होली के बाद होगा मध्यप्रदेश बीजेपी के लोकसभा टिकटों का एलान, टिकट को लेकर कई टकराव
भोपाल। मध्यप्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में उम्मीदवारों के टिकट को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। सूबे में सत्ता में काबिज कांग्रेस में जहां टिकट को लेकर पूरा मंथन दिल्ली में हो रहा है तो दूसरी ओर प्रदेश की 26 लोकसभा सीटों पर काबिज बीजेपी में टिकट को लेकर अभी प्रदेश स्तर पर मंथन हो रहा है।
प्रदेश स्तर पर टिकट तय होने के बाद नामों को दिल्ली भेजा जाएगा जिस पर अंतिम मुहर पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति और संसदीय बोर्ड करेगा। चुनाव समिति की बैठक में शामिल होने पहुंचे मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा कि आज की बैठक में सभी सीटों पर विचार करने के बाद नामों का पैनल दिल्ली भेजा जाएगा और पार्टी 22 मार्च के बाद टिकटों का एलान करेगी, शिवराज भले ही प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में नामों पर एक राय होकर पैनल में नाम दिल्ली भेजे जाने की बात कह रहे हो लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा। पार्टी में टिकट बंटवारे को लेकर बड़ा टकराव देखने को मिल रहा है।
परिवारवाद पर पंगा : लोकसभा चुनाव में बीजेपी में टिकट बंटवारे में परिवारवाद को लेकर पंगा नजर आ रहा है। बीजेपी के बड़े नेता खुद अपने बेटे-बेटियों और रिश्तेदारों के लिए टिकट मांग रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज की पत्नी साधना सिंह को विदिशा से चुनाव लड़ाने की मांग उनके समर्थक कर रहे हैं तो नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव अपने बेटे के लिए सागर से, पूर्व कैबिनेट मंत्री गौरीशंकर बिसेन बालाघाट से अपनी बेटी मौसम सिंह के लिए टिकट मांग रहे हैं। इसके साथ ही पार्टी के कई अन्य बड़े नेता पार्टी के सामने टिकट की मांग कर संकट खड़ा कर रहे हैं।
बुजुर्ग नेताओं की दावेदारी से संकट : लोकसभा चुनाव में पार्टी के बुजुर्ग नेता पार्टी के लिए मुसीबत बनते हुए दिखाई दे रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर भोपाल से, पूर्व मंत्री कुसुम मेहदले खजुराहो से खुद के टिकट के लिए दावेदारी ठोंक रही हैं तो पूर्व मंत्री राघवजी ने अपनी बेटी के लिए विदिशा से लोकसभा के लिए टिकट मांगा है। इसके साथ ही लालिता यादव ने भी लोकसभा टिकट के लिए दावेदारी की है।
सांसदों की दावेदारी से संकट : लोकसभा चुनाव में पार्टी एंटी इनकमबेंसी के चलते कई सांसदों के टिकट काटने की तैयारी में है। पिछली प्रदेश चुनाव समिति की बैठक में पार्टी नेताओं ने जब पहले चरण के लिए टिकटों पर मंथन किया था तो करीब पंद्रह सिटिंग सांसदों की रिपोर्ट निगेटिव मिली थी। अगर पार्टी इन सांसदों के टिकट काटती है तो पार्टी को चुनाव में भीतरघात से जूझना पड़ सकता है।
पार्टी के सर्वे में जिन सांसदों की रिपोर्ट निगेटिव भी आई है, उन्होंने खुलकर टिकट की दावेदारी कर अपने इरादे साफ दिखा दिए हैं। ऐसे में इन सीटों पर पार्टी के टिकट काटना पार्टी के आसान नहीं होगा। बैतूल सांसद ज्योति धुर्वे, भिंड सांसद भागीरथ प्रसाद, मंडला सांसद फग्गनसिंह कुलस्ते ने फिर टिकट के लिए दावेदारी कर पार्टी को सीधे चुनौती दे दी है।