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Written By ND

विवाह के बंधन में जल्दबाजी नहीं

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- मानसी

हेलो दोस्तो! कई बार सही होते हुए भी आपको यह अहसास कराया जाता है कि आप ही गलत हैं। आपके सामान्य व्यवहार को असामान्य कहने वाले मजाकिया नजरों से देखते हैं और आप असमंजस में पड़ जाते हैं कि आपके व्यवहार में ही कोई खोट है। सही, सामान्य, न्यायोचित आचरण करने पर भी सामने वाले की दगाबाजी के कारण जब आपकी हार होती है तो यही सोच पक्की होती जाती है कि आप में ही कोई कमी है।

जिन उसूलों, मूल्यों पर आप डटे रहने में अपनी शान समझते थे अब उन्हीं सीख पर आपके मन में तरह-तरह के सवाल खड़े होने लगते हैं। आपके दिल में आता है जैसा जमाने ने आपके साथ किया आप भी वैसा ही करें पर आप अपने स्वभाव से लाचार हैं और तब मन ही मन आपको अथाह पीड़ा होती है कि आप भी औरों की तरह बुरे क्यों नहीं बन जाते हैं।

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ऐसी ही घुटन से गुजर रही हैं पायल (बदला हुआ नाम)। पायल सीधी-साधी बात करने वाली नेक लड़की है। जो अच्छे जीवनसाथी की तलाश में है। परिवार वालों की पहल से एक लड़के से उसका रिश्ता तय हुआ।

तीन महीने तक फोन से उस लड़के से वह रोज बात करती रही फिर उस लड़के ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया है कि उसके परिवार वालों को वह बहुत ही औपचारिक लगी है। फिर उसे पता चला उस लड़के की शादी तय हो गई है। उधर पायल की छोटी बहन है जिसकी इंटरनेट दोस्ती ने ऐसा रंग पकड़ा कि उसे शादी का जामा पहनाना पड़ा।

पायल की छोटी बहन बेहद गुस्सैल है, चीख-चिल्लाकर अपनी बात मनवाना उसका स्वभाव है सो उसने पायल की शादी का इंतजार नहीं किया। उसके उग्र स्वभाव के कारण पिता भी उसी की सुनते हैं। अब पायल इंटरनेट पर एक अन्य लड़के अनुराग से बात करती है।

ढेर सारी बातें उसने उससे शेयर की हैं पर अपने पुराने अनुभव के कारण उसे भरोसा नहीं हो रहा है। पिछले रिश्ते में वह बहुत संजीदा होती गई थी और उसे भूल पाना मुश्किल हो रहा है। अब रोज दस मिनट अनुराग से बात करने से वह उससे ज़ुडती जा रही है जो कि वह नहीं चाह रही है। दूसरी ओर वह अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है पर कर नहीं पा रही।

पायल जी, आपके ऊपर शादी कर लेने की धुन इसलिए भी सवार हो गई है कि आपकी छोटी बहन की शादी हो गई है और रिश्तेदारों ने ताना मार-मार कर आपका जीना हराम कर रखा है। आपकी माँ नहीं रहीं इसलिए बहुत सी परेशानियाँ आप किसी और से बाँट नहीं पा रही हैं।

यदि आप किसी समारोह में नहीं जाना चाहती हैं तो न जाएँ। कोई वाजिब बहाना बना दें। अगर जाना ही पड़े तो उन्हें खूब बोल लेने दें। हर व्यक्ति की अपनी प्राथमिकताएँ होती हैं। जरूरी नहीं है कि घर का कोई सदस्य ऐसा करता है तो दूसरा भी ठीक वैसा ही करे।

आपके पत्र से लगता है, आप अन्य लोगों की अपेक्षा गंभीर हैं और जीवन, मनुष्य, समाज आदि के बारे में अपना नजरिया रखती हैं तो फिर वैसी बातों से क्या विचलित होना जिसे लोग केवल टाइमपास व मजा लेने के लिए बोलते हैं। उनके पास सोचने, समझने और विचार करने के लिए और कोई विषय नहीं है।

