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Last Updated : सोमवार, 23 जनवरी 2023 (13:43 IST)

किसान आत्महत्या को रोकने के लिए व्यापार से जुड़ें- पद्मश्री राहीबाई पोपेरे

महिला कृषि मेला कार्यशाला में पद्मश्री राहीबाई पोपेरे की अपील

किसान आत्महत्या को रोकने के लिए व्यापार से जुड़ें- पद्मश्री राहीबाई पोपेरे - Mahila Krishi Mela Amalner
अमलनेर- Shri Mangal Dev Grah Mandir Amalner: अंतरराष्ट्रीय पौष्टिक अनाज वर्ष 2023 के अवसर पर महाराष्ट्र के जलगांव के पास अमलनेर में स्थित प्राचीन मंगल देव ग्रह मंदिर के प्रसादालय में 22 जनवरी 2023 रविवार के दिन दोपहर 12 बजे महिला कृषि सभा का आयोजन किया गया। इसका मार्गदर्शन बीजमाता राहीबाई पोपेरे ने किया।
 
पद्मश्री राहीबाई पोपेरे ने इस अवसर पर कहा कि कृषि पर खर्च बढ़ा लेकिन आय घटी। इसके कारण किसान आत्महत्या की दर में वृद्धि हुई है। राहीबाई ने इस अनुपात को कम करने के लिए कृषि के साथ व्यापार को भी जोड़ने की अपील की। रविवार को अमलनेर में मंगल ग्रह सेवा संस्था एवं कृषि विभाग द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय पौष्टिक अनाज महोत्सव के अवसर पर श्री मंगल ग्रह मंदिर के प्रसादालय में महिला कार्यशाला का आयोजन किया गया। पद्मश्री राहीबाई पोपेरे इस सभा की मुख्य मार्गदर्शक थीं।


मुख्य अतिथि जिला कृषि अधिकारी प्रो. संभाजी ठाकुर, सुखदेव भोसले, पोषण विशेषज्ञ डॉ. अनिल पाटिल, डॉ. अपर्णा मुठे, प्रो. वसुंधरा लांडगे, गायत्री म्हस्के, अनिल भोकारे, सुबोध पाटील, संस्था के हरियाली सलाहकार, मंगलग्रह सेवा संस्था के कोषाध्यक्ष गिरीश कुलकर्णी, सचिव सुरेश बाविस्कर, संयुक्त सचिव दिलीप बहिरम, ट्रस्टी जयश्री साबे, दादाराम जाधव आदि मौजूद थे। 
पद्मश्री राहीबाई ने कहा कि आदिवासी समाज ने सच्चे अर्थों में संस्कृति को बचाने का प्रयास किया है। जंगली सब्जियां और पारंपरिक अनाज संस्कृति जीवित रहती है। आज भी आदिवासी अंचलों के नागरिक एक से डेढ़ किलोमीटर दूर से सिर से पानी लाकर स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। राहीबाई पोपेरे ने यह भी कहा कि आने वाली पीढ़ी को स्वस्थ और मजबूत रहने के लिए अभी से काम करना शुरू कर देना चाहिए।
 
मुझे मिट्टी के कारण पुरस्कार मिला : छोटी सी उम्र में सिर से मां का साया छूट गया था। पापा ने हम सात बहनों को पाला। घर की स्थिति के कारण दो बहनों की मौत हो गई और चार बहनें रह गई। गरीबी के कारण स्कूल नहीं गए, लेकिन आज कृषि की डिग्री लेने वाले कॉलेज के युवाओं का मार्गदर्शन करते हैं। काली मिट्टी की वजह से ही मुझे पद्मश्री समेत कई अवॉर्ड मिले हैं। प्रत्येक ग्रामीण महिला को पारंपरिक तरीके से स्वदेशी किस्मों का संरक्षण करना चाहिए।
 
मुझे मायके आने जैसा महसूस हुआ : रेतीली मिट्टी और कृषि के आराध्य देवता मंगल की दृष्टि से मैं अभिभूत हूं। अब तक मैंने कई जगहों पर जाकर महिलाओं का मार्गदर्शन किया है। लेकिन यह काबिले तारीफ है कि आज के कार्यक्रम में नारी शक्ति का गजब का उत्साह देखने को मिला। पद्मश्री पोपेरे ने भी कहा कि मंदिर परिसर को देखकर ऐसा लगा जैसे मैं मायके आयी हूं।...बैठक का संचालन योगेश पवार ने किया। धन्यवाद ज्ञापन दीपक चौधरी ने किया।
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