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हिन्दी का 'रोमनीकरण' घातक है...
बुधवार,सितम्बर 2, 2015
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बुधवार,सितम्बर 2, 2015
देवनागरी लिपि में न केवल संस्कृत और हिन्दी लिखी जाती है, बल्कि मराठी और नेपाली को भी देवनागरी लिपि में लिखा जाता है। देवनागरी की वैज्ञानिक प्रणाली के कारण उसकी लोकप्रियता उर्दू और कोंकणी में भी है और उर्दू व कोंकणी की अनेक किताबें और अख़बार भी ...
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बुधवार,सितम्बर 2, 2015
हिन्दी विश्व में सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं में से एक है। हिन्दी अपने आप में एक समर्थ भाषा है। इस देश में भाषा के मसले पर हमेशा विवाद रहा है। भारत एक बहुभाषी देश है। हिन्दी भारत में सर्वाधिक बोली तथा समझे जाने वाली भाषा है इसीलिए वह राष्ट्रभाषा ...
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सातवें दशक के उत्तरार्द्ध में प्रकाशित एल्विन टॉफलर की पुस्तक 'तीसरी लहर' के अध्याय 'बड़े राष्ट्रों के विघटन' को पढ़ते हुए किसी को भी कोई कल्पना तक नहीं थी कि एक दिन रूस में गोर्बाचोव नामक एक करिश्माई नेता प्रकट होगा और 'पेरोस्त्रोइका' तथा ...
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हिन्दी। हमारी अपनी हिन्दी। हम सबकी हिन्दी। लेकिन क्या सचमुच हमारी यह भाषा हम सबकी भाषा है? इंटरनेट के कैनवास पर अपने शब्द फूलों से खिल-खिल जाने वाली हमारी हिन्दी को लेकर इतने भ्रम, भ्रांतियां और भड़काने वाले बयान आते रहे हैं कि आजादी के इतने वर्षों ...
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माननीय प्रधानमंत्री हिन्दी को वरीयता देते हैं पर उनके कार्यालय ("प्रमंका") के अधिकारियों को राजभाषा हिन्दी से कोई लेना देना नहीं है इसलिए भारत सरकार द्वारा आरंभ आम जनता की योजनाओं की जानकारी केवल अंग्रेजी में जारी कर रहे हैं और हर योजना -राजकार्य ...
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शुक्रवार,फ़रवरी 20, 2015
वरिष्ठ पत्रकार और सुपरिचित तकनीकविद् बालेन्दु शर्मा दाधीच ने हिन्दी में काम करने के लिए रोमन भाषा को अपनाए जाने के लेखक चेतन भगत के सुझाव को अव्यावहारिक और अनावश्यक बताते हुए इसकी आलोचना की है। हिन्दी पोर्टल प्रभासाक्षी.कॉम के संपादक श्री दाधीच ने ...
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अंग्रेजी भाषा में उपन्यास आदि लिखने वाले एक नौजवान (चेतन भगत) ने, जो हिंदी प्रेमी भी है, एक लेख लिखा है। वह लेख हिंदी और अंग्रेजी अखबारों में छपा है। उस लेख में कहा गया है कि सारे हिंदी भाषी रोमन लिपि अपना लें। अपनी देवनागरी छोड़ दें। यह लेख इतना ...
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शुक्रवार,जनवरी 9, 2015
एक ओर चेतन भगत हिन्दी अखबारों में छपने के लिए लालायित रहते हैं, दूसरी ओर वे देवनागरी के स्थान पर रोमन अपनाने की सलाह देते हैं। वे खुद क्यों नहीं देवनागरी को अपना लेते? वे अंग्रेजी आलेखों को हिन्दी में अनुवाद करके हिन्दी अखबारों में छपवाते हैं। ...
