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Written By WD Feature Desk
Last Modified: शनिवार, 17 मई 2025 (15:32 IST)

मोहब्बत, जिंदगी और सियासत पर राहत इंदौरी के 20 दमदार और मोटिवेशनल शेर

rahat indori shayari in hindi
rahat indori ki motivational shayari: जब बात हिंदी और उर्दू शायरी की होती है, तो राहत इंदौरी का नाम सबसे पहले ज़ुबान पर आता है। उनका अंदाज सिर्फ शब्दों में नहीं, बल्कि लहजे में भी आग लिए होता था। राहत साहब सिर्फ शायर नहीं थे, बल्कि वो एक जज्बा थे, जो युवाओं को खुद पर भरोसा करना सिखाते थे। उनकी शायरी में गजल की मिठास थी और इंकलाब की गूंज भी। चाहे मंच हो या सोशल मीडिया, राहत इंदौरी साहब के शेर आज भी दिलों में जोश भर देते हैं। उनकी कई शायरियां ऐसी हैं जो इंसान को टूटने नहीं देतीं, लड़ने की ताकत देती हैं और खुद से प्यार करना सिखाती हैं। इस लेख में हम जानेंगे राहत इंदौरी की 20 ऐसी बेहतरीन मोटिवेशनल शायरी, जो न सिर्फ आपको प्रेरित करेंगी, बल्कि जिंदगी को देखने का नजरिया भी बदल देंगी।
 

राहत इंदौरी की मशहूर शायरी हिंदी में

“अगर खिलाफ हैं होने दो, जान थोड़ी है, 
ये सब धुआँ है, कोई आसमान थोड़ी है।”
 
“सीने में जलन, आँखों में तूफान सा क्यों है, 
इस शहर में हर शख्स परेशान सा क्यों है?”
 
"आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो"
 
"उस आदमी को बस इक धुन सवार रहती है
बहुत हसीन है दुनिया इसे ख़राब करूं"
 
"बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियां उड़ जाएं"
 
"तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो"
 
“रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है…”
 
“हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते हैं
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिंदुस्तान कहते हैं…”
 
“नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है…”
 
“इक मुलाक़ात का जादू कि उतरता ही नहीं
तिरी ख़ुशबू मिरी चादर से नहीं जाती है…”
 
“मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग
गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए…”
 
“शाम ने जब पलकों पे आतिश-दान लिया
कुछ यादों ने चुटकी में लोबान लिया…”
 
“सितारो आओ मिरी राह में बिखर जाओ
ये मेरा हुक्म है हालाँकि कुछ नहीं हूँ मैं…”
 
“आते जाते पल ये कहते हैं हमारे कान में
कूच का ऐलान होने को है तय्यारी रखो…”
 
“अब इतनी सारी शबों का हिसाब कौन रखे
बड़े सवाब कमाए गए जवानी में…”
 
“हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते…”
 
“न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा…”
 
“अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते…” 
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