शुक्रवार, 11 जुलाई 2025
  • Webdunia Deals
  1. सामयिक
  2. डॉयचे वेले
  3. डॉयचे वेले समाचार
  4. controvercy on voter list verification before polls in bihar
Written By DW
Last Modified: गुरुवार, 10 जुलाई 2025 (08:14 IST)

बिहारः वोटर लिस्ट को लेकर आखिर क्यों मचा है हंगामा

बिहार में मतदाता सूची की समीक्षा को लेकर बवाल मचा है। विपक्षी दल इसके जरिए कुछ खास वर्ग के लोगों को निशाना बनाने का आरोप लगा रहे हैं। इसके विरोध में बुधवार को बिहार बंद का एलान हुआ है।

protest in bihar
मनीष कुमार
विपक्षी दलों ने मतदाता सूची की समीक्षा और अपडेट की चल रही प्रक्रिया के विरोध में 9 जुलाई को बिहार में चक्का जाम किया। महागठबंधन के बिहार बंद के दौरान प्रदेश के सात शहरों में ट्रेनें रोकी गईं तथा जगह-जगह नेशनल हाईवे जाम किया गया।
 
विरोध प्रदर्शन में भाग लेने राहुल गांधी भी पटना पहुंचे तथा शहर में पैदल मार्च में भाग लिया। चुनाव आयोग के दफ्तर तक जाने के लिए तेजस्वी यादव, दीपंकर भट्टाचार्य के साथ राहुल गांधी एक गाड़ी पर सवार हुए। हालांकि, उन लोगों को आयोग के दफ्तर के पहले ही रोक दिया गया।
 
बिहार में इसी साल अक्टूबर-नवंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाता सूची की विशेष समीक्षा की जा रही है। चुनाव आयोग बिहार में मतदाता सूची को 22 साल बाद अपडेट कर रहा है। इसे लेकर राजनीति में उबाल है। 
 
बिहार में करीब सात करोड़ 90 लाख वोटर हैं, जिनमें से करीब दो करोड़ 93 लाख मतदाताओं को अपनी जानकारी की पुष्टि करानी होगी। इनके नाम मतदाता सूची में 2003 के बाद जोड़े गए हैं। किसी कारणवश अगर किसी भी मतदाता की जानकारी पुष्ट नहीं हो पाती है, तो उसका नाम सूची से हटा दिया जाएगा।
 
राज्य में इन्हीं 37 प्रतिशत वोटर को लेकर सियासी हंगामा मचा हुआ है। इन्हें लेकर सभी पार्टियों में बेचैनी बढ़ गई है। चुनाव आयोग मतदान का प्रतिशत बढ़ाने के लिए कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहा। इसी के तहत बीते दिनों भारत में पहली बार मोबाइल एप के जरिए बिहार के नगर निकायों का चुनाव संपन्न कराया, जिसमें विदेशों में रहने वाले वोटरों तक ने भी भाग लिया।
 
दरअसल, आयोग के निर्देशों के अनुसार इस अभियान के तहत मतदाताओं को वेरिफिकेशन के क्रम में एक फॉर्म के साथ 11 दस्तावेजों में से कोई एक जमा कराना अनिवार्य है। यह पूरा अभियान पांच चरणों में संपन्न होगा। पहला चरण 25 जून से शुरू कर दिया गया है, जिसके तहत बीएलओ (बूथ लेवल आफिसर) घर-घर जाकर मतदाता विशेष के पहले से आंशिक रूप से भरे हुए गणना फॉर्म उन्हें सौंप रहे हैं।
 
फॉर्म देने का काम 25 जुलाई तक चलेगा। करीब एक लाख बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) इस काम में जुटे हैं। इनके साथ ही इस काम के लिए चार लाख स्वयंसेवकों की सेवाएं भी ली जा रही हैं। राजनीतिक दलों की ओर से नियुक्त करीब डेढ़ लाख से अधिक बूथ लेवल एजेंट (बीएलए) भी मतदाताओं से फॉर्म भरवाने का काम कर रहे हैं।
 
वोटर कार्ड के लिए आधार कार्ड मान्य नहीं
30 सितंबर, 2025 को अंतिम मतदाता सूची प्रकाशित की जाएगी। जिसकी कापी सभी पार्टियों को मुफ्त दी जाएगी और यह ऑनलाइन भी उपलब्ध रहेगी। बीते सोमवार की शाम छह बजे तक 2,87,98,460 लोगों के फॉर्म जमा किए जा चुके हैं, जो कुल नामांकित मतदाता का 36.47 प्रतिशत है।
 
