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प्रेम गीत : दिल को बहलाया हमने...

प्रेम गीत : दिल को बहलाया हमने... - poem on romance
दिल को बहलाया हमने यूं कि तुम 
मिलो तो भी सही वरना ये तन्हाई ही सही


 
थोड़ी-सी है प्यास मेरी समंदर का क्या करेंगे 
जब तुम नहीं जीवन में तो जीकर क्या करेंगे 
 
है दुआ रहे मुकम्मल बुलंदी तेरी पर थम के रखना इसे
गर्दिश में फलक से गिरने पर चोट बड़ी है लगती 
है तजुर्बा मेरा, हो वक्त बुरा तो दुआ देने वाले लोग भी चोट देते हैं बड़ी 
 
ऐ वक्त जितना समझ रहा हूं तुझे 
उतना ही तन्हा हो रहा हूं खुद से 
 
जो-जो हालात से हम गुजरे रफ्ता-रफ्ता 
हर रिश्ते का भरम उतरा कतरा-कतरा 
 
दौलत भी क्या बला है 
इसके बगैर हर हुनर बला है। 
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