मानव अधिकार संरक्षण के नाम पर फर्जीवाड़ा, ग्वालियर में 3 लोगों को पुलिस ने पकड़ा, आप भी रहें सावधान
Fraud in Gwalior in the name of human rights: मानव अधिकार संरक्षण के नाम पर कुछ लोग किस तरह फर्जीवाड़ा कर लोगों से वसूली करते हैं इसका हाल ही में एक मामला ग्वालियर में सामने आया है, जहां पुलिस ने 3 लोगों को गिरफ्तार किया है। मानव अधिकार संरक्षण की आड़ में कुछ लोगों ने एक ब्यूटी पार्लर संचालक से 50 हजार रुपए की मांग की और नहीं देने पर छापा पड़वाने की धमकी भी दी। ये लोग अपने वाहन पर मानव अधिकार आयोग के लोगो के रंग से मिलते-जुलते रंग का इस्तेमाल कर रहे थे, इन्होंने परिचय-पत्र भी बनवा रखे थे। दरअसल, इस तरह फर्जीवाड़े से लोगों को सतर्क रहना चाहिए और इनके बारे में तत्काल पुलिस को सूचना देनी चाहिए।
क्या है पूरा मामला : ग्वालियर के पटेल नगर में छत्तीसगढ़ निवासी समीर शेख एक गोल्डन पैटल्स ब्यूटी पार्लर का संचालन करता है। समीर ने विश्वविद्यालय पुलिस थाने को बताया कि कुछ लोग मेरे पार्लर में आए और खुद को मानव कल्याण एवं मानव अधिकार संरक्षण संस्था का सदस्य बताकर वीडियो बनाना शुरू कर दिया। उस समय ब्यूटी पार्लर में कुछ महिलाएं भी थीं। आरोपियों ने धमकी देते हुए कहा कि यहां पर गलत काम होता है। तुम्हें 50 हजार रुपए का इंतजाम करना होगा अन्यथा छापा पड़वा देंगे। साथ ही सेक्स रैकेट चलाने का केस बनवाकर जेल भिजवा देंगे।
बताया जाता है कि आरोपियों ने ब्यूटी पार्लर संचालक को अपने परिचय पत्र भी दिखाए और धमकाया कि हमें सरकार से अधिकार मिला है। यदि हमारी बात नहीं मानी तो ब्यूटी पार्लर पर छापा डलवा देंगे। इन लोगों के नाम अनूप गुर्जर, संतोष राजावत, अमित नरवरिया बताए गए हैं। इन लोगों ने समीर को फोन पर भी धमकियां दीं। यूनिवर्सिटी पुलिस ने इनके खिलाफ एफआरई दर्ज की है। तीनों आरोपियों को हिरासत में लिया गया है।
क्या कहते हैं आईजी मानवाधिकार : पुलिस महानिरीक्षक और मानवाधिकार आयोग मध्य प्रदेश के प्रभारी सचिव अशोक गोयल (IPS) ने इस बारे में वेबदुनिया को बताया कि आयोग एक संवैधानिक संस्था है। इससे मिलते-जुलते नाम अथवा परिचय पत्र का उपयोग अवैधानिक है। संस्था के 'लोगो' से मिलते-जुलते रंगों का उपयोग भी परिचय पत्र और वाहन पर नहीं किया जा सकता है। इस तरह के लोगों पर पुलिस को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने लोगों से अपील की इस तरह के जालसाजों से सतर्क रहें, उनके झांसे में नहीं आएं। यदि संदेह हो तो तत्काल पुलिस को सूचित करें। मानव अधिकार आयोग का इस तरह की संस्थाओं से कोई भी लेना-देना नहीं होता है।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala