंगी, लेकिन दुनिया भर में आतंकवाद की वर्तमान स्थिति तथा उसमें रूस की भूमिका को देखते हुए कुछ अनुमान तो लगाया ही जा सकता है। 
 
वर्तमान वैश्विक आतंकवाद की जब चर्चा होती है तो प्रायः उसमें रूस का नाम नहीं लिया जाता, जबकि सच यह है कि रूस लंबे समय से आतंकवादी हमले का शिकार रहा है और वहां बड़े-बड़े आतंकवादी हमले हुए हैं। यह उन सबको एक बार उद्धृत करना आवश्यक है। 31 अक्टूबर 2015 को इस्लामिक स्टेट ने एक रुसी विमान को मिस्र के सिनाई प्रायद्वीप के उपर उड़ा दिया जिसमें 224 लोग मारे गए थे। आईएस द्वारा विमान को उड़ाने की यह पहली घटना थी। आईएस ने केवल एक ही हमला तय किया होगा, ऐसा तो है नहीं। इसके पूर्व 29-30 दिसंबर 2013 को दो आत्मघाती आतंकवादियों ने वोल्गोग्राद शहर के एक रेलवे स्टेशन तथा एक ट्रॉली बस में विस्फोट कर 34 लोगों की जान ले ली। यह हमला सोचि में 2014 के विंटर ओलिम्पिक आरंभ होने के केवल दो महीने पहले हुआ था। 24 जनवरी 2011 को मॉस्को के दोमोदेदोवो हवाई अड्डे पर आत्मघाती हमले में 30 लोग मारे गए। 29 मार्च 2010 को मॉस्को के दो मेट्रो स्टेशनों पर दो महिला आत्मघाती हमले में 40 लोग मारे गए थे और 100 से ज्यादा घायल हुए थे। हमले की जिम्मेदारी चेचेन विद्रोहियों ने ली थी। 27 नवंबर 2009 को मास्को एवं सेंट पीटर्सबर्ग के बीच एक रेल में विस्फोट किया गया जिसमें 26 लोग मारे गए तथा 100 घायल हुए। इसकी जिम्मेवारी भी चेचेन विद्रोहियों ने ली थी। 21 अगस्त 2006 को मास्को के एक उपनगरीय बाजार में विस्फोट से 10 लोग मरे तथा 50 घायल हुए। 1 सितंबर 2004 को आतंकवादियों ने बेसलान के एक स्कूल को कब्जे में ले लिया। दो दिनों तक सुरक्षा बल उनको घेरे रहे। जब वे चेतावनी से नहीं निकले, तो 3 सिंतबर को सुरक्षा बलों ने कार्रवाई की और 330 लोग मारे गए। यह भी चेचेन उग्रवादियों की ही कार्रवाई थी।

24 अगस्त 2004 को दो रुसी यात्री विमानों को उड़ा दिया गया जिसमें 90 लोग मारे गए। एक विमान वोल्वोग्राड जा रहा था जो मास्को के दक्षिण में गिरा और कुछ ही क्षणों में दूसरा विमान रोस्तोव ऑन दोन में ध्वस्त हुआ। 6 फरवरी 2004 को मास्को के भूमिगत रेलवे में आत्मघाती विस्फोट में 39 लोग मारे गए तथा 100 घायल हुए। यह भी चेचेन विद्रोहियों की कार्रवाई मानी गई। 5 दिसंबर 2003 को दक्षिण रूस के येस्सेन्तुकी स्टेशन के निकट एक रेल में विस्फोट से 46 मारे गए एवं 160 घायल हुए। 23 अक्टूबर को चेचेन विद्रोहियों ने मास्को के एक थिएटर को कब्जे में ले लिया। यह तीन दिनों तक चला। अंत में पुतिन ने थिएटर में गैस छोड़ने का आदेश दिया और 129 बंधकों तथा 41 चेचेन गुरिल्लाओं की मौत हो गई। मास्को के एक अंडरपास में 8 अगस्त 2000 को हुए विस्फोट में 13 लोग मारे गए एवं 90 घायल हुए। सितंबर 1999 में मास्को में दो अपार्टमेंट बम विस्फोट से नष्ट हुए जिसमें 200 लोग मारे गए। 
 
अपने-आपसे प्रश्न कीजि‍ए कि इतने अधिक हमले आखिर किस पश्चिमी देश में हुए हैं? हाल के वर्षों में फ्रांस कई हमलों का शिकार हुआ है। किंतु वह भी रूस से काफी पीछे है। सेंट पीटर्सबर्ग का हमला इसी कड़ी की अगली घटना है। चेचेन विद्रोही करें, आईएस करे या और कोई हमारे लिए तो यह भयावह आतंकवाद का विस्तार ही है। यह हमला इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि आतंकवादियों के रडार पर होने के कारण रूस के प्रमुख शहरों और स्थानों पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था की गई है। सेंट पीटर्सबर्ग उनमें शामिल है। वास्तव में रूस जिस अलगाववादी चेचेन उग्रवादियों के द्वारा लक्षित हमलों का शिकार हो रहा है तथा आईएस ने भी उसे लक्ष्य बनाया है। उसे सुरक्षा व्यवस्था को पुख्ता करना अपरिहार्य था। ध्यान रखने की बात है कि इस्लामिक स्टेट यानी आईएसआईएस ने भी चेचेन विद्रोहियों को अपने संगठन में शामिल किया है। जाहिर है, चेचेन विद्रोही उस संगठन में शामिल हुए तो रूस को दहलाने के लिए ही। वैसे भी सीरिया में रूस के सैनिक हस्तक्षेप के विरुद्ध इस्लामिक स्टेट ने हमले की धमकी दिया हुआ है।

रुसी सेना और विशेष बल राष्ट्रपति बशर अल असद को विद्रोही समूहों तथा इस्लामिक स्टेट से लड़ने में मदद कर रहा है। इससे आईएस रूस से नाराज है। रूस इस धमकी को लेकर सतर्क है भी। वह सीरिया से लौटने वाले चेचेन विद्रोहियों द्वारा हमले की आशंका को लेकर पहले से तैयार है। पुतिन वैसे भी आतंकवाद को लेकर दुनिया के सख्त प्रशासकों में माने जाते हैं। विमान उड़ाए जाने की घटना के बाद पुतिन ने पूरी सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा की, और आवश्यक बदलाव किए गए। बावजूद इसके यदि आतंकवादी हमला करने में सफल हुए तो इसे हर दृष्टि से गंभीर और चिंताजनक घटना मानना होगा। इससे पूरी दुनिया को सबक लेना होगा। 
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