मध्य प्रदेश : सत्ता की कुर्सी के लिए भगवान की शरण में राजनेता
भोपाल। मध्य प्रदेश में सत्ता के शिखर पर पहुंचने के लिए नेता इन दिनों खूब मंदिरों की सीढ़ियां चढ़ रहे हैं। सोमवार को दतिया पहुंचे राहुल गांधी ने पीतांबरा पीठ के दर्शन किए। राहुल ने पूरे विधि-विधान से मंदिर में पूजा-अर्चना की। ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी पहली बार किसी मंदिर के दर्शन करने पहुंचे हैं। इससे पहले राहुल ने चित्रकूट में कामतानाथ मंदिर और जबलपुर में मां नर्मदा की पूजा-अर्चना कर अपने चुनावी दौरे की शुरुआत की थी, वहीं दूसरी ओर भाजपा ने अपने सबसे बड़े चुनावी कार्यक्रम जनआशीर्वाद यात्रा की शुरुआत उज्जैन में बाबा महाकाल मंदिर के दर्शन करके की थी।
मध्य प्रदेश में चुनाव के समय राजनेताओं का धार्मिक प्रेम जमकर उमड़ने लगता है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि ये मंदिर अपने आसपास की कई सीटों पर सीधा प्रभाव डालते हैं। मध्य प्रदेश में करीब 100 से अधिक ऐसी सीटें हैं, जिनका मंदिरों पर सीधा प्रभाव है। इसी कारण चुनाव करीब आते ही राजनेता मंदिरों की सीढ़िया चढ़ने को मजबूर होते हैं।
महाकाल मंदिर का सबसे अधिक 32 सीटों पर प्रभाव : मध्य प्रदेश को विश्व में पहचान दिलाने वाले बाबा महाकाल के दरबार में हर राजनेता चुनाव के समय अपनी हाजिरी लगाने पहुंचता है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि जिस दल को बाबा महाकाल का आशीर्वाद मिलता है, वही दल सूबे में अपनी सरकार बनाता है। बाबा महाकाल मंदिर का सीधा प्रभाव मालवा की 32 विधानसभा सीटों पर पड़ता है। इन 32 सीटों में से अधिकांश पर इस समय भाजपा का कब्जा है।
प्रदेश में चौथी बार भाजपा की सरकार बनाने के लिए अमित शाह चुनाव के समय दो बार महाकाल मंदिर में बाबा का आशीर्वाद लेने पहुंच चुके हैं। पीतांबरा शक्ति पीठ ग्वालियर चंबल इलाके में 28 सीटों पर प्रभाव डालती है। इन्हीं सीटों पर कांग्रेस की पकड़ बनाने के लिए शायद राहुल गांधी ने सोमवार को पीतांबरा पीठ में दर्शन कर पूजा-अर्चना की, वहीं भाजपा की भी इन सीटों पर नजर है।
विंध्य में मैहर और कामतानाथ मंदिर का 28 सीटों पर प्रभाव : विंध्य में मंदिरों का विशेष प्रभाव माना जाता है। इस अंचल में पड़ने वाले प्रसिद्ध मंदिरों में चुनाव के समय हर राजनेता पहुंचता है। पिछले विधानसभा चुनाव में इस इलाके में कांग्रेस ने बीजेपी को पटखनी दी थी। कांग्रेस के इस गढ़ को बचाने के लिए राहुल गांधी ने विंध्य में पार्टी के चुनाव प्रचार का शंखनाद कामतानाथ मंदिर में दर्शन कर किया था। वहीं चुनाव के समय वोटरों को जोड़ने के लिए 'राम वन गमन पथ यात्रा' भी इस इलाके में निकाली गई।
राम राजा दरबार का 11 सीटों पर प्रभाव : ओरछा के राम राजा दरबार का चुनाव के समय ग्यारह सीटों पर विशेष प्रभाव रहता है। इसी तरह रायसेन जिले में स्थित सलकनपुर मंदिर का 9 सीटों पर प्रभाव माना जाता है।