Majrooh Sultanpuri 20 Best Shayari: हिंदी और उर्दू साहित्य की दुनिया में अगर किसी नाम को अदब और इज्जत के साथ लिया जाता है, तो वो है मजरूह सुल्तानपुरी। उन्होंने सिर्फ शायरी नहीं की, बल्कि जज्बातों को अल्फाज दिए। चाहे इश्क की बात हो या समाज की सच्चाई, मजरूह साहब की शायरी दिल से निकली और सीधा दिल तक पहुंची। उनकी लिखी हुई पंक्तियां आज भी गूंजती हैं, और न जाने कितने दिलों की आवाज बन चुकी हैं। मजरूह सुल्तानपुरी साहब की शायरी की खास बात थी सीधी लेकिन असरदार भाषा। उन्होंने कभी ज्यादा जटिल शब्दों का सहारा नहीं लिया, बल्कि आम जिंदगी के एहसासों को इस तरह से पिरोया कि हर इंसान उससे जुड़ गया। उनके शेरों में प्रेम की मासूमियत है, विरह की तड़प है, समाज के लिए एक आईना है और जिंदगी का फलसफा है। इस लेख में हम मजरूह सुल्तानपुरी के 20 बेमिसाल शेरों का संकलन लेकर आए हैं। साथ ही जानेंगे उनके जीवन, लेखनी और सोच की गहराइयों को।
मजरूह सुल्तानपुरी का जीवन परिचय
मजरूह सुल्तानपुरी का असली नाम असरार-उल-हक था। उनका जन्म 1 अक्टूबर 1919 को उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर जिले में हुआ था। वे पेशे से हकीम थे लेकिन मन साहित्य और शायरी में बसता था। मजरूह साहब का शायर बनना एक इत्तेफाक था, लेकिन जो अल्फाज उन्होंने लिखे, वो आज भी वक्त और दिलों पर छपे हुए हैं। उन्होंने बॉलीवुड को भी अनगिनत गीत दिए, जो आज भी अमर हैं। उनकी लेखनी में नजाकत, सादगी और समाज का आईना साफ दिखता है। उन्हें दाग देहलवी, फैज अहमद फैज, साहिर लुधियानवी जैसे शायरों की श्रेणी में रखा जाता है। उन्हें 1993 में दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था।
बॉलीवुड में मजरूह सुल्तानपुरी
मजरूह सुल्तानपुरी ने 300 से ज्यादा फिल्मों में गीत लिखे। उनके गाने आज भी हर पीढ़ी के लिए प्रेरणा हैं। उनके लिखे कुछ अमर गीत हैं:
"छोड़ो कल की बातें..."
"रात भर का है मेहमान अंधेरा..."
"पुकारता चला हूं मैं..."
मजरूह सुल्तानपुरी के 20 मशहूर शेर (Majrooh Sultanpuri 20 Best Shayari)
1. मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंज़िल मगर,
लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया।
2. तेरा चेहरा है आइना लेकिन,
तू कभी खुद को देख पाता नहीं।
3. हमसे ना पूछिए कैसे कटे हैं तेरे बिन दिन,
हम जो जीते रहे इसी बात पे हैरान हैं।
4. ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा,
काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा।
5. वो बात क्या करें जिस में दर्द ना हो,
शायरी वही जो दिल को छू जाए।
6. मैं इस उम्मीद पे डूबा कि तू बचा लेगा,
अब इसके बाद तुझे क्या दुआ दूं।
7. कुछ इस तरह से वो मेरी बातों में खो गया,
जैसे ताज़ा गुलाब ख़ुशबू में सो गया।
8. वो दिल ही क्या जो दर्द से वाक़िफ़ ना हो,
जो अश्कों में न भीगे वो आँख क्या हुई।
9. तेरा नाम लूं ज़ुबां से, ये मुनासिब नहीं,
लेकिन दिल चुपके से कहता है, तू ही ज़िंदगी है।
10. हर घड़ी दिल में एक शोर सा उठता है,
शायद तू कहीं पास ही होता है।
11. ज़िन्दगी की राहों में जो खो गए,
वो ही असली तज़ुर्बे बन गए।
12. तू अगर मेरी दुआओं में नहीं तो क्या,
मैं तो फिर भी हर मोड़ पे तुझे याद करूंगा।
13. मंज़िल मिले न मिले ये तो मुक़द्दर की बात है,
हम कोशिश भी न करें ये तो गलत बात है।
14. दुनिया को दिखाने के लिए कुछ और हैं हम,
लेकिन तेरे सामने हम वही हैं जो दिल में हैं।
15. तेरे बाद किसे चाहा, किसे अपना माना,
ये भी एक किस्सा है जो किसी से ना कहा।
16. अजनबी बनकर ही सही तू मेरे साथ तो है,
मेरा दिल आज भी बस तुझी में कहीं खोया है।
17. तेरी हर बात मेरे लिए एक सुकून सी है,
तेरा ख्याल ही मेरे दिन की शुरुआत सी है।
18. वो वक़्त भी आएगा जब तुझे याद आएंगे हम,
फिर चाहे ये दूरी जितनी भी हो गहरी।
19. हमने तुझे खो कर भी तुझसे रिश्ता नहीं तोड़ा,
हम दिल से जुड़े हैं, जुबां से नहीं।
20. अब जुदा होकर भी तुझसे नाता है मेरा,
तेरा जिक्र ही तो मेरी पहचान बन गया है।