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Last Modified: शनिवार, 19 अप्रैल 2025 (16:42 IST)

क्या Maharashtra में BJP पर भारी पड़ेगा हिन्दी का दांव, क्या 19 साल बाद उद्धव और राज ठाकरे फिर होंगे एकसाथ

राज ठाकरे की मनसे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) दोनों ही महाराष्ट्र में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य बनाने के फडणवीस सरकार के फैसले का विरोध कर रही हैं।

Maharashtra
महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बड़ा उलटफेर होने वाला है। क्या उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) और राज ठाकरे (Raj Thackeray) 19 साल बाद फिर साथ होंगे। महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे के इंटव्यू में दिए बयान से महाराष्ट्र की राजनीति में वापस गर्माहट आ गई है। राज ठाकरे ने एक इंटरव्यू के दौरान कहा क उद्धव और मेरे बीच विवाद और झगड़े मामूली हैं। महाराष्ट्र इन सबसे कहीं बड़ा है। ये मतभेद महाराष्ट्र और मराठी लोगों के अस्तित्व के लिए महंगे साबित हो रहे हैं। एक साथ आना मुश्किल नहीं है, यह इच्छाशक्ति का मामला है। 
हिन्दी की अनिवार्यता दोनों को ला रही है पास
राज ठाकरे की मनसे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) दोनों ही महाराष्ट्र में कक्षा 1 से 5 तक हिंदी को अनिवार्य बनाने के फडणवीस सरकार के फैसले का विरोध कर रही हैं। विरोध के लिए दोनों को एक साथ एक मंच पर आने की आवश्यकता महसूस हो रही है। तो क्या अब बीजेपी इन दोनों को नजदीक लाने का काम कर रही है। 
 
उद्धव ने रखी शर्त 
पास आने की खबरों के बीच उद्धव ठाकरे ने कहा कि मैं छोटे-मोटे विवादों को अलग रखने के लिए तैयार हूं। मैं सभी मराठी लोगों से महाराष्ट्र के हित में एकजुट होने की अपील करता हूँ। लेकिन समस्या ये है कि जब हमने संसद में कहा कि उद्योगों को गुजरात में स्थानांतरित किया जा रहा है, अगर हम तब एकजुट होते, तो हम महाराष्ट्र के लिए काम करने वाली सरकार बना सकते थे। 
उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमने अपने मतभेद सुलझा लिए हैं, लेकिन पहले यह तय कर लें कि किसके साथ जाना है। मराठी हित में आप किसके साथ जाएंगे, यह तय कर लीजिए। फिर बिना शर्त समर्थन दीजिए या विरोध कीजिए, मुझे कोई आपत्ति नहीं है। मेरी एकमात्र शर्त महाराष्ट्र का हित है। लेकिन बाकी लोगों को, इन चोरों को, उनसे न मिलने की शपथ लेनी चाहिए, जाने-अनजाने में उनका समर्थन या प्रचार नहीं करना चाहिए। उद्धव ठाकरे ने राज ठाकरे को इस तरह जवाब दिया है।  Edited by: Sudhir Sharma
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