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जनता बेहाल, सरकार मालामाल

जनता बेहाल, सरकार मालामाल - BJP government has completed 4 years
केंद्र की भारतीय जनता पार्टी सरकार ने 26 मई को 4 साल पूरे कर लिए हैं। इन 4 सालों को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता और सरकार अपनी कामयाबी के कितने ही दावे कर लें, लेकिन हक़ीक़त यही है कि हर मोर्चे पर केंद्र सरकार नाकारा ही साबित हुई है। हालत यह है कि आम आदमी को इंसाफ़ मिलने की बात तो दूर, ख़ुद सर्वोच्च न्यायालय के 4 जजों को इंसाफ़ के लिए जनता के बीच आना पड़ा। अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए सरकार ने हमेशा ग़ैरज़रूरी मुद्दों को हवा दी है।
 
अवाम ने शिक्षा की बात की, तो शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने की बजाय जेएनयू और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में विवाद पैदा किए गए। अवाम ने रोज़गार मांगा, तो नोटबंदी कर उन्हें बैंक के सामने क़तारों में दिन-रात खड़ा रहने पर मजबूर कर दिया गया। स्वास्थ्य सेवाओं की बात करें, तो गोरखपुर के मृत बच्चों की लाशें सामने आ जाती हैं। ऑक्सीज़न की कमी से किस तरह वे तड़प-तड़पकर मौत की आग़ोश में चले गए।

 
दरअसल, मुट्ठीभर अमीरों को छोड़कर देश की अवाम का बुरा हाल है। आलम ये है कि तीज-त्योहारों के दिनों में भी लोगों के पास काम नहीं है। बाज़ार में भी मंदी छाई हुई है। दुकानदार दिनभर ग्राहकों का इंतज़ार करते हैं, लेकिन जब लोगों के पैसे होंगे, तभी तो वे कुछ ख़रीद पाएंगे। बड़े उद्योगपतियों को छोड़कर बाक़ी छोटे काम-धंधे करने वालों के काम ठप होकर रह गए हैं। बेरोज़गारी कम होने की बजाय दिनोदिन बढ़ रही है। देश की अवाम त्राहिमाम्-त्राहिमाम् कर रही है और ऐसे में केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के नेता अपने 4 साल के शासनकाल की उपलब्धियां गिनाते नहीं थक रहे हैं।

 
बेशक इन 4 सालों में केंद्र सरकार का काफ़ी भला हुआ है। उसके ख़ज़ाने लगातार भर रहे हैं। पेट्रोल पर भारी एक्साइज़ ड्यूटी से केंद्र को भारी मुनाफ़ा हुआ है। पिछले 4 सालों के दौरान इससे सरकार को 150 गुना ज़्यादा राजस्व मिला है। ग़ौरतलब है कि पिछली कांग्रेस नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार की एक्साइज़ ड्यूटी में मोदी सरकार 126 फ़ीसदी बढोतरी कर चुकी है। पेट्रोल पर जहां केंद्र और राज्य सरकारें मालामाल होती हैं, वहीं उपभोक्ताओं को भारी नुक़सान होता है। केंद्र सरकार पेट्रोल पर एक्साइज़ ड्यूटी लगाती है और राज्य सरकार अपने स्तर से वैट और बिक्री कर लगाती हैं जिससे इसकी क़ीमत बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है।

 
पिछले साल मार्च में पेट्रोलियम मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने लोकसभा में बताया था कि 1 अप्रैल 2014 को मोदी सरकार से पहले पेट्रोल पर एक्साइज ड्यूटी 9.48 रुपए और डीजल पर 3.56 रुपए थी। महज़ 2 साल में एनडीए सरकार ने एक्साइज टैक्स में 126 फ़ीसदी का इज़ाफ़ा किया जिससे एक्साइज ड्यूटी बढ़कर 21.48 रुपए हो गई। डीज़ल पर भी एक्साइज टैक्स की दर ज़्यादा रही। मार्च 2016 तक डीजल पर 4 बार एक्साइज़ ड्यूटी में बढ़ोतरी की गई जिससे 3.56 से बढ़कर टैक्स 17.33 रुपए हो गया। इस दौरान मोदी सरकार ने 144 फ़ीसदी ज़्यादा कमाई की। मोदी सरकार ने वित्तीय वर्ष 2014-15 में सेंट्रल एक्साइज ड्यूटी से 99.184 लाख करोड़, स्टेट वैट और सेल्स टैक्स से 137.157 लाख करोड़, साल 2015-16 में 178.591 और 142.848 और साल 2016-17 में 242.691 और 166.378 लाख करोड़ रुपए वसूले यानी इससे सरकार जितना ज़्यादा फ़ायदा हुआ, जनता को उतना ही नुक़सान उठाना पड़ा।

