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Written By ND

तुम छुपे हो कहाँ, हे ग्राहक!

व्यंग्य

तुम छुपे हो कहाँ, हे ग्राहक! -
लोकसभा चुनावों का शंखनाद होते ही राजनीतिक दल चुनाव रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए फिल्मी सितारो को 'स्टार प्रचारक' बनाने में जुट गए हैं।

राजनीतिक दल जहाँ 'पोल विनर' चेहरों को जनता के बीच उतारने की मशक्कत में लगे हैं तो वहीं चुनाव प्रचार में भी वे कोई कसर बाकी नहीं छोड़ना चाहते। इसके लिए वे फिल्मी सितारों को उम्मीदवार के रूप में या स्टार प्रचारक के रूप में जनता के बीच उतारने के प्रयास में जी जान से जुटे हुए हैं। हालाँकि बॉलीवुड के सितारों का राजनीति में प्रवेश कोई नई बात नहीं है और समय-समय पर बॉलीवुड के कई नामचीन चेहरे विभिन्न राजनीतिक पार्टियों में शामिल होकर जनता के बीच अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहे हैं।

राजनीति के क्षेत्र में कदम रखकर संसद में पहुँचने वाले प्रमुख बॉलीवुड स्टारों में बिग बी अमिताभ बच्चन, उनकी पत्नी जया बच्चन, दिलीप कुमार, स्व. सुनील दत्त, धर्मेन्द्र, हेमामालिनी, विनोद खन्ना, राजेश खन्ना, राजबब्बर, शत्रुघ्न सिन्हा, जयाप्रदा, गोविन्दा आदि शामिल हैं।

हाल ही में पूर्व केन्द्रीय मंत्री एवं कांग्रेस नेता स्व. सुनील दत्त के पुत्र संजय दत्त ने राजनीति में उतरकर फिल्मी सितारों की राजनीति में उतरने की परम्परा को भी निभाया है। संजय दत्त को समाजवादी पार्टी (सपा) ने लखनऊ लोकसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है।

हालाँकि अभिनय के क्षेत्र की हस्तियाँ राजनीति में उतनी सफल नहीं हो पाई हैं। जनता के बीच चमक कम होने के बाद भी लोकसभा चुनावों में फिल्मी सितारों का प्रतिनिधित्व क्रमशः बढ़ा ही है। बारहवीं लोकसभा में जहाँ मात्र एक फिल्मी सितारा विनोद खन्ना (गुरदासपुर पंजाब) ने संसद की शोभा बढ़ाई थी तो वहीं 14वीं लोकसभा आते-आते यह संख्या छह तक पहुँच गई। इस लोकसभा में पर्दे पर लोगों को गुदगुदाने वाले गोविन्दा (कांग्रेस) मुम्बई उत्तरी सीट पर, धर्मेन्द्र (भाजपा) बीकानेर राजस्थान सीट पर और जयाप्रदा (सपा) रामपुर सीट पर पहली बार संसद में पहुँचीं। इनके अलावा विनोद खन्ना, सुनील दत्त और राजबब्बर दोबारा लोकसभा पहुँचे थे।

लोकसभा के अलावा कई फिल्मी सितारों ने राज्यसभा की शोभा भी बढ़ाई। आज से लगभग 50 साल पहले पहली बार किसी फिल्मी स्टार को राज्यसभा का सदस्य मनोनीत किया गया था। यह सौभाग्य मिला था अपने जमाने के नामचीन फिल्म निर्माता, निर्देशक और अभिनेता पृथ्वीराज कपूर को।

भारतीय राजनीति में किसी फिल्म कलाकार के प्रवेश की यह शुरुआत थी। बाद में यह फेहरिस्त लंबी हुई। नरगिस दत्त, वैजंतीमाला, दिलीप कुमार, लता मंगेशकर, शबाना आजमी आदि ने राज्यसभा में फिल्म जगत का प्रतिनिधित्व किया। वर्तमान में शत्रुघ्न सिन्हा, हेमा मालिनी, जया बच्चन, दारासिंह बतौर राज्यसभा सदस्य संसद की शोभा बढ़ा रहे हैं।

बॉलीवुड के शहंशाह अमिताभ बच्चन राजनीति के क्षेत्र में वर्ष 1984 से 1987 तक रहे। बच्चन ने कांग्रेस के टिकट पर उत्तरप्रदेश की इलाहाबाद लोकसभा सीट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी, लेकिन तीन वर्ष के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया। हालाँकि वर्तमान में वे सक्रिय राजनीति से बाहर हैं, लेकिन वे अपने पुराने दोस्त अमरसिंह की पार्टी सपा के समर्थक हैं।

