गाजीपुर लोकसभा में मुख्तार अंसारी के परिवार के सियासी रसूख की परीक्षा, भाई के साथ भतीजी भी चुनावी मैदान में
लोकसभा चुनाव के आखिरी और सातवें चरण का मतदान 1 जून को होगा। लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में उत्तरप्रदेश की वाराणसी के साथ उससे सटी गाजीपुर लोकसभा सीट पर मतदान होगा। गाजीपुर लोकसभा सीट जिस पर बीते 10 साल से माफिया मुख्तार अंसारी परिवार का कब्जा है। वहीं इस बार बिना मुख्तार अंसारी के चुनाव हो रहा है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्तार अंसारी की जेल मे मौत के बाद इस बार लोकसभा चुनाव में अंसारी परिवार के सामने अपना दबदबा बनाए रखने की चुनौती है।
गाजीपुर में अंसारी परिवार चुनावी मैदान में-गाजीपुर लोकसभा सीट पर वर्तमान में मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी का कब्जा है और इस बार लोकसभा चुनाव में अफजाल अंसारी विपक्षी गठबंध इंडिया के उम्मीदवार तौर पर समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनावी मैदान में है।
दिलचस्प बात यह है कि इस बार गाजीपुर लोकसभा सीट पर अंसारी परिवार के दो शख्स चुनावी मैदान में है। इसमें एक मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी और उनकी बेटी नुसरत भी चुनावी मैदान में है। गाजीपुर लोकसभा क्षेत्र में लगातार दो बार का हार का सामना करने वाली भाजपा ने इस बार पारसनाथ राय को चुनावी मैदान में उतारा है।
पिता के साथ बेटी के चुनाव लड़ने की वजह?-गाजीपुर लोकसभा से वर्तमान सांसद अफजाल अंसारी को पिछले साल गाजीपुर की विशेष अदालत ने गैंगस्टर एक्ट के तहत दोषी ठहराते हुए चार साल की जेल की सजा सुनाई गई थी, जिसको अफजाल अंसारी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी है। अफजाल ने अपनी दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए आवेदन किया है और मामले की अगली सुनवाई 20 मई को होगी। अगर अफजाल अंसारी को राहत नहीं मिलती है तो वह बेटी नुसरत का सपोर्ट करेंगे और नुसरत गाजीपुर में विपक्ष की उम्मीदवार होगी।
जेल में मुख्तार अंसारी की मौत चुनावी मुद्दा-लोकसभा चुनाव से ठीक पहले जेल में मुख्तार अंसारी की मौत गाजीपुर लोकसभा में एक प्रमुख चुनावी मुद्दा है। मुखतार अंसारी के भाई और मौजूदा सांसद अफजाल अंसारी चुनाव में 'न्याय' मांग रहे हैं। वो कहते हैं कि लोग उनके भाई की मौत के लिए ईवीएम बूथ पर उन्हें न्याय दें। अफजाल कहते हैं कि यह सच है कि मुख्तार को सरकार ने जेल के अंदर जहर देकर मार डाला था। मुझे सरकारी मेडिकल रिपोर्ट पर भरोसा नहीं है क्योंकि वे खुद इसमें शामिल हैं। अगर हमारी सरकार बनती है, तो मुझ पर विश्वास करें, सच्चाई सामने आएगी और बड़े अपराधी जेल जाएंगे।
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वहीं अफजाल अंसारी चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मुख़्तार अंसारी की मौत की मौत के बाद हमें कहा कि जाने वाला तो चला गया, लेकिन रमजान के उस महीने में जिस तरह से तुमने जहर देकर उसको मारा है, उसने शहादत का दर्जा पाया है। तुम लोग सामने से उसका मुकाबला नहीं कर सकते थे।
वहीं चुनाव प्रचार में अफजाल अंसारी इमोशनल कार्ड भी खेल रहे है। अफजाल अंसारी कहते हैं कि भाजपा सरकार उन्हें माफिया कहती है। जबकि वो हमेशा गरीबों के मसीहा रहे हैं। अफजाल कहते हैं कि क्या कभी आपने किसी माफिया को हवाई चप्पल पहने या 12 साल पुरानी कार चलाते हुए देखा है।
गाजीपुर भाजपा के लिए चुनौती-गाजीपुर लोकसभा सीट भाजपा के लिए चुनौती है। वाराणसी से सटी गाजीपुर लोकसभा सीट पर भाजपा को 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव मे हार का सामना करना पड़ा था। 2019 के लोकसभा चुनाव में बसपा और सपा गठबंधन के प्रत्याशी अफजाल अंसारी ने भाजपा के कद्दावर नेता मनोज सिंन्हा को हराया था। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने गाजीपुर की सभी सात सीटों पर जीत हासिल की। गाजीपुर के साथ-साथ आजमगढ़ में भी विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी को हार का सामना करना पड़ा था।
गाजीपुर मुख्तार अंसारी के आतंक की थी नर्सरी-उत्तर प्रदेश की सियासत मे तीन दशक तक जिस मुख्तार अंसारी का खौफ था उसकी कर्मस्थली गाजीपुर ही थी। मुख्तार अंसारी के आतंक या सियासी रुतबे का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राजनीतिक पार्टियां पूर्वांचल में अपनी जड़े मजबूत करने के लिए उसके शरण में आती थी। मुख्तार का अपराध पार्टियों के लिए मायने नहीं रखता। अपराध की दुनिया के बेताज बदशाह मुख्तार अंसारी का राजनीतिक रसूख कम नहीं था। मुख्तार अंसारी ने समय के अनुसार पार्टिया भी खूब बदली। मुख्तार एक समय में समाजवादी पार्टी के आला नेताओं की आंख का तारा बना तो फिर उसे मायावती की पार्टी बसपा का खुला संरक्षण मिला।
मुख्तार अंसारी के जेल जाने के बाद उसके भाई अफजाल अंसारी भी सियासी मैदान में कूदे और अफजाल अंसारी वर्तमान में गाजीपुर लोकसभा सीट से सांसद भी है। वहीं 2024 के लोकसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने अफजाल अंसारी को गाजीपुर लोकसभा सीट से चुनावी मैदान में उतारा है।