कभी हॉकी स्टिक नहीं पकड़ी, फिर राजीव गांधी के नाम पर खेल सम्मान क्यों था?
इंदौर, देश के सर्वोच्च खेल सम्मान का नाम राजीव गांधी खेल रत्न से बदलकर “मेजर ध्यानचंद खेल रत्न” किए जाने के केंद्र सरकार के फैसले का स्वागत करते हुए मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने शुक्रवार को कहा कि इस अलंकरण का नाम पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर रखे जाने का कोई औचित्य ही नहीं था।
मिश्रा ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा, मैं मन की गहराइयों से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त करता हूं कि उन्होंने खेल रत्न सम्मान का नाम बदलकर इसे मेजर ध्यानचंद के नाम पर करने की घोषणा की।
उन्होंने कहा, मैं आज तक समझ नहीं सका हूं कि खेल रत्न सम्मान राजीव गांधी के नाम पर क्यों था? उन्होंने तो अपने जीवनकाल में कभी हॉकी स्टिक तक नहीं पकड़ी थी।” मिश्रा ने कांग्रेस की पिछली सरकारों पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि ये सरकारें केवल नेहरू-गांधी परिवार की “स्तुति” में इस कदर डूबी थीं कि उन्हें ध्यानचंद जैसी महान हस्ती के नाम पर किसी बडे़ खेल पुरस्कार के नामकरण की बात तक नहीं सूझी थी।
बता दें कि मिश्रा के पास राज्य का कानून मंत्रालय भी है। उन्होंने बताया कि संगठित अपराधों को अंजाम देने वाले लोगों से सख्ती से निपटने के लिए राज्य सरकार नया कानून बना रही है जिसमें गिरोह चलाने वालों और उनके सहयोगियों के लिए 10 साल तक के कारावास और 30,000 रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान होगा।
मिश्रा ने बताया कि मध्य प्रदेश गैंगस्टर निरोधक अधिनियम के रूप में पेश किए जाने वाले इस प्रस्तावित कानून के तहत मुजरिमों की संपत्तियां प्रदेश सरकार द्वारा जब्त भी की जा सकेंगी। उन्होंने बताया कि प्रस्तावित कानून के तहत शराब माफिया, भू-माफिया, खनिज माफिया, वन माफिया, जुए के अड्डे चलाने वाले बदमाशों आदि के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
(भाषा)