मुरैना शराब कांड के बाद नई शराब दुकानों को खोलने पर मध्यप्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के परस्पर विरोधाभासी बयान सामने आने के बाद अब इसमें पूर्व मुख्यमंत्री उमाभारती की भी एंट्री हो गई है। मुरैना शराबकांड के बाद प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने सार्वजनिक तौर पर कहा कि ऐसी घटना अवैध शराब के बिकने से होती है इसलिए वह मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से नई शराब नीति में दूरदराज इलाकों में शराब की दुकानें खोले जाने की मांग करेंगे।
गृहमंत्री के नई शराब दुकानें खोले जाने की बात पर जब कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने शिवराज सरकार को घेरने की कोशिश की तो खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने आगे आकर साफ किया कि प्रदेश में नई शराब दुकानें खोले जाने का अभी कोई भी निर्णय नहीं लिया गया है।प्रदेश में अवैध शराब की रोकथाम के लिए आज शाम कलेक्टर-कमिश्नर और एसपी-आईजी कांफ्रेंस में क्रांतिकारी निर्णय होंगे। बैठक में मुख्यमंत्री जी से ग्रामीण क्षेत्रों में शराब दुकानों की संख्या बढ़ाने के बारे में अनुरोध करूंगा। इससे अमानक और जहरीली शराब की बिक्री पर अंकुश लगेगा।@mohdept pic.twitter.com/pmKJXHHGMY
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) January 19, 2021
सियासी गलियारों में मुख्यमंत्री के दो टूक नई शराब नहीं खोलने के बयान को मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के बीच मतभेद से जोड़कर देखा जा रहा था। इस बीच गुरुवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती नेप्रदेश में अवैध शराब की बिक्री पर अंकुश लगाने के लिए मैंने दुकानों की संख्या बढ़ाने की तर्क सम्मत बात सबके सामने रखी है। इस पर अंतिम निर्णय लेने का पूरा अधिकार मुख्यमंत्री जी को है। इस बारे में मतभेद जैसी कोई बात नहीं है।@mohdept @BJP4MP https://t.co/zycV6lpwfG pic.twitter.com/ZH84zvdLGd
— Dr Narottam Mishra (@drnarottammisra) January 21, 2021
मध्यप्रदेश में पूर्ण शराबबंदी की मांग उठाकर एक नई बहस छेड़ दी। इसके साथ ही उमा भारती ने बड़ा आरोप लगाते हुए कहा कि शराब माफिया के दबाव में शराब बंदी नहीं हो पाती है।
नई दुकानें खोलने के लिए कलेक्टर से मांगा प्रस्ताव-सियासत के साथ सरकार भी नई शराब की दुकानों पर बंटी हुई दिखाई दे रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा बार-बार कह रहे है कि नई शराब की दुकानें खोलने को लेकर अभी कोई प्रस्ताव विचाराधानी नहीं है तो दूसरी ओर आबकारी आयुक्त की ओर से जिलों के कलेक्टरों को पत्र भेजकर नई दुकानें खोलने के बारे में प्रस्ताव मांगे गए है।3.अभी हाल में उ0प्र0 एवं म0प्र0 में शराब पीने से बड़ी संख्या में लोगों की मृत्यु हुई सड़क दुर्घटनाओं के अधिकतर कारण तो ड्राइवर का शराब पीना ही होता है यहबड़े आश्चर्य की बात हैकि शराब मृत्यु का दूत है फिरभी थोड़े से राजस्व का लालच एवं शराब माफिया का दबाव शराबबंदी नहीं होने देता है
— Uma Bharti (@umasribharti) January 21, 2021
आबकारी आयुक्त राजीव चंद्र दुबे की ओर से कलेक्टरों को भेजे पत्र में शहरी क्षेत्रों में कम से कम 20 नई दुकानें खोलने और पांच हजार की आबादी वाले गांवों में जहा सरकारी शराब की दुकानें नहीं है वहां दुकान खोले जाने का प्रस्ताव अनिवार्य रुप से मांगा गया है। ऐसे में यह सवाल उठ खड़ा हो रहा है कि क्या नई शराब नीति को लेकर भी क्या सरकार के अंदर भी मतभेद है या सरकार कुछ छुपा रही है।