Maharashtra : 30 घंटे में CM तय नहीं तो महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन, जानिए क्या कहता है नियम
Presidents rule in Maharashtra : महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को प्रचंड जीत मिली, लेकिन अब मामला मुख्यमंत्री को लेकर है। 26 नवंबर को सरकार का कार्यकाल खत्म हो रहा है। महायुति में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान हो रही है। पिछले ढाई साल से शिवसेना के एकनाथ शिंदे मुख्यमंत्री बने हुए हैं। लेकिन, बदले राजनीतक समीकरणों और सत्ताधारी गठबंधन में भाजपा की शानदार जीत के कारण नए मुख्यमंत्री के नाम की चर्चा चल रही है।
इस वजह से अटकलें हैं कि अगर 26 नवंबर तक नए मुख्यमंत्री ने शपथ नहीं ली या नई सरकार का गठन नहीं हुआ तो मजबूरन राष्ट्रपति शासन लगाने की नौबत आ सकती है।
क्या कहता है नियम : नियम के मुताबिक देश के किसी भी राज्य में राष्ट्रपति शासन तभी लगाया जाता है जब कोई दल सरकार बनाने की स्थिति में न हो। या फिर सरकार गठन से पहले विधानसभा का कार्यकाल पूरा हो जाए। इसलिए निवर्तमान सरकार या विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने से पहले सरकार गठन की प्रक्रिया पूरी होना जरूरी है।
संविधान के अनुच्छेद 172 के अनुसार, राज्य विधानसभा का कार्यकाल सरकार गठन की तिथि से पांच वर्ष का होता है, जब तक कि उसे पहले भंग न कर दिया जाए। वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए यदि भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति या कांग्रेस के नेतृत्व वाली एमवीए 72 घंटों के भीतर सरकार बनाने में सक्षम नहीं होती है तो राज्य के राज्यपाल की सिफारिशों के आधार पर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग सकता है।
कार्यकाल समाप्त होने के बाद शपथ : राजनीतिक विशेषज्ञों ने इस तरह की अटकलों को खारिज कर दिया है कि मुख्यमंत्री के शपथग्रहण में देरी का परिणाम राष्ट्रपति शासन हो सकता है। महाराष्ट्र में पहले के कई ऐसे उदाहरण है कि मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह अक्सर विधानसभा का कार्यकाल समाप्त होने के बाद किया जाता था। 10वीं विधानसभा का कार्यकाल 19 अक्टूबर 2004 को समाप्त हुआ था। 11वीं विधानसभा के नए मुख्यमंत्री ने 1 नवंबर 2004 को शपथ ली थी। इनपुट एजेंसियां