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Written By WD Feature Desk
Last Updated : मंगलवार, 27 अगस्त 2024 (11:42 IST)

Mahabharat : महाभारत में शिखंडी इसलिए भीष्म पितामह को मारना चाहता था?

Story of shikhandi
Story of shikhandi
Story of shikhandi: शिखंडी का नाम सभी ने सुना होगा। शिखंडी को उसके पिता द्रुपद ने पुरुष की तरह पाला था तो स्वाभाविक है कि उसका विवाह किसी स्त्री से ही किया जाना चाहिए। ऐसा ही हुआ लेकिन शिखंडी की पत्नी को इस वास्तविकता का पता चला तो वह शिखंडी को छोड़ अपने पिता के घर चली गई। क्रोधित पिता ने द्रुपद के विनाश की चेतावनी दे दी।ALSO READ: महाभारत के राजा शांतनु में थीं ये 2 शक्तियां, जानकर चौंक जाएंगे
 
सत्यवती और शांतनु पुत्र विचित्रवीर्य के युवा होने पर भीष्म ने बलपूर्वक काशीराज की 3 पुत्रियों अम्बा, अम्बालिका और अम्बिका का हरण कर लिया और वे उसका विवाह विचित्रवीर्य से करना चाहते थे, क्योंकि भीष्म चाहते थे कि किसी भी तरह अपने पिता शांतनु का कुल बढ़े। लेकिन बाद में बड़ी राजकुमारी अम्बा को छोड़ दिया गया, क्योंकि वह शाल्वराज को चाहती थी। अन्य दोनों (अम्बालिका और अम्बिका) का विवाह विचित्रवीर्य के साथ कर दिया गया। 
 
अम्बा जब शाल्वराज के पास गई तो शाल्वराज से उसे ठुकरा दिया। तब वह अपने पिता के यहां गई तो पिता ने भी उन्हें शरण नहीं दी। तब थकहारकर अंबा ने भीष्म के सामने विवाह का निवेदन रखा, लेकिन उन्होंने तो आजीवन ब्रह्मचारी रहने व्रत लिया हुआ था। अंतत: अंबा ने परशुराम से न्याय की गुहार की। परशुराम ने भीष्म से युद्ध किया लेकिन परशुराम को निराशा ही हाथ लगी। तब निराश अंबा ने शिव की आराधना की और यह वरदान मांगा कि इच्छामृत्यु का वर पाए भीष्म की मृत्यु का कारण वह बने। शिव ने कहा कि यह अगले जन्म में ही संभव हो सकेगा। अंबा तब मृत्यु को वरण कर लेती है। यह अंबा ही शिखंडी के रूप में जन्म लेती है।ALSO READ: महाभारत के युद्ध में जब हनुमानजी को आया गुस्सा, कर्ण मरते-मरते बचा
 
इसी शिखंडी को भीष्म के सामने खड़ा कर दिया जाता है। भीष्म द्वारा बड़े पैमाने पर पांडवों की सेना को मार देने से घबराए पांडव पक्ष में भय फैल जाता है, तब श्रीकृष्ण के कहने पर पांडव भीष्म के सामने हाथ जोड़कर उनसे उनकी मृत्यु का उपाय पूछते हैं। भीष्म कुछ देर सोचने पर उपाय बता देते हैं। इसके बाद भीष्म पांचाल तथा मत्स्य सेना का भयंकर संहार कर देते हैं। फिर पांडव पक्ष युद्ध क्षे‍त्र में भीष्म के सामने शिखंडी को युद्ध करने के लिए लगा देते हैं। युद्ध क्षेत्र में शिखंडी को सामने डटा देखकर भीष्म अपने अस्त्र त्याग देते हैं। क्योंकि भीष्म की प्रतिज्ञा थी कि वे किसी स्त्री से युद्ध नहीं लड़ेंगे। 
 
भीष्म ने कृष्ण पर युद्ध धर्म के विरुद्ध आचरण करने का आरोप लगाते हुए एक स्त्री पर वार करने से मना कर अपना धनुष नीचे रख दिया। कृष्ण ने भीष्म को उत्तर दिया कि आपने हमेशा ही अपने द्वारा निर्धारित मानदंडों पर निर्णय लिया है और धर्म की अवहेलना की है। आज भी उन्हीं मानदंडों पर वे शिखंडी को स्त्री बता रहे हैं जिसका पालन उसके पिता ने पुरुष की तरह किया है और उसके पास यक्ष का दिया हुआ पुरुष-लिंग भी है।ALSO READ: Mahabharat : महाभारत में जिन योद्धाओं ने नहीं लड़ा था कुरुक्षेत्र का युद्ध, वे अब लड़ेंगे चौथा महायुद्ध
 
भीष्म के सामने अपने रथ पर खड़े शिखंडी ने लगातार भीष्म पर तीरों से वार किया लेकिन भीष्म के कवच से तीर टकराकर गिर जाते थे। शिखंडी के तीरों में इतनी शक्ति नहीं थी कि वे भीष्म की छाती को छेद पाते। तब अर्जुन भी पीछे से भीष्म पर वार करने लगे। अर्जुन और शिखंडी के तीरों के रंग एक थे। इसीलिए और नजर कमजोर होने के कारण भीष्म अर्जुन के तीरों को नहीं पहचान पाए। इस तरह शिखंडी के कारण भीष्म को शरशय्या मिली।
- अनिरुद्ध जोशी
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