शिकायतों के बावजूद श्रीलंका ने कट्टरपंथी मौलवी पर कार्रवाई नहीं की
श्रीलंका का मुस्लिम समुदाय एक कट्टरपंथी मौलवी के खिलाफ कब से प्रशासन को चेतावनी देता रहा, लेकिन अधिकारी हरकत में नहीं आए। उसी मौलवी को ईस्टर हमलों का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है। उसके तार दक्षिण भारत से भी जुड़े हैं।
21 अप्रैल 2019 को श्रीलंका में चर्चों और होटलों पर हुए सिलसिलेवार आत्मघाती हमलों के बाद इस्लामिक स्टेट का एक वीडियो सामने आया। इसमें हमलों की जिम्मेदारी ली गई। वीडियो में श्रीलंका के कट्टरपंथी मौलवी जहरान हाशिम को भी दिखाया गया है। वीडियो में आठ लोग हैं, जिनमें से सिर्फ एक के मुंह पर नकाब नहीं है। यह शख्स हाशिम ही है। काले लिबास वाले हाशिम के हाथ में एक राइफल है। वह सात हमलावरों का नेतृत्व करता दिख रहा है। इस्लामिक स्टेट के चीफ अबु बकर अल-बगदादी के प्रति अपनी वफादारी का बखान भी कर रहा है।
खुद श्रीलंका की सरकार भी अप्रत्यक्ष रूप से हाशिम की ओर इशारा कर रही है। माना जा रहा है कि वही नेशनल तौहीद जमात का मुखिया और सीरियल ब्लास्ट का मुख्य संदिग्ध है। इस्लामिक स्टेट द्वारा जारी किया गया वीडियो इस बात का पहला पुख्ता सबूत है कि हाशिम ने ईस्टर के दिन हुए हमलों में अहम भूमिका निभाई।
लेकिन ऐसा नहीं है कि हमले से पहले हाशिम के तेवरों को कोई नहीं जानता था। नफरत और आग फैलाने वाले बयानों के जरिए हाशिम ने सोशल मीडिया और यूट्यूब पर हजारों से फॉलोवर बनाए। इस दौरान मुस्लिम समुदाय के कुछ नेताओं को हाशिम की बातें खटकने लगीं। तीन साल पहले मुस्लिम काउंसिल ऑफ श्रीलंका के वाइस प्रेसीडेंट हिल्मी अहमद प्रशासन के पास गए। उन्होंने जहरान हाशिम की शिकायत की। लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। अहमद के मुताबिक, "वह एकाकी शख्स था और उसने कुरान की कक्षाओं के नाम पर युवाओं को कट्टरपंथी बनाया। लेकिन यह किसी ने नहीं सोचा था कि ये लोग इतने बड़े स्तर का हमला कर सकते हैं।"
अहमद ने समाचार एजेंसी एएफपी से बातचीत में कहा कि हाशिम कई नामों से जाना जाता था। कुछ लोग उसे मोहम्मद जहरान कहते थे, तो कुछ मौलवी हाशिम। वह पूर्वी श्रीलंका के तटीय इलाके बाटीकालोआ में पला बढ़ा। ईस्टर के दिन राजधानी कोलंबो के साथ बाटीकालोआ के चर्च में भी हमला हुआ। अहमद के मुताबिक हाशिम अपने पड़ोस के मुस्लिम समुदाय के लिए बड़ी मुसीबत था। युवावस्था में ही उसका कट्टर चेहरा दिखने लगा था, "एक बार जहरान ने पारंपरिक मुस्लिम मस्जिद में जाने वाले लोगों को मारने के लिए तलवार निकाल ली थी।"
स्थानीय मीडिया के मुताबिक हाशिम ने नेशनल तौहीद जमात की स्थापना 2014 में कट्टानकुडी में की। श्रीलंका के उप रक्षा मंत्री रुवान विजेवर्धने के मुताबिक बाद में इसमें फूट भी पड़ी। उप रक्षा मंत्री का कहना है कि अभी यह साफ नहीं हुआ है कि हमला नेशनल तौहीद जमात के कौन से धड़े ने किया। रुवान विजेवर्धने कहते हैं, "हमें लगता है कि हमलावरों का नेतृत्व करने वाले ने भी एक आत्मघाती हमले में खुद को उड़ाया है।"
लंका के अधिकारी अभी इस बात की जांच कर रहे हैं कि इस्लामिक स्टेट ने किस हद तक इन हमलों में मदद की है। मुस्लिम काउंसिल ऑफ श्रीलंका के वाइस प्रेसीडेंट हिल्मी अहमद के मुताबिक हाशिम के अन्य देशों के कट्टरपंथियों से भी रिश्ते रहे हैं। अहमद कहते हैं, "उसके सारे वीडियो भारत से अपलोड किए गए। तस्करों की नावों के सहारे वह कई बार दक्षिण भारत के चक्कर लगाता था।"
भारत में आतंकवादियों के गुप्त नेटवर्क पर कार्रवाई करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने बीते छह महीनों में कई गिरफ्तारियां की है। इन गिरफ्तारियों के बाद ही अप्रैल 2019 की शुरुआत में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने श्रीलंका को आतंकी हमलों की चेतावनी भी दी थी। भारत ने कोलंबो को संदिग्धों के नाम, पते और फोन नबंर तक मुहैया कराए थे। भारतीय जानकारी के मुताबिक श्रीलंका में नेशनल तौहीद जमात नाम का संगठन भारतीय उच्चायोग और चर्चों पर हमले की तैयारी कर रहा है। श्रीलंका सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों ने भी माना है कि भारत द्वारा दी गई जानकारी निचले स्तर पर ठीक ढंग से कम्युनिकेट नहीं की गई।