समाजसेवा से कमाई
पैसा यानी नोट कमाने के लिए नेता या दादा होना जरूरी है, मगर दोनों में सक्षम नहीं होने पर आप समाजसेवा में भ्रष्टाचार करके भी चांस पा सकते हैं और कमाई कर सकते हैं। इस काम में कोई रिस्क नहीं है और नाम का नाम कमाई की कमाई। समाज में इज्जत अलग से। नेता बनो तो गाली...चोर बनो तो गाली... इसलिए समाज में रहकर समाज की (अपनी) सेवा ही करो ना।
कई गैर सरकारी संस्थाएं या स्वयं सेवी संस्थाएं भ्रष्टाचार की बदौलत अपने संचालकों/सदस्यों की जेब भर रही हैं यानी नोटों से जेब भरो आर्गेनाइजेशन बनाकर यानी एनजीओ के माध्यम से आप भी कमाई कर सकते हैं। आपको बस समाज की सेवा में लगे रहना है। समाज सेवा के भी अनेक रास्ते हैं। मानव सेवा यानी विकलांगों की सेवा, वृद्धों, विधवा-परित्यक्ता... अनेक विषय हैं समाजसेवा के या फिर पशुपालन में, पर्यावरण आदि में भी काम कर अपना योगदान दे सकते हैं। जैसा कि हो रहा है।
भारत में अब कई गैर सरकारी संगठन भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं, लेकिन कई एनजीओ के बारे में पता चला है कि वह समाज सेवा के लिए दिए जा रहे पैसों का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकार और निजी दानदाता संस्थाओं और बड़े-बड़े रईस घरानों से गैर सरकारी संस्थाओं को समाजसेवा के लिए दान मिलता है। ये दान कौन लोग देते हैं ये बताने की फुर्सत नहीं और बता भी दें तो क्या कुछ नहीं कर सकते। विजय भाई का कुछ कर सकते हो, मजे से विदेश में बैठा है।
हां, तो हम बात करें समाजसेवा की तो समाजसेवा के लिए अनेक विषय हैं। कोई एक विषय लेकर शुरू हो जाइए कुछ लोगों को साथ लेकर समाजसेवा में। चार लोगों की सहायता कीजिए 4 लाख का खर्च बताइए चार हजार खर्च कीजिए। चार पेड़ लगाइए 40 का खर्च बताइए। मीडिया में अगर जान-पहचान है (जैसे कि वर्तमान में भाजपा वालों की है। लगता है सारा मीडिया भाजपा वालों की ही जय बोलने लगा है (कुछ मिलता भी होगा।) तो और अच्छा रोजाना खबरों में भी रहिए।
पिछले साल राष्ट्रीय लेखापरीक्षण प्राधिकरण ने रिपोर्ट जारी किया जिसके मुताबिक पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरण पर काम कर रहे एनजीओ को जितना पैसा दिया है, उसमें से केवल 3.5 संगठनों ने अपना काम पूरा किया है। 2003 से लेकर 2008 तक मंत्रालय ने 30 करोड़ से ज्यादा रुपए इन संगठनों को दिए। इसमें से केवल एक करोड़ 17 लाख रुपयों का हिसाब किताब पूरा है।
रिपोर्ट के मुताबिक लेखापरीक्षक बाकी एनजीओ से संपर्क करने में असफल रहे। अंतरराष्ट्रीय संगठन इंटरनेशनल चैरिटीज एंड फाउंडेशन के मुताबिक भारत में 12 लाख एनजीओ हैं, जिनमें 27 लाख लोग काम करते हैं। इस उद्योग में हर साल 200 अरब से ज्यादा रुपए कमाए जाते हैं। समाज सेवा करने वाले ये एनजीओ भी नेताओ, अधिकारियों के रिश्तेदारों के चल रहे हैं। कई बार सरकारी अधिकारी अपने रिश्तेदारों से एनजीओ खुलवाते हैं ताकि उन्हें भी कुछ पैसे मिल जाएं।