पूर्व में हमने बारह भावों से किन-किन बातों के बारे में जाना जाता है, बताया था। अब हम यहाँ पर नौ ग्रहों और सत्ताईस नक्षत्रों के बारे में बताएँगे।
नौ ग्रह क्रमशः सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु व केतु को कहते हैं। वैसे आजकल नेप्चून, हर्षल व प्लूटो को भी ग्रहों में मान्यता दी गई है लेकिन हमारे पूर्व मनीषियों ने इनको ज्यादा महत्व नहीं दिया है। इन नौ ही ग्रहों में से राहु, केतु को छोड़कर शेष 7 ग्रह आकाश मंडल में दिखाई देते हैं व राहु-केतु सिर्फ छाया ग्रह ही होते हैं।
नेप्चून, हर्षल, प्लूटो का प्रभाव नगण्य रहता है बाकि सभी ग्रह प्रभावी होते हैं।
सत्ताईस नक्षत्र भारतीय ज्योतिष में माने गए हैं, कहीं अभिजीत को लेकर 28 मानते हैं, इस प्रकार प्राचीनकाल से ही 27 और 28 नक्षत्रों को माना गया है।
उपरोक्त 27 नक्षत्र हुए। अभिजीत नक्षत्र का क्षेत्र इन्हीं के मध्य उत्तराषाढ़ा के चतुर्थ चरण और श्रवण के आरंभ के 1/15 भाग को मिलाकर है। इसका कुल क्षेत्र 4 अंश 13 कला 20 विकला है।
प्रत्येक नक्षत्र का क्षेत्र 13 अंश 20 कला है। इस प्रकार 27 नक्षत्र में 360 अंश पूरे होते हैं। 1 अंश बराबर 1 घंटा, 1 कला बराबर 1 मिनट और 1 विकला बराबर 1 सेकंड होते हैं। इस प्रकार एक नक्षत्र 13 घंटे 20 मिनट का होता है।