पहली अगस्त से भारत में मतदाता बनने के लिए केवल आधार कार्ड देना काफी नहीं होगा। पहले फॉर्म-6 भरने के साथ आधार कार्ड की फोटोकॉपी जमा करने से वोटर लिस्ट में नाम जुट जाता था, लेकिन अब एसआईआर में मांगे जाने वाले घोषणा पत्र के साथ चिह्नित 11 दस्तावेज में से कोई एक दस्तावेज जमा करना अनिवार्य होगा।
 
क्यों हो रहा एसआईआर का विरोध
विपक्ष एसआईआर को गरीबों तथा कमजोर वर्ग के लोगों को मतदान से रोकने की राजनीतिक साजिश बताते हुए लोकतंत्र तथा संविधान के साथ खिलवाड़ बता रहा है। महागठबंधन का कहना है कि भारतीय नागरिक होने का प्रमाण इतने कम समय में देना गरीब जनता के लिए मुश्किल भरा काम है। इससे मुस्लिम, दलित, गरीब व आदिवासी समुदाय के लाखों लोगों को मतदाता सूची से बाहर कर दिया जाएगा।
 
आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने आरएसएस और निर्वाचन आयोग की आलोचना करते हुए कहा है कि संघियों ने लोकतंत्र को इस पड़ाव पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां नागरिकों को अपना वोट बचाने तथा सरकार द्वारा मतदान का अधिकार छीनने का प्रयास किया जा रहा है।
 
सोमवार को महागठबंधन के संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने कहा कि आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड और राशन कार्ड को भी पहचान दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया जाएं, क्योंकि ग्रामीण तथा वंचित तबके के पास आम तौर पर यही डॉक्यूमेंट्स उपलब्ध होते हैं।इसके अलावा विपक्ष ने यह भी कहा है कि बीएलओ मतदाताओं के जो दस्तावेज जमा कर रहे, उसकी समुचित निगरानी के लिए आयोग तंत्र विकसित करे और अपनी वेबसाइट पर हर दिन का हर विधान सभा क्षेत्र का ब्यौरा रियल टाइम अपडेट करे।
 
क्या कह रहा चुनाव आयोग
एसआईआर को लेकर आयोग का साफ कहना है कि 24 जून, 2025 को जारी एसआईआर के निर्देश के अनुसार पहली अगस्त, 2025 को प्रकाशित होने वाले वोटर लिस्ट के ड्राफ्ट में उन्हीं व्यक्तियों के नाम शामिल किए जाएंगे, जिनके फॉर्म 25 जुलाई से पहले प्राप्त हो जाएंगे।
 
आयोग के निर्देश के अनुसार अगर किसी वोटर का नाम 2003 की मतदाता सूची में है, तो उसे कोई और दस्तावेज नहीं देना होगा। अगर नाम नहीं है, तो जन्म से जुड़ा दस्तावेज देना होगा। 1987 से पहले जन्मे मतदाता को स्वयं का कोई एक दस्तावेज गणना फॉर्म के साथ देना है।
 
1987-2004 के बीच जन्मे मतदाता को अपना एवं एक अभिभावक का दस्तावेज देना होगा और 2004 के बाद जन्मे मतदाताओं को अपना और दोनों अभिभावकों का दस्तावेज जमा करना होगा।
 
आयोग का कहना है कि हर पात्र व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में सम्मिलित करने का लक्ष्य रखा गया है। किसी भी पात्र व्यक्ति का नाम नहीं छूटेगा। वहीं, मुख्य निर्वाचन आयुक्त ज्ञानेश कुमार का कहना है कि पिछले चार महीनों में देशभर के 28,000 राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों के साथ लगभग 5,000 बैठकें की गईं। आयोग ने सभी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया और उनसे मुलाकात का दौर जारी है। लेकिन, सभी राजनीतिक दल किसी ना किसी कारणवश मतदाता सूची से संतुष्ट नहीं था।
 
राजनीतिक समीक्षक सौरव सेनगुप्ता कहते हैं, ‘‘जाहिर है, इस कवायद से वोटर लिस्ट की गड़बड़ी दूर होगी, बोगस वोटर की पहचान की जा सकेगी। मतदाताओं की जब वास्तविक संख्या का पता चलेगा, तभी मतदान में सुधार भी संभव हो सकेगा।'' इस प्रक्रिया के बाद से कई कारणों से मतदाताओं की संख्या हरेक विधानसभा क्षेत्र में निश्चित तौर पर कुछ कम होगी।
ये भी पढ़ें
दिल्ली NCR में भूकंप के तेज झटके, लोगों में दहशत