आप परिपक्व हैं ऐसी बचकानी बातों, हरकतों पर ध्यान न दें। इस सारे झमेले में आपने अपनी पढ़ाई को नजरअंदाज किया है जो सबसे बुरा है। आपका पहला लक्ष्य कॅरिअर होना चाहिए। दिल से सारी बातें निकालकर अपना ध्यान पूरी तरह पढ़ाई पर केंद्रित करें। यकीन मानें कॅरिअर का लड्डू खाकर आप कभी नहीं पछताएँगी, शादी के मामले में शायद पछताना पड़े।

सफल होने पर एक औरत के पाँव तले सही जमीनी आधार मिलता है जिस पर आप हमेशा मजबूती से खड़ी रह सकती हैं। फिर एक सफल व्यक्ति को बहुत साथी मिलते हैं। आपकी पढ़ाई, आपका कॅरिअर हमेशा आपका साथ देगा बाकी तो आते-जाते रहेंगे। रही बात अनुराग की तो उससे आपने जितनी दूरी बनाकर रखी है वह उचित है। जितना कुछ आपने बताया है उससे उस लड़के के बारे में कोई संजीदगी नहीं झलकती है।

यूँ ही अँधेरे में तीर मारने से बेहतर है कि उसे अपने शहर में बुलाकर, परिवार वाले की मौजूदगी में मिल लें। पहचान लेने पर अपने ही शहर में अकेले भी बातें कर सकती हैं। हो सकता है, आप दोनों ही एक-दूसरे को पसंद करें या फिर दोनों में से कोई एक नापसंद करे। मिलने से बहुत सी बातें साफ हो जाती हैं। यदि बात नापसंद की आती है तो फिर उतनी दूर की सोचकर क्यों समय नष्ट किया जाए। पहले आप लोग तो तय करें फिर उसके परिवार की मर्जी वाला अध्याय खोला जाएगा। इन सारी बातों को बिना भावुकता के अंजाम दें।

आप समझदार हैं, पढ़ी-लिखी हैं, देखने में ठीक-ठाक हैं, आपको बहुत रिश्ते मिलेंगे। सब्र से काम लें। केवल छोटी बहन ने शादी कर ली है इसलिए तानों से बचने के लिए शादी कर लेना कोई अक्लमंदी नहीं होगी। शादी एक बहुत महत्वपूर्ण निर्णय है। यह केवल पिता या किसी रिश्तेदार को खुश करने के लिए नहीं की जा सकती है।

पायल जी, न तो आपको कोई ग्लानि महसूस करने की जरूरत है और न ही डरने की। हो सकता है, आपकी कई छोटी चचेरी-ममेरी बहनों की शादियाँ हो चुकी हों, यह उनका निर्णय है। समाज बदल चुका है। आप ही देखें माँ-बाप के बजाय लड़कियाँ खुद लड़का देख रही हैं और परिवार वाले खुशी-खुशी उनकी शादी करवा रहे हैं। इसलिए नाहक जी हलकान होने के बजाय मजे से जीवन का आनंद लें।

पहला फोकस है पढ़ाई और फिर कोई अच्छी सी नौकरी। इस दौरान जो भी लड़का अच्छा लगे उसे जाँचना-परखना जारी रखें। हो सकता है, आप इस बात को इतनी गंभीरता एवं टेंशन से नहीं लेंगी तो आपका व्यवहार भी ज्यादा दबाव वाला नहीं होगा। यानी आप अधिक सहजता से बातचीत में शामिल होंगी। केवल एक सामान्य जान-पहचान और गहरा दोस्त बनाने में भी शादी वाले दबाव से मुक्त होकर रहना ज्यादा कारगर होगा। फिर यदि कोई उतना ही सहज, आपके मन से मैच खाता दिखे तो सतर्कता रखते हुए निजी बातचीत का रुख भी खास दिशा में मोड़ा जा सकता है। पढ़ाई पर लक्ष्य साधते हुए यदि आप शादी के टारगेट से अपना ध्यान हटा देंगी तो दोस्ती, शादी सब आसान हो जाएगा।

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