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Written By Author विकास सिंह
Last Updated : बुधवार, 6 दिसंबर 2023 (10:35 IST)

विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी क्यों चर्चा में हैं नरोत्तम मिश्रा?

विधानसभा चुनाव में हार के बाद भी क्यों चर्चा में हैं नरोत्तम मिश्रा? - Why is Narottam Mishra in discussion even after defeat in assembly elections?
भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने प्रचंड जीत हासिल की है। भाजपा की इस प्रचंड जीत के बाद भी भाजपा के कई दिग्गज नेता चुनाव हार गए है। चुनाव हारने वालों में सबसे बड़ा नाम गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा का है। दतिया विधानसभा सीट से चुनावी मैदान में उतरे गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को कांग्रस के राजेंद्र भारती ने 7,762 वोटों से हराया है। नरोत्तम मिश्रा की हार भाजपा के लिए एक बड़ा झटका है।

नरोत्तम मिश्रा भाजपा की हिंदुत्व की राजनीति के एक फायरब्रांड नेता है, ऐसे अब उनके सियासी भविष्य को लेकर अटकलें लगाई जाने लगी है। सवाल यह भी है कि विधानसभा चुनाव में हार के बाद क्या नरोत्तम मिश्रा अब भी प्रदेश की राजनीति में सक्रिय रहेंगे या वह केंद्र की ओर अपना रुख करेंगे।

विधानसभा उपचुनाव लड़ेंगे नरोत्तम?-विधानसभा चुनाव हारने के बाद भी नरोत्तम मिश्रा लगातार अपने बयानों से सुर्खियों में बने हुए है। दतिया में कार्यकर्ताओं से चर्चा के दौरान नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि ''मैं लौट के आउंगा यह मेरा वादा है। समुद्र का पानी उतरता देखकर किनारे पर घर मत बना लेना। मैं ज्यादा समय शांत रहने वाला जीव नहीं हूं”। ऐसे में अब यह कयास लगाए जा रहे है कि नरोत्तम मिश्रा विधानसा उपचुनाव लड़ सकते है। ऐसे में सवाल है कि नरोत्तम मिश्रा कहा से उपचुनाव लड़ेंगे तो इसमें मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट हो सकती है।

दिमनी विधानसभा सीट से केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर चुनाव जीते है,अगर नरेंद्र सिंह तोमर को मध्यप्रदेश का मुख्यमंत्री नहीं बनाया जाता है तो इसकी संभावना बहुत कम है कि वह प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो। ऐसे में नरेंद्र सिंह तोमर जो मुरैना-श्योपुर लोकसभा सीट से सांसद भी है वह दिमनी विधानसभा सीट छोड़ सकते है। ऐसे में लोकसभा चुनाव के साथ दिमनी विधानसभा सीट पर उपचुनाव में भी होगा। दिमनी विधानसभा सीट पर ब्राह्मण और ठाकुर वोटरों बड़ी संख्या में है, ऐसे में पार्टी नरोत्तम मिश्रा का दिमनी से अपनी उम्मीदवार बना सकती है।

लोकसभा चुनाव लड़ेंगे नरोत्तम?-केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के करीबियों में गिने जाने वाले नरोत्तम मिश्रा अगर केंद्र की राजनीति की तरफ रुख करते है तो क्या वह अगले साल होने वाला लोकसभा चुनाव लड़ेंगे। भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व नरोत्तम मिश्रा को ग्वालियर या भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ाकर उनका राजनीतिक पुर्नवास कर सकती है। हिंदुत्व के फायर ब्रांड नेता के छवि रखने वाले नरोत्तम मिश्रा के सहारे पार्टी वोटरों को ध्रुवीकरण की पूरी कोशिश कर सकती है।

राष्ट्रीय संगठन में मिल सकती है जिम्मेदारी?-2024 का लोकसभा चुनाव हिंदुत्व के एजेंडे पर लड़ने वाली भाजपा नरोत्तम मिश्रा को राष्ट्रीय संगठन में अहम जिम्मेदारी दे सकती है। कुशल संगठनकर्ता के तौर पर अपनी पहचान बनाने वाले नरोत्तम मिश्रा को राष्ट्रीय महामंत्री या राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया जा सकता है। पार्टी नरोत्तम मिश्रा को राष्ट्रीय स्तर पर जिम्मेदारी सौंप कर उनका उपयोग उत्तर भारत के राज्यों में अपने हिंदुत्व के एजेंडे को और धार देने में कर सकती है।

नरोत्तम मिश्रा के पुराने तेवर बरकरार-दतिया विधानसभा सीट से चुनाव हारने के बाद भी नरोत्तम मिश्रा के पुराने तेवर बरकरार है। नरोत्तम मिश्रा लगातार अपने समर्थकों की हौसलाअफजाई में जुटे है। दतिया में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए नरोत्तम मिश्रा ने कहा कि मैं लौट के आउंगा यह मेरा वादा है। समुद्र का पानी उतरता देखकर किनारे पर घर मत बना लेना। मैं ज्यादा समय शांत रहने वाला जीव नहीं हूं, लेकिन उनको अवसर जरूर देना चाहिए, इस बात का ध्यान दो। मेरा कार्यकर्ता मेरे प्राणों से प्यारा तब भी था और अब भी है। तब आपको लगा होगा कि मैं चुनाव के कारण कह रहा हूं, लेकिन मित्रों सच में कार्यकर्ताओं में मेरे प्राण बसते हैं, मैं जीतू या हारूं।

नरोत्तम मिश्रा ने कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि बिल्कुल भी चिंता नहीं करना, क्योंकि सरकार आप ही की है। जनता के लिए उसको करने दो, कार्यकर्ताओं के लिए मैं करंगा। हर हफ्ते आपके बीच में इसी कार्यालय में मैं ऐसे ही मिलूंगा। कोई भी दिक्कत होगी, वो आपकी नहीं होगी, वो नरोत्तम की होगी। कोई भी परेशानी आपकी नहीं, नरोत्तम की होगी। कोई भी समस्या आपकी नहीं, मेरी होगी लेकिन, कार्यकर्ता की, जनता ने उनको चुना है तो उन्हें काम करने दो, वो जैसा विकास करें, वो बीमार की जैसी तीमारदारी करें, वो जैसा सड़कों का विकास करें, पुल पुलिया का विकास करें। उनको वो विकास करने दो, लेकिन कार्यकर्ता के विकास की चिंता मेरी जिम्मेदारी है।
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