 
कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी सरकार को तेल के दाम कम करने का चैलेंज देते हुए कहा था कि तेल की क़ीमतें कम कीजिए, वरना हम आपको मजबूर कर देंगे। इसके बाद केंद्र सरकार ने डीज़ल और पेट्रोल की क़ीमत में 1 पैसे की कमी कर दी। इस पर राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर तंज़ करते हुए कहा है कि आपने पेट्रोल और डीज़ल की क़ीमतों में 1 पैसे की कटौती की है। 1 पैसा!! अगर ये आपका मज़ाक़ करने का तरीक़ा है, तो ये बचकाना और बेहद घटिया है। 1 पैसे की कटौती मेरे द्वारा दिया गए फ्युएल चैलेंज का वाजिब जवाब नहीं है।

 
भारतीय जनता पार्टी सरकार के शासनकाल में घोटाले भी ख़ूब हुए हैं। सूचना के अधिकार के तहत भारतीय रिज़र्व बैंक से मांगी गई एक जानकारी के मुताबिक़ साल 2014-15 से 2017-18 के बीच देश के अलग-अलग बैंकों से 19,000 से ज़्यादा धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं जिनमें 90 हज़ार करोड़ रुपए से ज़्यादा का घोटाला हुआ है। अप्रैल, 2017 से मार्च, 2018 के बीच बैंक धोखाधड़ी के 5,152 मामले दर्ज किए गए जिनमें 28,459 करोड़ रुपए शामिल हैं। इससे पहले साल 2016-17 में 5,076 बैंक घोटाले हुए जिनमें 23,933 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई।

 
ग़ौरतलब है कि केंद्रीय जांच ब्यूरो और प्रवर्तन निदेशालय जैसी कई केंद्रीय जांच एजेंसियां उद्योगपतियों द्वारा किए गए धोखाधड़ी के मामलों की तफ़्तीश कर रही हैं। इनमें नीरव मोदी और मेहुल चोकसी द्वारा किया गया 1,200 करोड़ से ज़्यादा का पंजाब नेशनल बैंक घोटाला भी शामिल है।
 
भले ही भारतीय जनता पार्टी जश्न मना रही है, लेकिन विपक्षी दल इसे विश्वासघात के तौर पर देख रहे हैं, वहीं अवाम भी सरकार से हिसाब मांगने लगी है। मोदी सरकार के 4 साल पूरे होने पर कांग्रेस ने एक पोस्‍टर जारी किया है। कांग्रेस के राष्‍ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत का कहना है कि मोदी सरकार के 4 साल जनता से विश्वासघात जैसा है। उन्होंने कहा कि आम आदमी का भरोसा सरकार से उठ चुका है। वामदलों ने भी सरकार पर जनता से विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा है कि देश के सभी तबक़े सरकार से परेशान हैं।

 
क़ाबिले-ग़ौर है कि पिछले 4 सालों में देश की हालत बद से बदतर हुई है। देश में मज़हब और जाति के नाम पर वैमनस्य बढ़ा है, लोगों में अविश्वास बढ़ा है। उनका चैन-अमन प्रभावित हुआ है। उनकी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी मुतासिर हुई है। दादरी के अख़्लाक हत्याकांड से समाज में कटुता बढ़ी, जबकि आरक्षण को लेकर चले आंदोलन की वजह से जातिगत वैमनस्य में बढ़ोतरी हुई है। बढ़ती महंगाई ने लोगों का जीना दुश्वार कर दिया है। तीज-त्योहारों के रंग फीके पड़ गए हैं, क्योंकि बेरोज़गारी और महंगाई की वजह से लोग ज़रूरत का पूरा सामान तक ख़रीद नहीं पा रहे हैं।

 
अब जब इस सरकार को 4 साल पूरे हो गए हैं, तो ऐसे में लोग उन वादों के बारे में सवाल करने लगे हैं, जो भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में आने से पहले जनता से किए गए थे। तब लोगों को लगा था कि देश में ऐसा शासन आएगा जिसमें सब मालामाल हो जाएंगे। मगर जब केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बन गई और महंगाई ने अपना रंग दिखाना शुरू किया, तो लोगों को लगा कि इससे तो पहले ही वे सुख से ज़िन्दगी गुज़ार रहे थे। ऐसा नहीं है कि अच्छे दिन नहीं आए हैं, अच्छे दिन आए हैं, लेकिन मुट्ठीभर अमीरों के लिए।

 
बहरहाल, प्रधानमंत्री उन चुनावी वादों को 'चुनावी जुमले' कहकर टाल चुके हैं, लेकिन जनता 'टालने' के मूड में बिलकुल नहीं है।