शुक्रवार, 29 नवंबर 2024
  • Webdunia Deals
  1. खबर-संसार
  2. समाचार
  3. मध्यप्रदेश
  4. Karavad Municipal Council Election
Written By
Last Modified: शनिवार, 20 जनवरी 2018 (23:16 IST)

राइट टू रिकॉल के तहत हारीं नगर परिषद अध्यक्ष

राइट टू रिकॉल के तहत हारीं नगर परिषद अध्यक्ष - Karavad Municipal Council Election
- कुंवर राजेन्द्रपाल सिंह सेंगर
बागली। करनावद नगर परिषद अध्यक्ष कांताबाई राधेश्याम पाटीदार को सभी 15 पार्षदों द्वारा लाए गए अविश्वास प्रस्ताव के बाद राइट टू रिकॉल के तहत हुए खाली कुर्सी-भरी कुर्सी चुनाव में 825 मदों से हार गई हैं। 2014 में हुए नगरीय निकाय चुनावों में भाजपा प्रत्याशी रहते हुए उन्होंने अपने समेत पांच प्रत्याशियों के मध्य अपने निकटतम प्रत्याशी पर 1033 मतों से जीत दर्ज की थी। 
 
राइट टू रिकॉल निर्वाचन में नगर परिषद करनावद में कुल 7508 मतदाता थे। इसमें पूर्व अध्यक्ष कांताबाई को 2270 मत मिले जबकि उन्हें पद से हटाने के लिए 3123 मत डाले गए। नगर के 15 वार्डों में वे केवल 4 में ही बढ़त बना सकीं। वर्ष 2014 में गठित नगर परिषद में दलीय स्थिति के अनुसार भाजपा के 9 और कांग्रेस के 6 पार्षद थे। वर्तमान में 4 पार्षदों ने दल बदल किया और वे कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आ गए। इस कारण 13-2 की स्थिति हो गई, लेकिन विकास कार्य नहीं होने, परिषद में असंतोष और विश्वास की कमी की बात पर सभी 15 पार्षद अविश्वास प्रस्ताव लेकर आए। 
 
इस कारण कारण राइट टू रिकॉल की स्थिति बनी। कांताबाई के विरुद्ध यह दूसरा अविश्वास प्रस्ताव था। पहली बार तो भाजपा पार्षदों को समझा दिया था, लेकिन दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव आने पर संगठन मौन हो गया। दूसरी बार के प्रस्ताव परिषद के उपाध्यक्ष सहित भाजपा संगठन के ही कुछ लोगों की सक्रिय भागीदारी होने की खबरें भी बाहर आईं। 
 
करनावद नगर परिषद बागली विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा है, जो कि अपने अस्तित्व में आने के बाद से ही भाजपा का मजबूत किला मानी जाती है। वर्ष 2014  में हुए नगरीय निकाय निर्वाचन में बागली अनुभाग की तीनों नगर परिषदों बागली, हाटपीपल्या और करनावद में अध्यक्ष पद पर भाजपा अध्यक्ष निर्वाचित हुए थे। वर्तमान में बागली के मौजूदा विधायक चंपालाल देवड़ा अपने दूसरे कार्यकाल में है जबकि खंडवा लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा बागली विधानसभा के क्षेत्रीय सांसद नंदकुमार सिंह चौहान वर्तमान में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष हैं। इसके बावजूद संगठन और जनप्रतिनिधि मिलकर भी पार्षदों और अध्यक्ष के बीच के गतिरोध को दूर नहीं कर सके। 
ये भी पढ़ें
दिल्ली के बवाना में पटाखा फैक्टरी में लगी आग, 17 लोगों की मौत