मातृ दिवस पर 7 छोटी कविताएं : तब चैन की सांस लेती है मां
चांदनी तुम हमें देती रहीं
मां, शुक्ल पक्ष की
चांदनी तुम हमें देती रहीं
स्वयं कृष्ण पक्ष की
चांदनी सी ढलती रहीं
चांदनी का यूं ढलते जाना
क्यों हम गंवारा करें
अमावस की रात जीवन में
कभी तुम्हारे पग न धरे।
-निरुपमा नागर
तब चैन की सांस लेती है मां
ममता मां, छाया मां
पतवार मां, संबल मां,
जीवनदायिनी मां,
पालनहार मां,
विश्व का समस्त विस्तार मां,
भगवान की सूरत से
न्यारी नहीं मां....
-शारदा गुप्ता
मां सदा मेरे साथ है
मां का अस्तित्व मेरे लिए चिरंतन है
क्योंकि मां मेरे हृदय में विराजित है
मस्तिष्क पर छाई है... उसकी ममता
उसकी प्रीति मन में संचित है,
उसके दिए संस्कार ऊर्जा
बन धमनियों में बहते हैं
मां मेरे निकट हो न हो
सदा मेरे पास है, सदा मेरे साथ है।
-सुजाता देशपांडे
चिड़िया सी, पंख फैलाती
जो ढलकते आंसू पोंछ,
सहलाती दुखते पैरों को
जो चिड़िया सी पंख फैला,
बचाती आंचल में लाल को
उसकी सलामती के लिए
मंदिर-मस्जिद में झुकाती है सिर को
इसलिए सब देते हैं
सम्मान देवी सा मां को
-सरला मेहता
भगवान से बढ़कर मां
जीवन की शुरूआत होती है मां
समग्र जीवन का सार होती है मां
भगवान से भी बढ़कर होती है मां
भगवान तो दिखते नहीं,
पर सदा साथ होती है मां
-भावना दामले
ईशकृपा बरसाती मां
सबसे प्यारी सबसे न्यारी
भोली-भाली मेरी मां
मेरे दुःख में रोने वाली
ममता की मीठी लोरी मां
बच्चों के सुख की ख़ातिर
हर दर्द उठाती मां
इसको शीश झुकाना
धरती पर ईशकृपा बरसाती मां
-चारूमित्रा नागर
मां, तुम्हें मैं, ख़ुशियां हज़ार दूं
तुम्हारे क़दमों में जन्नत वार दूं
मां तुम्हें मैं ख़ुशियां हज़ार दूं
चाहती हूं तुम्हारा हर पल साथ
इस साथ के लिए सारा जहां निसार दूं