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Last Updated : बुधवार, 31 मई 2017 (14:33 IST)

भोपाल में तनाव, प्रशासन की लापरवाही से बिगड़े हालात

भोपाल में तनाव, प्रशासन की लापरवाही से बिगड़े हालात - Tension in Bhopal
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में 30 मई को उत्पन्न हुए तनाव को लेकर एक बात सामने आ रही है कि यदि प्रशासन समय पर चेत जाता तो संभवत: हालात बिगड़ते ही नहीं। क्योंकि व्हाट्‍सएप आदि माध्यमों से लोगों को उकसाने की कोशिश की जा रही थी, जिस पर प्रशासन का ध्यान ही नहीं गया।  
 
ध्यान रखने वाली बात यह है कि 29 मई को एक मुस्लिम संगठन ने पत्र लिखकर लोगों से अपील की थी कि हमीदिया मस्जिद को आबाद रखने के लिए जानोमाल से हिस्सा लें। यह पत्र प्रशासनिक अधिकारियों की नजर में भी आया होगा, लेकिन किसी ने भी इसे गंभीरता से नहीं लिया। यदि ऐसा होता हालात बिगड़ते ही नहीं। स्थानीय लोगों का भी मानना है कि पहले ही पर्याप्त सुरक्षा के इंतजाम कर दिए जाते तो यह स्थिति पैदा ही नहीं होती। 
 
  • प्रशासन 3 महीने से चल रहे विवादित स्थल के मामले को नहीं सुलझा पाया                 
  • 5 घंटे तक पुराने शहर में तनाव, हंगामा, मारपीट, तोड़फोड़ और आगजनी
  • भीड़ को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े, लाठीचार्ज भी किया
  • करीब 12 गाड़ियों को जलाया। कई गाड़ियों में की तोड़फोड़
  • पुलिस की गाड़ी में तोड़फोड़, पथराव में कई पुलिस कर्मी भी घायल
  • उपद्रवियों ने आम लोगों के साथ भी मारपीट की। 
अब अफवाहों का दौर : अब व्हाट्‍सअप के जरिए अफवाहें फैलाकर माहौल को गर्म रखना चाहते हैं। कहा जा रहा है कि तनाव के मद्देनजर भोपाल में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई हैं, जबकि हकीकत में ऐसा कुछ भी नहीं। भोपाल से ही लोगों ने पुष्टि की है कि वहां इंटरनेट सेवाओं में किसी भी तरह का अवरोध नहीं है। तनाव के दौरान ही एक अन्य मैसेज चलाया गया कि एक वर्ग विशेष के 70 लोगों फंसे हुए हैं। भीड़ ने उन्हें घेर लिया है। अत: लोगों से भी अनुरोध है कि इस तरह के किसी भी मैसेज के बहकावे में आकर कोई अनुचित कदम न उठाएं।
 
क्या हुआ था भोपाल में : पुराने भोपाल के इलाकों में मंगलवार देर रात दो समुदायों के बीच झड़प और पथराव होने के बाद उपद्रवियों ने लगभग एक दर्जन वाहनों और कुछ दुकानों में आग लगा दी। पथराव में पुलिसकर्मियों सहित कुछ लोग घायल हुए हैं। स्थिति को काबू में करने के लिये पुलिस को आंसूगैस के गोले छोड़ने पड़े तथा हवाई फायर भी करने पड़े। इसके बाद सुरक्षा बढ़ा दी गई। 
 
पुलिस अधीक्षक (उत्तर) अरविंद सक्सेना ने बताया कि पुलिस ने 8 लोगों को हिरासत में लिया है। दोनों समुदायों के सदस्यों को आपस में बातचीत के द्वारा तनाव कम कराने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐहतियात के तौर पर पुराने शहर में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है।
 
विवाद की जड़ : विवाद तब शुरु हुआ था जब हमीदिया अस्पताल के नए भवन के निर्माण की खुदाई के दौरान एक ढांचा निकलने की बात सामने आई। दोनों समुदायों के लोगों ने इस ढांचे को अपने से सम्बद्ध बताते हुए इस पर अपना दावा जताना शुरू ‍कर दिया। इससे दोनों समुदायों के बीच तनाव बढ़ता ही गया और सोशल मीडिया ने अफवाहों को फैलाकर आग में घी का काम किया।
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