alpayu yog nivaran: यदि किसी की कुंडली में अल्पायु योग बना है या हाथों की लकीरों में यह योग नजर आ रहा है तो घबराने की जरूरत नहीं है। ईश्वर ने हर समस्या का समाधान भी दिया है। ज्योतिष आपने जीवन में आने वाली समस्याओं को बताता है तो उसका समाधान भी बताता है। कई बार कुंडली में अल्पायु योग होते हैं परंतु हाथों में नहीं और कई बार हाथों में होते हैं परंतु कुंडली में नहीं। इसलिए इसको ज्यादा गंभीरता से नहीं ले सकते हैं। फिर भी जा लें कि कुंडली के अनुसार अल्पायु योग है तो उनके निदान भी है।
1. कुंडली में गुरु ही हमारी आयु निर्धारित करता है। इसलिए सबसे पहले गुरु के उपाय करके गुरु को मजबूत करें। नित्य चंदन का तिलक लगाना चाहिए।
2. शनि, राहु, केतु के उपाय के साथ ही षष्ठम, अष्टम और द्वादश भाव व ग्रहों के उपाय करना चाहिए।
3. अल्पायु योग में गुरुवार, सोमवार और एकादशी का विधिवत रूप से व्रत रखना ही चाहिए।
4. यदि कुंडली में किसी बीमारी से अल्पायु योग बना है तो खानपान का विशेष ध्यान रखते हुए नित्य योग करते रहना चाहिए। किसी भी रोग या बीमारी को टालना नहीं चाहिए तुरंत ही उसका इलाज कराना चाहिए।
5. अल्पायु योग के जातक को हर तरह के बुरे कार्यों से दूर रहना चाहिए और पुण्य कार्य करना चाहिए।
6. यदि कुंडली में किसी घटना या दुर्घटना से अल्पायु योग बना है तो उस विशेष समय में सतर्क रहकर कार्य करना चाहिए। जैसे वाहन चलाना या किसी संदिग्ध लोगों के संपर्क में आना। इसी के साथ ही हो सके तो इस दौरान अधिकतर समय घर पर ही बिताना चाहिए। खुद को सुरक्षित रखने के उपाय करना चाहिए क्योंकि टाइम निकल जाने से योग भी टल जाता है।
7. अल्पायु योग के निदान के लिए प्रतिदिन हनुमान चालीसा पढ़ना चाहिए और हनुमानजी की ही भक्ति करना चाहिए।
8. अल्पायु योग के निदान हेतु गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र पढ़कर उसे सिद्ध कर लेना चाहिए। प्रतिदिन 10 माला का जाप करें और शिवजी का जलाभिषेक करें।
9. प्रतिदिन गाय, कुत्ते, कौवे या पक्षियों को भोजन कराते रहें और प्रतिदिन पीपल के वृक्ष की तीन परिक्रमा करें। कुलदेवी और देवता एवं इष्टदेव का जप, ध्यान और दान करते रहना चाहिए। बुजुर्गों, माता पिता और पत्नी एवं बेटी का सम्मान करें। तीर्थ क्षेत्रों में जाकर श्राद्ध कर्म आदि पुण्य कार्य करना चाहिए। बच्चों को दूध का दान करें। कन्याओं को भोजन कराते रहें।
10. घर के वास्तु को ठीक कराना चाहिए और आग्नेय, दक्षिण और नैऋत्य मुखी मकान में नहीं रहना चाहिए। इसे तुरंत ही छोड़ देना चाहिए।
नोट: अल्पायु योग से बचने हेतु शास्त्रों अध्ययन करना चाहिए या किसी पंडित, ज्योतिष आदि से उपाय पूछकर वे उपाय करते रहना चाहिए।