अभिनय के क्षेत्र में अपनी अनूठी छाप छोड़ने वाली जया बच्चन सपा की राज्यसभा सदस्य हैं। बॉलीवुड के एक और सफल अभिनेता धर्मेन्द्र भी राजनीति का स्वाद चखने के लिए मार्च 2004 में भाजपा में शामिल हुए और उन्होंने वर्ष 2004 में हुए लोकसभा चुनाव में बीकानेर से चुनाव लड़कर जीत हासिल की। सत्तर के दशक की सुपर-डुपर हिट फिल्म 'शोले' की बसंती हेमा मालिनी भी अपने पति धर्मेन्द्र की तरह भाजपा की सदस्य हैं। वे फरवरी 2004 में भाजपा में शामिल हुई थीं।

स्व. सुनील दत्त अपनी पत्नी नरगिस की असमय मृत्यु के बाद सक्रिय राजनीति में उतरे। उन्होंने वर्ष 1984 में मुम्बई उत्तर पश्चिम सीट से चुनाव जीतकर लोकसभा में प्रवेश किया था। उन्होंने इस सीट पर वर्ष 1989 और 1991 में अपना कब्जा बरकरार रखा। वे वर्ष 1999 में भी लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए थे।

राजबब्बर ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सपा में शामिल होकर की थी और वे तीन बार उत्तरप्रदेश की आगरा सीट से संसद सदस्य निर्वाचित हुए। वर्ष 1994 से 1999 तक वे राज्यसभा के सदस्य रहे। वे वर्ष 2004 में 14वीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। वर्ष 2006 में उन्हें सपा से निष्कासित कर दिया गया और अब वे कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।

वर्ष 1960 में सुपरहिट फिल्म मुगले आजम में सलीम की भूमिका निभाकर लोगों के दिलों में बसने वाले मशहूर अभिनेता दिलीप कुमार भी संसद सदस्य रहे। सत्तर के दशक में कई सुपरहिट फिल्म देने वाले राजेश खन्ना ने भी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतरकर अपना भाग्य आजमाया था।

सत्तर और अस्सी के दशकों में कई हिट फिल्में देने वाले विनोद खन्ना वर्ष 1997 में भाजपा में शामिल हुए और उन्होंने पंजाब की गुरदासपुर लोकसभा सीट से चुनाव लड़कर जीत दर्ज की। वर्ष 2004 में एक बार फिर उन्होंने इसी सीट से जीत दर्ज की। बॉलीवुड के बिहारी बाबू शत्रुघ्न सिन्हा भाजपा में हैं। वे राज्यसभा सदस्य और केन्द्रीय मंत्री भी रह चुके हैं।

लोकसभा चुनावों की तारीखों की घोषणा होते ही राजनीतिक दल फिल्मी सितारों को स्टार प्रचारक बनाए जाने के अभियान में जुटे हुए हैं। भाजपा से जुड़ी फिल्मी हस्तियाँ हेमा मालिनी, विनोद खन्ना, शत्रुघ्न सिन्हा, स्मृति ईरानी और महाभारत के भीष्म पितामाह मुकेश खन्ना पार्टी की तरफ से चुनाव प्रचार करेंगे। धर्मेन्द्र को इस बार पार्टी चुनाव नहीं लड़ा रही है। उनकी बीकानेर सीट सुरक्षित हो चुकी है।

चुनावी रैलियों में भीड़ जुटाने के लिए कांग्रेस भी स्टार प्रचारकों को अपनी ओर खींच रही है। कांग्रेस ने ऑस्कर विजेता फिल्म 'स्लमडाग मिलियनेयर' के दो बाल कलाकारों अजहरुद्दीन और रूबीना को प्रचार के लिए बुक कर लिया है। इसके अलावा कांग्रेस ने अपने प्रचार के लिए स्लमडॉग के 'जय हो' गीत का कॉपीराइट खरीद लिया है और इस गीत को अब टेलीविजन पर कांग्रेस का प्रचार करते देखा जा सकता है।

लोकसभा चुनावों के प्रचार में कोई भी पार्टी कसर नहीं छोड़ना चाहती। जहाँ कांग्रेस और भाजपा बॉलीवुड सितारों और फिल्मी गीतों को प्रचार का तरीका बना रहे हैं, तो ऐसे में लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) भी पीछे रहने वाली नहीं थी। 'स्माइल पिंकी' की पिंकी को लोजपा प्रमुख रामविलास पासवान ने अपनी पार्टी का स्टार प्रचारक बनाया है। अमेरिका तक का सफर तय करने वाली सात साल की पिंकी अब लोजपा का प्रचार करती नजर आएगी।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राजनीति में बॉलीवुड की चकाचौंध बढ़ती जा रही है। जानकारों के अनुसार फिल्मी सितारों के राजनीति में आने और चुनाव प्रचार में भाग लेने से भीड़ तो जुटेगी ही और साथ ही रोमांच भी बढ़ेगा। फिल्मी सितारों को स्टार प्रचारक बनाए जाने के बारे में एक कांग्रेस नेता का कहना है कि फिल्मी सितारे केवल भीड़ जुटाने के लिए नहीं होते हैं, बल्कि फिल्मी सितारे लोगों के चहेते होते हैं और कुछ लोगों के लिए फिल्मी सितारे 'रोल मॉडल' भी होते हैं और आम जनता उनकी बातों का अनुसरण करती है।