Madhya Pradesh Crisis: ‘महाराज’ के भरोसे मध्यप्रदेश में लौटेगा फिर शिव'राज' ?
मध्यप्रदेश में महाराज की बगावत के बाद कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल मंडरा रहे है। एक ओर कमलनाथ सरकार पर संकट के बादल है तो दूसरी ओर भाजपा एक बार फिर प्रदेश में सरकार बनाने की तैयारी में दिख रही है। भले ही पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान इस पूरी कवायद को राज्यसभा चुनाव की तैयारी बता रहे है लेकिन अंदरखाने ही महाराज के सहारे शिवराज चौथी बार मुख्यमंत्री बनने की तैयारी में दिख रहे है।
ऑपरेशन कमल की पूरी कमान संभालने वाले शिवराज को पंद्रह साल की सत्ता से बेदखल करने में अहम भूमिका निभाने वाले सिंधिया ही अब शिवराज को चौथी बार मुख्यमंत्री बनाने में अहम रोल निभाएंगे। भले ही शिवराज पूरे सियासी घटनाक्रम को राज्यसभा से जुड़ी कवायद बता रहे हो लेकिन उनका अब से कुछ देर पहले किया गया ट्वीट पूरी तस्वीर को साफ करता है, शिवराज सिंह चौहान ने लिखा कि राजनीति हो या सामान्य जीवन कोई शत्रु नहीं होता है बल्कि परिस्थितियां ही केवल विपरीत होती हैं हालात सामान्य होने की प्रतीक्षा कीजिए, परिणाम सुखद होंगे।
सिंधिया की बगावत और कांग्रेस के 22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कमलनाथ सरकार अब तक सबसे बड़े संकट से जूझ रही है। सोलह मार्च से शुरू होने वाले बजट सत्र में सरकार को अगर बहुमत साबित करना पड़ा तो वर्तमान सियासी परिदृश्य में फ्लोर पर बहुमत से बहुत दूर रह जाएगी।
22 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के अपने विधायकों की संख्या 92 पहुंच गई है, वहीं भाजपा के विधायकों का आंकड़ा 107 है, मध्यप्रदेश में सियासी चौसर पर जारी शह-मात के खेले में धीरे धीरे अब राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष की अहम भूमिका होने जा रही है। भाजपा सरकार चौथी बार सत्ता में वापस लौटेगी और शिवराज चौथी बार मुख्यमंत्री बनेंगे या नहीं यह पूरा निर्भर राजभवन और विधानसभा अध्यक्ष के रूख पर करेगा।
बेंगलुरु में ठहरे कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष केल पास पहुंच गए लेकिन वह स्वीकार होंगे इस पर बड़ा सस्पेंस बना हुआ है।जहां एक ओर भाजपा के तय नेता उसे नियम प्रकिया के तहत दिया गया इस्तीफा बता रहे है तो दूसरी ओर विधानसभा स्पीकर का यह बयान कि वह नियम प्रकिया के अनुसार निर्णय लेंगे इसके बाद विधायकों के इस्तीफे स्वीकार होंगे ये बड़ा सवाल बना हुआ है।