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Written By ND

हाथों की लकीरें और विवाह

विवाह हाथ लकीर
- ं. विकास शुक्ल
ND
मानव जीवन में विवाह बहुत बड़ी विशेषता मानी गई है। विवाह का वास्तविक अर्थ है- दो आत्माओं का आत्मिक मिलन। एक हृदय चाहता है कि वह दूसरे हृदय से सम्पर्क स्थापित करे, आपस में दोनों का आत्मिक प्रेम हो और हृदय मधुर कल्पना से ओतप्रोत हो।

जब दोनों एक सूत्र में बँध जाते हैं, तब उसे समाज 'विवाह' का नाम देता है। विवाह एक पवित्र रिश्ता है। इसकी सफलता व असफलता के बारे में हमे हस्तरेखाओं से काफी जानकारी मिलती है। हथेली पर स्थित विवाह रेखा पर यदि हम सूक्ष्मता से ध्यान दें तो स्थिति स्पष्ट हो जाती है।

हथेली पर स्थित विवाह रेखा : हथेली पर कनिष्ठा उँगली के नीचे बुध पर्वत क्षेत्र पर हथेली के बाहर से आती हुई स्पष्ट रेखा विवाह रेखा होती है, जो कि हृदय रेखा के पास स्थित होती है। उनकी अलग-अलग आकृति से विवाह कब, कैसे होगा व उसकी सफलता/असफलता के बारेमें ज्ञात होता है। हथेली पर ऐसी रेखाएँ दो या तीन भी हो सकती हैं।
  मानव जीवन में विवाह बहुत बड़ी विशेषता मानी गई है। विवाह का वास्तविक अर्थ है- दो आत्माओं का आत्मिक मिलन। एक हृदय चाहता है कि वह दूसरे हृदय से सम्पर्क स्थापित करे, आपस में दोनों का आत्मिक प्रेम हो और हृदय मधुर कल्पना से ओतप्रोत हो।      


ऐसे में जो रेखा सबसे अधिक लंबी, पुष्ट, सीधी एवं स्वच्छ हो, उसे विवाह रेखा माना जाता है। बाकी उसी पर्वत पर स्थित अन्य रेखाएँ इस बात का सूचक होती हैं कि या तो विवाह के पूर्व में उतने संबंधहोकर छूट जाएँगे अथवा विवाह के बाद उतने ही संबंध बनेंगे। यदि बुध पर्वत पर कोई रेखा न हो तथा हृदय रेखा के नीचे हो तो ऐसे व्यक्ति का जीवन भर विवाह नहीं होता। यह स्थिति स्त्रियों व पुरुषों दोनों पर लागू होती है।

दो विवाह योग : यदि विवाह रेखा के समानांतर ही एक और रेखा बुध पर्वत पर आ रही हो तो व्यक्ति के दो विवाह होते हैं।

जीवन भर कुँआरा रहने का योग : यदि विवाह रेखा पर एक से अधिक द्वीप हों तो वह व्यक्ति जीवन भर कुँआरा रहता है। यदि बुध पर्वत पर विवाह रेखा कई भागों में बँट जाए तो बार-बार सगाई टूटने का योग बनता है। यदि विवाह रेखा कनिष्ठा उँगली के दूसरे पोर तक चढ़ जाए तो वह व्यक्ति आजीवन अविवाहित रहता है।
असफल विवाह (तलाक योग) : यदि विवाह रेखा टूटी हुई हो तो जीवन के मध्य समय में या तो जीवनसाथी की मृत्यु हो जाएगी या तलाक हो जाएगा। यदि विवाह रेखा आगे जाकर कई भागों में विभक्त हो जाए तो वैवाहिक जीवन अत्यंत दुःखमय होता है।

विवाह से भाग्य उदय (सुखी विवाह) : यदि विवाह रेखा स्पष्ट, सीधी, सुंदर हो व हथेली पर भाग्य रेखा का उद्गम स्थान चंद्र पर्वत से हो, यदि भाग्य रेखा हृदय रेखा पर समाप्त हो व गुरु पर्वत पर क्रॉस हो और यदि विवाह रेखा स्पष्ट व लालिमा लिए हो तो उस व्यक्ति का वैवाहिक जीवन अत्यंत सुखमय होता है।

बेमेल विवाह : यदि शुक्र पर्वत जरूरत से ज्यादा विकसित हो, यदि सूर्य रेखा तथा विवाह रेखा आपस में कटती हों तो बेमेल विवाह होता है।

वैवाहिक जीवन में मृत्यु का योग : यदि विवाह रेखा जहाँ से झुक रही हो उस जगह क्रॉस का चिह्न हो तो जीवनसाथी की मृत्यु अकस्मात्‌ होती है। यदि विवाह रेखा नीचे की ओर झुककर हृदय रेखा को स्पर्श करने लगे तो जीवनसाथी की मृत्यु उस व्यक्ति से पहले होती है।

घरेलू झगड़े : जिस व्यक्ति के हाथों में सूर्य क्षेत्र से निकलकर टेढ़ी-सी रेखा हृदय रेखा तथा मस्तक रेखा को काटती हुई जीवनरेखा में जा मिले, ऐसे व्यक्ति विवाह के पश्चात यश और प्रसिद्धि प्राप्त करने के इच्छुक होते हैं लेकिन घरेलू झगड़ों के कारण उनकी यह इच्छा पूर्ण नहीं हो पाती है। जब सूर्य रेखा मस्तक रेखा से निकली हो और बीच-बीच में टूटी हो तो ऐसी रेखा वाले व्यक्ति दूसरों की बात में आकर झगड़ा करने के लिए तैयार रहते हैं।

संतान सुख : यदि विवाह रेखा को संतान रेखा काटती हो तो व्यक्ति का विवाह अत्यंत कठिनाई से होता है। विवाह रेखा पर बनी संतान रेखाएँ यदि महीन हों तो कन्या योग होता है और यदि गहरी हों तो पुत्र योग होता है। यदि मणिबंध रेखा कमजोर हो या शुक्र पर्वत अविकसित हो तो ऐसे व्यक्ति के जीवन में संतान सुख नहीं रहता है।