मदर्स डे पर 5 मार्मिक कविताएं : मां तीरथ चारों धाम
मां तीरथ चारों धाम
मां से बढ़कर कुछ नहीं
क्या तीरथ क्या धाम
चरण छुए और हो गए
तीरथ चारों धाम।
-डॉ. मधु व्यास
तृप्ति और आनंद
मां कहें या मैया, माई कहें या बाई
अम्मी हो, मॉम हो या मम्मा
‘बा’हो महतारी हो या अम्मा
नाम लेते ही दिल में हलचल होती है
गुबार उठता है
फिर कुछ पिघलकर बहने लगता है
आंखों में बूंदें सिमटती हैं पर टपकती नहीं
उल्लास में बांहें लिपटने को पसर जाती है
तृप्ति और आनंद मिल जाता है
मां पुकारने वाले को
और प्यारी मां को भी....
-शारदा मंडलोई
संजीवनी बूटी मां
मेरे आनंद, उल्लास,
ख़ुशी का वजूद आपसे मां
मेरे दुःख संकटों के बीच की
दीवार आप ही मां
इस संसार की इकलौती
‘वन वूमन आर्मी‘
आपकी है मां
वसुंधरा के बच्चों की
संजीवनी बूटी स्वयं हैं मां।
-स्नेहा काले
मायके का अर्थ मां
मां,
तुम्हारा ॠण है निश्चल
कहो कैसे मैं चुकाऊं
मित्र जैसी पालनहार को
याद कर आंसू बहाऊं
बन गई हूं दादी, नानी
मन तो बच्चा ही रहा
‘मायके’का अर्थ भी अब
मर्म को छूने लगा।
-उर्मिला मेहता
मां की एक आशा
असीमित शब्दों से भी पूरी
नहीं होती मां की परिभाषा
कई निराशाओं को धूमिल कर देती
मां की एक आशा
बिन कहे, बिन सुने समझ लेती
बच्चों के मन की भाषा
मां तुझको समर्पित कर दूं जीवन
बस यही अभिलाषा।
-ब्रजराज व्यास
साभार- मेरे पास मां है