कहते हैं कि बुद्धिबल, शस्त्रबल से भी ज्यादा खतरनाक होता है। महाभारत में कृष्ण, शकुनि, भीष्म, विदुर, द्रोण आदि ऐसे लोग थे जिन्होंने अपने बुद्धिबल का प्रयोग किया। उन्हीं में से एक शकुनि कौरवों की ओर थे।
पहली बात तो यह कि शकुनि राजनीति और कूटनीति में माहिर व्यक्ति था। अपने शत्रुओं को कैसे हराया जाए, वह यह अच्छी तरह जानता था। खासकर उसने एक तीर से दो निशाने साध रखे थे। पहला तो यह कि दुर्योधन के साथ रहकर उसने पांडवों के विनाश की योजना बनाई और दूसरा यह कि इसी विनाश में छुपा था दुर्योधन के विनाश का प्लान भी।
सर्वप्रथम उसने गांधारी व धृतराष्ट्र को अपने वश में करके धृतराष्ट्र के भाई पांडु के विरुद्ध षड्यंत्र रचने और राजसिंहासन पर धृतराष्ट्र का आधिपत्य जमाने को कहा। फिर धीरे-धीरे शकुनि ने दुर्योधन को अपनी बुद्धि के मोहपाश में बांध लिया। शकुनि ने न केवल दुर्योधन को युधिष्ठिर के खिलाफ भड़काया बल्कि महाभारत के युद्ध की नींव भी रखी। कौरवों को छल व कपट की राह सिखाने वाले शकुनि उन्हें पांडवों का विनाश करने में पग-पग पर मदद करते थे, लेकिन उनके मन में कौरवों के लिए बदले की भावना भी थी।
जब युधिष्ठिर हस्तिनापुर का युवराज घोषित हुआ, तब शकुनि ने ही लाक्षागृह का षड्यंत्र रचा और सभी पांडवों को वारणावत में जिंदा जलाकर मार डालने का प्रयत्न किया। शकुनि के कारण ही महाराज धृतराष्ट्र की ओर से पांडवों व कौरवों में होने वाले विभाजन के बाद पांडवों को एक बंजर पड़ा क्षेत्र सौंपा गया था, लेकिन पांडवों ने अपनी मेहनत से उसे इन्द्रप्रस्थ में बदल दिया। शकुनि पैर से लंगड़ा तो था, पर चौसर अथवा द्यूतक्रीड़ा में अत्यंत प्रवीण था। उसी ने पांडवों को इस खेल में उलझाकर उनसे राजपाट छीनकर उन्हें 12 वर्ष का वनवास और 1 वर्ष के अज्ञातवाश में जाने के लिए मजबूर कर दिया था...।
अब सवाल यह उठता है कि भारत की वर्तमान राजनीति में शकुनि कौन है?
कई ऐसे दल हैं, जो वनवास भोगने के बाद राजनीति में आए और कई ऐसे दल भी हैं, जो अभी भी वनवास भोग रहे हैं। यदि हमारे देश में पार्टियों के चरित्र को व्यक्तियों के चरित्र में बदल दिया जाए तो भी इस प्रश्न का हल ढूंढा जा सकता है। यह भी कि हर व्यक्ति की दृष्टि में शकुनि अलग-अलग हो सकता है। हालांकि किसी व्यक्ति विशेष को आप शकुनि नहीं कह सकते हैं। लेकिन यहां यह कहना होगा कि शकुनि मैं अच्छे गुण भी थे। शकुनि ने जो भी किया, वह तो वर्तमान राजनीति में सभी पक्ष के लोग करते हैं। आज के राजनेताओं के चाल, चरित्र और चेहरे को देखककर आपको क्या लगता है?
वर्तमान में भारत के नेता और राजनेता एक-दूसरे के दल में दुर्योधन, दुशासन और शकुनि को ढूंढते हैं। सभी दल खुद को पांडवों का दल समझते हैं, लेकिन वर्तमान में कौन कौरव और कौन पांडव है? यह तो जनता ही जानती है। दरअसल, हर दल में आपको दुर्योधन, दुशासन या शकुनि मिल ही जाएंगे।
शकुनि ने पांडवों के खिलाफ साम, दाम, दंड और भेद इन चारों नीतियों का उपयोग किया था। इसी तरह वर्तमान राजनीति में कोई भी व्यक्ति या दल अपनी जीत या अपने बचाव के लिए इन्हीं 4 तरह की नीतियों का उपयोग कर रहा है। वर्तमान राजनीति में रोज झूठ बोले जा रहे हैं, झूठे प्रचार किए जा रहे हैं, झूठे आरोपों के बादल पर भ्रम फैलाया जा रहा है। फेक ऑडियो, वीडियो व मैसेज वायरल किए जा रहे हैं। रुपयों के दम पर लोगों को खरीदा जा रहा है। दंड नीति का उपयोग भी किया जा रहा है। भेद के द्वारा गठबंधन तोड़े जा रहे हैं। नेताओं को भड़काकर अपने दल में शामिल किया जा रहा है...। यही तो हुआ था महाभारत में भी!