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Last Modified: सोमवार, 20 अक्टूबर 2014 (19:29 IST)

फैजाबाद पुस्तक मेले में 'शरद शब्द संध्या'

फैजाबाद पुस्तक मेले में 'शरद शब्द संध्या' - शरद शब्द संध्या
फैजाबाद। राजकीय इंटर कॉलेज के मैदान में आयोजित पुस्तक मेले में आए साहित्य-प्रेमियों के आकर्षण का केंद्र बना 'शरद शब्द संध्या' का आयोजन। नई कविताओं से सजी इस कवि गोष्ठी का आयोजन साहित्य अकादमी, नई दिल्ली ने 'शब्दांकन' के सहयोग से किया। फैजाबाद में पहली बार आयोजित ऐसी कवि-गोष्ठी को लेकर कवि उत्साहित नज़र आए।
 
शरद शब्द संध्या की अध्यक्षता कर रहे राजेन्द्र कुमार ने जब, ‘वो जो रहते थे साथ दूर बहुत दूर गए’ सुनाया तो श्रोता एक पल को भाव विह्वल हो उठे। वरिष्ठ कवि एवं भारत भूषण अग्रवाल पुरस्कार से सम्मानित स्वप्निल श्रीवास्तव ने ‘लैटर बॉक्स’ कविता के माध्यम से पुरानी चीजों के गुम होने की पीड़ा बयां की, बुजुर्गों की उपेक्षा पर उनका व्यंग्य लोगों को सोचने को मजबूर करने वाला रहा। वरिष्ठ कवि रघुवंश मणि ने प्रेम कविताएं सुनाकर श्रोताओं की वाहवाही बटोरी। ‘मैं नंगा होता’ कविता के बारे में उन्होंने बताया कि यह कविता स्व. नारायण दास खत्री द्वारा सराही जा चुकी है। संचालन कर रहे युवा हस्ताक्षर विशाल श्रीवास्तव ने बाल-मन को छूने की कोशिश की।
वरिष्ठ कवयित्री सुमति ने कविताओं की बहुरंगी छटा बिखेरी। मंजुषा मिश्रा, नेहा श्रीवास्तव , निरुपमा श्रीवास्तव ने भी काव्य पाठ किया। इससे पूर्व कवियों का स्वागत करते हुए युवा साहित्यकार भरत तिवारी ने कहा– ‘कविताओं का लिखा जाना सुखद है, सोशल मिडिया से नई काव्य प्रतिभाओं को उभरने का बढ़ावा मिला है, लेकिन इनमें ऐसे लेखन की पहचान मुश्किल हो रही है जो वर्तमान को निर्भीकता से कह रही हों।  
 
फैजाबाद पुस्तक मेला अवध की धरोहर बन चुका है, नए रचनाकारों एवं पुराने रचनाकारों के बीच सेतु की भूमिका निभा रहा है। इस मौके पर वरिष्ठ साहित्यकार जनार्दन उपाध्याय, मेला प्रभारी रीता खत्री, वीणा खत्री, राजकुमार खत्री, राकेश केसरवानी, दीप कृष्ण वर्मा आदि मौजूद थे।