मां, तुम किस स्कूल में पढ़ी हो
-नंद चतुर्वेदी की कविता
मां, मुझे करुणा का अर्थ नहीं आताबार-बार पूछता हूं टीचर सर सेवे झुंझलाकर बताते हैं बहुत से अर्थउलझे-उलझेमैं उनका मुंह देखता हूंमैं कहता हूं रहने दें 'सर'मां से पूछ लूंगावे हंसते हैंजब अंधेरा टूटने को होता हैकिसी धुंधलके में मैंतुम्हारा प्रसन्न मुख देखता हूंया जब परीक्षा के दिन होते हैंतभी करुणा के सारे अर्थमेरी समझ में आ जाते हैंसीधे सरल अर्थआशारहित दिनों मेंतुम कठिन शब्दों का अर्थ समझाती होपता नहीं मां तुम किस स्कूल में पढ़ी होकितनी कक्षा तक?