अमलनेर के मंगलदेव मंदिर में स्थित अद्भुत है भू-माता और पंचमुखी हनुमानजी की प्रतिमा
अमलनेर में श्री मंगल देवता के स्थान को प्राचीन और जागृत स्थान माना जाता है। यहां पर पंचमुखी हनुमानजी के साथ ही भू माता के साथ मंगलदेव विराजमान हैं। बताया जाता है कि यहां पर भू माता की विश्व की पहली प्रतिमा स्थापित की गई है। पंचमुखी हनुमान और भू माता के मूर्तियां पाले पाषाण की बनी हुई है जो कि दर्शन करने में बहुत ही अद्भुत है।
धरती माता को भूदेवी और भूमाता की कहा जाता है जो कि मंगलदेव की माता हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भू माता श्री हरि विष्णु की पत्नी हैं। कुछ ग्रंथों के अनुसार यह भगवान वराह की पत्नी हैं। हमारे वेद, उपनिषद, पुराणों में भूमाता का उल्लेख कई कथाओं में आता है। धरती देवी के लिए संस्कृत नाम 'पृथ्वी' है और उन्हें भूदेवी या देवी भूमि भी कहा जाता है। वे भगवान विष्णु भी पत्नी हैं। लक्ष्मी के 2 रूप माने जाते हैं- भूदेवी और श्रीदेवी। भूदेवी धरती की देवी हैं और श्रीदेवी स्वर्ग की देवी। पहली उर्वरा (उपजाऊ भूमि) से जुड़ी हैं व दूसरी महिमा व शक्ति से।
वाल्मीकि रामायण के अनुसार माता सीता की उत्पत्ति भू माता से होने का संदर्भ मिलता है। चंद्र और मंगल ग्रह की उत्पत्ति भी भू माता से मानी जाती है। इस बात को खगोलशास्त्र भी मान्यता देता है।
यहां स्थित पंचमुखी हनुमान की प्रतिमा भी अद्भुत है। पंचमुखी हनुमान का यह स्वरूप हर तरह के संकटों से बचाता है। हनुमानजी ने अहिरावण का वध करने के दौरान यह रूप धारण किया था। दरअसल, पांचों अलग अलग दिशाओं में पांच जगह पर रखें पांच दीपकों को एक साथ बुझाकर ही अहिरावण का वध किया जा सकता था। अहिररावण ने ये दीपक मां भवानी के लिए जलाए थे। इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने पर अहिरावण का वध हो जाएगा इसी कारण हनुमान जी ने पंचमुखी रूप धरा।