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Last Updated : सोमवार, 20 जनवरी 2025 (12:20 IST)

कांग्रेस में गुटबाजी पर जीतू पटवारी का छलका दर्द, कैंसर से की तुलना

कांग्रेस में गुटबाजी पर जीतू पटवारी का छलका दर्द, कैंसर से की तुलना - Jitu Patwari expresses pain over factionalism in Congress
भोपाल। मध्यप्रदेश कांग्रेस कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी का पार्टी में गुटबाजी को लेकर दर्द फिर सामने आया है। महू में आगामी 27 जनवरी को होने वाले कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर पहुंच जीतू पटवारी ने कहा कि कांग्रेस में गुटबाजी का कैंसर है। इस कैंसर को हमें खत्म करना पड़ेगा नहीं तो हम खत्म हो जाएंगे।

बाबा साहेब अंबडेकर की जन्मस्थली महू में आयोजित होने वाले 'जय बापू, जय भीम और जय संविधान'  की तैयारियों को लेकर धार पहुंचे पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने पार्टी में ग्रुपिज्म और गुटबाजी का जिक्र करते हुए  कहा कि पार्टी के अंदर मौजूद गुटबाजी कैंसर की तरह है। पटवारी ने गुटबाजी की कैंसर से तुलना करते हुए कहा कि गुटबाजी के चलते कांग्रेस पार्टी में कैंसर की बीमारी फैली है, जिससे उबरना जरूरी है।

क्यों सामने आया जीतू पटवारी का दर्द?- 2023 विधानसभा चुनाव में मध्यप्रदेश में कांग्रेस की बुरी हार के बाद पार्टी  की कमान संभालने वाले जीतू पटवारी की लाख कोशिशों के बाद भी उनकी पार्टी के बड़े नेताओं के तालमेल नहीं  बन पा रहा है। पिछले दिनों भोपाल में पार्टी  की बैठक में जिस तरह से पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने सवाल उठाए, वह काफी सुर्खियों में रही। कमलनाथ और दिग्विजय ने जीतू पटवारी के  कामकाज के तरीके पर तीखे सवाल उठाए थे। कांग्रेस में गुटबाजी के कारण ही जीतू पटवारी को अपनी नई कार्यकारिणी घोषित करने में एक साल से अधिक समय लग गया है। पिछले साल कमलनाथ और नकुलनाथ के इशारे पर छिंदवाड़ा और पांढुर्ना जिले की कार्यकारणी भंग कर दी गई थी वह भी गुटबाजी का ही प्रमाण था।

इस तरह पार्टी के सीनियर नेता और विधायक अजय सिंह भी जीतू पटवारी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठा चुके है। पिछले साल लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की बुरी तरह हार के बाद अजय सिंह ने कहा था कि जीतू पटवारी के कार्यकाल में बड़ी संख्या में नेता और कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस छोड़ कर भाजपा का दामन क्यों थामा, इसके साथ ही पार्टी छोड़कर अन्य दलों में जा रहे नेताओं और कार्यकर्ताओं को रोकने के लिए क्या कदम उठाए गए, इसकी समीक्षा और चर्चा की जानी चाहिए। वहीं पार्टी के सीनियर नेता विवेक तनखा ने प्रदेश में कांग्रेस की नई लीडरशिप को आगे लाने की बात कही थी।

वहीं जीतू पटवारी लगातार पार्टी के बड़े नेताओं के साथ सहयोग की आस लगाए हुए है, पिछले दिनों भोपाल में पार्टी की बैठक में जीतू पटवारी के आंसू भी छलक पड़े थे। ऐसे में जब 27 जनवरी को कांग्रेस संविधान को लेकर बाबा साहेब अंबेडकर की जन्मस्थली महू में अपना शक्ति प्रदर्शन करते हुए मोदी सरकार के खिलाफ देशव्यापी अभियान का आगाज करने जा रही है, तब यह जरूरी है कि कांग्रेस के सभी नेता एक मंच पर आकर गुटबाजी की खबरों को विराम दें और मध्यप्रदेश में कांग्रेस एक मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाने के साथ पार्टी संगठन को  नए सिरे से खड़ा कर सके।
 
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