यह बात बिल्कुल सही है, कि स्मार्टफोन ने हमारी जीवनशैली को बहुत आसान बना दिया है, और यह कई मामलों में सहायक है। स्मार्टफोन ज्ञान बढ़ाने, जानकारियां जुटाने, गेम खेलने के अलावा कई कारणों से बेहद उपयोगी है। आजकल छोटे बच्चे भी स्मार्टफोन बेहतर तरीके से चलाते और जानकारी रखते हैं। माता-पिता भी तकनीक से बच्चों को जोड़ने की मंशा से छोटी उम्र में ही स्मार्टफोन या टेबलेट खेलने के लिए देते हैं, जो उनके लिए लत बन सकती है। क्या आप जानते हैं, कि बच्चों को स्मार्टफोन या टेबलेट का इस्तेमाल क्यों नहीं करने देना चाहिए... जानिए यह 10 कारण -
1 जब बच्चा छोटा होता है तो उसका दिमाग तेज और इंद्रियां अधिक संवेदनशील होती हैं। इस समय जो भी बच्चे के संपर्क में अधिक होता है, बच्चे का उससे जुड़ाव हो जाता है। यही कारण है, कि आपका स्पर्श, आवाज और प्रेम वह पहचानने लगता है, और न मिलने पर विचलित होता है।
इसी तरह अगर इस उम्र में बच्चे का जुड़ाव तकनीक से होता है, तो आपके और उसके बीच बने प्राकृतिक सेतु में बदलाव आता है। ऐसे में बच्चा भावुक होने के बजाए प्रयोगिक हो जाता है, जो कि उसके लिए बिल्कुल सही नहीं है। उसे प्राकृतिक रूप से सब सीखने दें, ताकि सही मायनों में उसका मानसिक विकास हो सके।
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2 लत लगना - हम जैसे बड़े लोगों में फोन को लेकर इतना लगाव होता है, कि बिना काम के भी पूरे समय फोन हमारे साथ होता है और हम बार-बार उसे चेक करते हैं। फिर अगर बात बच्चों की हो, तो उनके लिए स्मार्टफोन या टेबलेट की लत बेहद खतरनाक हो सकती है। जिस उम्र में वह खेल-कूदकर अपनी इंद्रियों के आभास से दुनिया को समझता व सीखता है, उसमें इस तरह की लत लगने से बच्चे की प्राकृतिक योग्यताएं प्रभावित हो सकती हैं।
3 शारीरिक बदलाव - बचपन की असल पहचान ही खेलकूद से होती है। इस समय बच्चे खेल-कूद एवं विभिन्न क्रियाकलापों से अपना मानसिक और शारीरिक विकास करते हैं। लेकिन स्मार्टफोन या अन्य तकनीक की लत हो जाने पर बच्चे शारीरिक खेलों के कम महत्व देते हैं, जिससे कम उम्र में ही उनका स्वास्थ्य प्रभावित होता है। इनमें छोटी उम्र में मोटापा एक बड़ा कारण है, जो आगे चलकर अन्य बीमारियों को भी जन्म दे सकता है।
4 तकनीकी खेलों में बच्चे इतने ज्यादा रूचि लेते हैं, कि वे अन्य आवश्यक कार्यों को महत्व नहीं देते। इन तकनीकों के प्रभाव से नींद प्रभावित होना भी बेहद सामान्य सी बात है। आगे चलकर यह कारण बच्चे को चिड़चिड़ा बना सकता है और मानसिक समस्याओं को भी जन्म दे सकता है।
5 ऑनलाइन खेलों में अधिक रुचि लेने के कारण बच्चे अपनी आधारभूत योग्यताओं का अधिक प्रयोग नहीं कर पाते जिससे उनकी वे योग्यताएं प्रभावित होती हैं। गणित का अभ्यास एवं अन्य दिमागी व्यायाम बच्चे की दिमागी क्षमता को विकसित करते हैं। इन विषयों को नजर अंदाज करने पर आगे चलकर बच्चे कई बार सामान्य चीजों को हल कर पाने में भी असमर्थ होते हैं। इसका मुख्य कारण है कि वे अपने दिमाग को तकनीकी दायरे में बांधे रखते हैं।
6 तकनीकी दुनिया में भावों की अभिव्यक्ति का कोई महत्व नहीं होता। इसके माध्यम से आप केवल संदेश भेज सकते हैं, लेकिन उसके भावों का प्रदर्शन, आपके चेहरे व आवाज, चाल-ढाल व तरीकों से ही हो सकता है। तकनीक से जुड़ाव के कारण बच्चा अपने अंदर संचार की आधारभूत योग्यता नहीं ला पाता। इसके माध्यम से बच्चा न तो भावों को समझ पाता है, न ही जुड़ पाता है। इस तरह से वह खुद भी अपने भावों की सशक्त अभिव्यक्ति नहीं दे पाता। ऐसे में वह मानवीय संवेदनाओं को समझने और समझाने में असमर्थ होता है।
7 स्मार्टफोन के माध्यम से बच्चा बहुत जल्दी उन बातों के संपर्क में आ जाता है, जिनके लिए उसकी उम्र बहुत कम होती है। ऐसे में पूर्ण जानकारी न होने के कारण बच्चे का मानसिक स्तर और विकास नकारात्मक रूप से प्रभावित हो सकता है। यही नहीं वह तनाव, किसी प्रकार की चिंता या बेचैनी, अलगाव, मानसिक समस्या व असामान्य बर्ताव जैसी चीजों का शिकार बन सकता है। इस उम्र में यह सभी चीजें बच्चे के लिए बेहद नकारात्मक होती हैं।
8 शोध में यह बात सामने आई है, कि कम उम्र में तकनीक का उपयोग बच्चे को गुस्सैल व क्रूर भी बना सकता है। उसके अंदर प्रतिस्पर्धी भावना जन्म लेने लगती है और वह असंवेदनशील हो सकता है। ऐसे में बच्चा जीतने के लिए कुछ भी कर सकता है। यह भावना उसके अंदर नकारात्मक गतिविधियों को जन्म देती हैं।
9 स्मार्टफोन या टेबलेट स्क्रीन का लगतार आंखों के संपर्क में होने से बच्चे की आंखों पर असर पड़ सकता है। कम उम्र में बच्चों में आंखों की समस्याएं जन्म लेने लगती है, और उन्हें चश्मा लग जाता है। लेकिन यह समस्या कुछ दिनों की नहीं बल्कि ताउम्र की भी हो सकती है। इसलिए कोशिश कीजिए कि आपको बच्चा स्क्रीन के अधिक नजदीक न हो, और दूरी बनाए रखे।
10 बच्चों को इन चीजों से दूर रखा जाए इसका एक महत्वपूर्ण कारण यह भी है, कि बच्चे इनके रखरखाव से वाकिफ नहीं होते हैं, ना ही अन्य जरूरी निर्देशों से। इस तरह से आपका स्मार्टफोन, लैपटॉप या टेबलेट अगर आपकी अनदेखी या गैरमौजूदगी के चलते गलत तरीके से इस्तेमाल होता है, तो वह खराब भी हो सकता है। इसे ठीक करवाने में आपको जो खर्च आएगा वह तो अपनी जगह है, लेकिन अगर वह ठीक नहीं हो पाया तो आप कोई महत्वपूर्ण सामग्री खो भी सकते हैं।