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Last Updated :इंदौर , बुधवार, 16 सितम्बर 2015 (11:16 IST)

शास्त्रोक्त और इको फ्रेंडली गणपति

शास्त्रोक्त और इको फ्रेंडली गणपति - Ganapati
इंदौर। पर्यावरण को होते नुकसान के मद्देनजर इस बार इंदौर के कई इलाकों में इको फ्रेंडली गणपति की स्थापना होगी। इतना ही नहीं इन गणेश प्रतिमाओं को शास्त्रोक्त विधि से निर्मित किया गया है। 
 

 
माटी गणेश के नाम से इको फ्रेंडली और शास्त्रोक्त गणपति के संबंध में रौनक और रचित खंडेलवाल कहते हैं कि गणेशोत्सव पर इस तरह का प्रयोग देश में पहली बार हो रहा है। शास्त्रोक्त तरीके से माटी की मूर्तियां बनाने के लिए विद्वानों का मार्गदर्शन लिया गया है साथ ही पर्यावरणविदों की देखरेख में इनका निर्माण किया गया है।
 
रौनक बताते हैं कि माटी गणेश प्रतिमाएं बनाने के पहले हम लोग वेद और शास्त्रों के ज्ञाता, संस्कृत महाविद्यालय के के प्राचार्य डॉ. विनायक पांडेय और प्रख्यात  पर्यावरणविद पद्मश्री कुट्टी मेनन साहब और चित्रकार शुभा वैद्य से मिले थे। 
 
डॉ.  पांडेय और संस्कृत कॉलेज के अन्य विद्वानों ने विभिन्न पुराणों और शास्त्रों से संदर्भ लेकर मिट्टी की प्रतिमाएं बनाने का शास्त्रीय विधान बताया। उनके मार्गदर्शन में मिट्‍टी में पांच पवित्र नदियों का जल, सात तीर्थों की मिट्टी, पंच गव्य, पंचामृत, दूर्वा सहित कुल 56 औषधियों के अर्क को मंत्रों से अभिप्राणित कर मिलाया गया।  मूर्ति बनाने के स्थान पर 24 घंटे गण्पति के बीज मंत्र का ऑडियो चलता रहा ताकि मंत्र की सकारात्मक ऊर्जा मूर्ति में समा सके।
 
प्रतिमाओं पर कोई रंग नहीं किया गया है। ये मिट्टी के प्राकृतिक रंग में उपलब्ध होंगी। उनके मुताबिक शास्त्रों में भी गणपति पर रंग करने का कोई विधान नहीं है। उन्होंने कहा कि एक बाल्टी पानी में गणेशजी विसर्जित होंगे साथ ही इस पानी को पौधों में डालने से वे जल्दी बढ़ेंगे।