कभी सिक्किम का हिस्सा रहे दार्जिलिंग अब पश्चिम का एक मनोहारी और रोमांचकारी शहर है। दार्जीलिंग पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से लगभग 80 किलोमीटर की दूरी पर पहाडों की चोटी पर स्थित है। यह शिवालिक हिल्स में लोवर हिमालय में अवस्थित है। यहां की औसत ऊंचाई 2,134 मीटर (6,982 फुट) है। आओ जानते हैं इसके बारे में 10 रोमांचकारी बातें।
1. 'क्वीन ऑफ हिल्स' के नाम से मशहूर दार्जिलिंग हमेशा से एक बेहतरीन हनीमून डेस्टिनेशन रहा है। हर वर्ष सैंकड़ों के संख्या में यहां पर नवविवाहित जोड़े आते हैं और यादगार क्षण समेटकर ले जाते हैं।
2. इस हिल स्टेशन की सबसे बड़ी खासियत है यहां के चाय बागान। दूर-दूर तक फैले हरी चाय के खेत मानो धरती पर हरी चादर बिछी हो। एक समय दार्जिलिंग अपने मसालों के लिए मशहूर था लेकिन अब चाय के लिए ही ये विश्वस्तर पर जाना जाता है। यहां स्थित प्रत्येक चाय उद्यान का अपना-अपना इतिहास और अपनी खासियत है। यहां के खूबसूरत और हरे-भरे चाय के बागानों से दुनियाभर में चाय निर्यात की जाती है।
3. पश्चिम बंगाल के इस शानदार हिल स्टेशन की खूबसूरती सिर्फ इसके चाय बागान नहीं हैं बल्कि यहां की वादियां भी बेहद मनोहारी हैं। बर्फ से ढंके सुंदर पहाड़, देवदार के जंगल, प्राकृतिक सुंदरता, कलकल करते झरने सबका मन मोह लेते हैं। अपनी इसी खूबसूरती के कारण ही इसे 'पहाड़ों की रानी' कहा गया है और इसकी गिनती दुनियाभर के मशहूर और खूबसूरत हिल स्टेशनों में की जाती है।
4. दार्जिलिंग की सैर शुरू होती है मशहूर टॉय ट्रेन से, जो पहाड़ियों और खूबसूरत वादियों के बीच से होते हुए गुजरती है। इसकी यात्रा के दौरान चाय के बागान, देवदार के जंगल, तीस्ता और रंगीत नदियों के संगम के खूबसूरत नजारे सैलानियों का मन मोह लेते हैं। बतसिया लूप से गुजरते समय ट्रेन यहां वृत्ताकार घूमती है और यात्रियों को 180 डिग्री के विस्तार में पहाड़ियां नजर आती हैं।
5. दार्जिलिंग की एक ओर मशहूर जगह है टाइगर हिल, जो शहर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से सूर्योदय का अद्भुत नजारा बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। यही वजह है कि कंचनजंगा की पहाड़ियों के पीछे से सूर्योदय का सतरंगी नजारा देखने के लिए रोजाना देश-विदेश से आए पर्यटक यहां जुटते हैं।
6. यहां पर सबसे आश्चर्य की बात यह है कि मौसम साफ रहने पर यहां से विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट भी दिखाई देती है।
7. दार्जिलिंग में संजय गांधी जैविक उद्यान भी है, जहां रेड पांडा और ब्लैक बीयर समेत कई दुर्लभ प्रजाति के जानवर, पशु-पक्षी देखे जा सकते हैं। पर्यटक यहां साइबेरियन बाघ और तिब्बतियन भेड़िए को देखने का मजा भी ले सकते हैं। लॉयड बॉटनिकल गार्डन कुछ दुर्लभ वन्यजीव व वनस्पति के लिए जाना जाता है जो लगभग 80 एकड़ में फैला है।
8. दार्जिलिंग में रंगीन वैली पैसेंजर रोपवे भी है, जो देश का पहला यात्री रोपवे है।
एक मान्यता : दार्जलिंग पश्चिम बंगाल में है। कुर्सियांग दार्जलिंग का एक हिल स्टेशन है। इसकी ऊंचाई 4864 फ़ीट है। दार्जिलिंग से सिर्फ 30 किमी की दूरी पर बहुतायत में खिले सफेद ऑर्किंड के आकर्षक फूलों से सुसज्जित एक छोटा सा पर्यटक स्थल है। कहते हैं कि दिन में यहां प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा रहता है लेकिन रात में एक शैतान घुमता है।
कुछ लोगों की मान्यता अनुसार अंग्रेजी में 'कर्स' का मतलब होता है शाप। इसी कर्स शब्द से इस जगह नाम पड़ा है कुर्सियांग यानी शापित जगह। कुर्शियांग का स्थानीय नाम खरसांग है जिसका मतलब होता है 'सफेद आर्किड की भूमि।' कुर्सियांग मुख्यतः अपने बोर्डिंग स्कूलों और पर्यटन के लिए जाना जाता है। पर कुर्शियांग से लगती डाउ हिल से एक भयानक मान्यता जुड़ी हुई है। हालांकि इसमें कितनी सचाई है यह बताना मुश्किल है।
कहते हैं कि डाउ हिल के जंगलों में बड़ी संख्या में आत्म हत्याएं की गई है। इस जंगल में इधर उधर इंसानों की हड्डियां दिखाई देना आम बात है। इसलिए ही इसे हॉन्टेड माना जाने लगा होगा। यहां के स्थानीय लोगों के अनुसार दिसंबर से मार्च तक की छुट्टियों के दौरान उन्हें विक्टोरिया बॉयज स्कूल में पैरों कि आहट सुनाई देती है।
कुछ की मान्यता अनुसार एक लकड़हारे ने रात में एक युवा लड़के की सर कटी लाश को घूमते हुए देखा था जो कुछ दूर जाकर पेड़ों में गायब हो गई थी। स्थानीय मान्यता अनुसार रात के समय डाउ हिल के जंगलों में जाना मौत को निमंत्रण देना है। डाउ हिल के अलावा यहां के कुछ और भी स्थान है जो हॉन्टेड माने जाते हैं।
कैसे पहुंचें दार्जीलिंग :
1.हवाई मार्ग : दार्जीलिंग देश के अनके स्थानों से हवाई मार्ग से जुड़ा हुआ है। आप बागदोगरा (सिलीगुड़ी) यहां का सबसे नजदीकी हवाई अड्डा है। यहां से दार्जिलिंग का रास्ता करीब 2 घण्टे का है।
2. रेलमार्ग : दार्जीलिंग का सबसे नजदीकी रेल जोन है जलपाइगुड़ी है। यहां से दार्जिंलिंग ट्वाह ट्रेन जाती है। कोलकाता से दार्जीलिंग मेल तथा कामरूप एक्सप्रेस सीधे जलपाइगुड़ी जाती है। इसके अलावा दिल्ली से गुवाहाटी राजधानी एक्सप्रेस यहां तक आती है।
3. सड़कर मार्ग : सिलीगुड़ी पहुंचकर दार्जीलिंग सड़कर मार से जाया जा सकता है जो कि लगभग 2 घंटे का रास्ता है।