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शुक्रवार,जनवरी 9, 2015
लेखक चेतन भगत का मानना है कि हिन्दी को आगे बढ़ाना है तो देवनागरी के स्थान पर रोमन को अपना लिया जाना चाहिए। क्या यह भाषा की हत्या की साजिश नहीं है? हिन्दी भाषा में अंगरेजी शब्दों का समावेश तो मान्य हो चुका है मगर लिपि को ही नकार देना क्या भाषा को ...
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शुक्रवार,सितम्बर 12, 2014
जिस हिन्दी की महत्ता को हम इतने दिनों बाद भी नहीं पहचान पाए हैं उसकी खासियत को हमारे महापुरुषों ने बहुत पहले ही जान लिया था। आइए जानते हैं कि हिन्दी के बारे में क्या थे उनके विचार
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शुक्रवार,सितम्बर 12, 2014
जानें हिन्दी के बारे में, हिन्दी भाषा का विकास, हिन्दी भाषा का महत्व आदि के बारे में हिन्दी आलेख पर!
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आपकी सोच, आपकी प्रतिभा, आपकी लगन, आपकी कड़ी मेहनत, प्रबल इच्छा शक्ति और कार्य के प्रति समर्पण यहां कोई अस्तित्व नहीं रखता। अगर किसी चीज का वजूद है तो वह है अंगरेजी बोलना। जीवन में जितने लोग आगे बढ़े हैं और स्थापित हुए हैं वह सब अंगरेजी को जानने वाले ...
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शुक्रवार,फ़रवरी 28, 2014
युनेस्को ने सन् 1999 में प्रतिवर्ष 21 फरवरी को अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मनाए जाने की घोषणा की थी। अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस मातृभाषा दिवस को मनाने का उद्देश्य है भाषाओं और भाषाई विविधता को बढ़ावा देना, लेकिन आज हम भारतीय भाषाओं के संरक्षण और ...
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बुधवार,जनवरी 15, 2014
शब्दकोश एक खास तरह की किताब होता है। अंगरेजी में इसे डिक्शनरी कहते हैं। शब्दकोश में शब्दों को एक के बाद अकारादि क्रम से लिखा गया होता है, जैसे : अंक, अंकगणित, अंकुर, अंकुश…, या - अंग, अंगद, अंगारा… या - आग, आगत, आगम…, या - कक्ष, कक्षा, कगार…, खग, ...
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शुक्रवार,जनवरी 10, 2014
क्या आप जानते हैं विश्व हिन्दी दिवस कब मनाया जाता है? आप में से अधिकांश का जवाब होगा 14 सितंबर। लेकिन नहीं यह गलत जवाब है वास्तव में विश्व हिन्दी दिवस प्रतिवर्ष 10 जनवरी को मनाया जाता है।
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बुधवार,अक्टूबर 16, 2013
भारत की हिन्दी दरअसल हिन्दुस्तानी है। इसमें संस्कृत का छौंक लगाकर हिन्दी वाले इसे हिन्दी कह लें और अरबी-फ़ारसी का तड़का लगाकर उर्दू वाले उर्दू। शुद्ध हिन्दी और ख़ालिस उर्दू आमजन की भाषाएं नहीं हैं।
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गुरुवार,सितम्बर 19, 2013
हिन्दी भाषा पर विभिन्न महापुरुषों के विचार वेबदुनिया के इस हिन्दी चैनल पर!
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शुक्रवार,सितम्बर 13, 2013
हिन्दी सिर्फ एक भाषा भर नहीं है। हिन्दी तो एक संस्कृति बन चुकी है। देश की आन बान और शान है हिन्दी। हिंदुस्तान की पहचान है हिन्दी। अगर हिंदुस्तान को जानना है तो आपको हिन्दी को जानना होगा। आइए जानते हैं हिन्दी के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें....
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गुरुवार,सितम्बर 12, 2013
आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हिन्दी भाषा के इतिहास पर पहले साहित्य की रचना एक फ्रांसीसी लेखक ग्रासिन द तैसी ने की थी।
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