तीन साल बाद जेल से रिहा हुईं एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज
रिपोर्ट : आमिर अंसारी
एल्गार परिषद मामले में 3 साल और 3 महीने पहले गिरफ्तार की गईं वकील और एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज गुरुवार को मुंबई की भायकला महिला जेल से रिहा हो गईं।
मशहूर वकील और एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज को 3 साल पहले एल्गार परिषद मामले में गिरफ्तार किया गया था। उनके साथ ही 16 अन्य लोग भी गिरफ्तार किए गए थे। 3 साल और 3 महीने से अधिक समय तक जेल में रखने के बाद गुरुवार को उन्हें महाराष्ट्र की भायकला जेल से रिहा कर दिया गया। दो दिन पहले सुप्रीम कोर्ट के बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा 1 दिसंबर को दी गई डिफॉल्ट जमानत पर रोक लगाने की राष्ट्रीय जांच एजेंसी की याचिका को खारिज करने के बाद यह कदम उठाया गया।
न्यायमूर्ति यूयू ललित ने एनआईए का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल अमन लेखी की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद जांच एजेंसी की अपील खारिज कर दी थी। न्यायमूर्ति रवींद्र भट और न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी की पीठ ने कहा था कि बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश में हस्तक्षेप करने का कोई कारण नहीं है।
मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने भारद्वाज की रिहाई का स्वागत किया है और 3 साल बिना सुनवाई के जेल में रखने पर सवाल भी उठाए हैं। एनआईए ने 6 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट से बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली अपनी याचिका को तत्काल सूचीबद्ध करने का आग्रह किया था जिसने भीमा कोरेगांव मामले में कार्यकर्ता सुधा भारद्वाज को डिफॉल्ट जमानत दी थी।
1 दिसंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने भीमा कोरेगांव जाति हिंसा मामले में भारद्वाज को जमानत दी थी। हालांकि, कोर्ट ने अन्य 8 आरोपियों- रोना विल्सन, वरावारा राव, सुधीर धवले, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, वर्नोन गोंजाल्विस और अरुण फरेरा की जमानत याचिकाओं पर विचार करने से इनकार कर दिया। ये सभी आरोपी तलोजा सेंट्रल जेल में बंद हैं।
इस मामले की पहले पुणे पुलिस जांच कर रही थी और बाद में केस एनआईए को सौंप दिया गया था। जब राज्य पुलिस मामले की जांच कर रही थी तो भारद्वाज पुणे की येरवडा जेल में बंद थीं, एनआईए के केस संभालने के बाद उन्हें भायकला महिला जेल में रखा गया था। एल्गार परिषद मामले की सुनवाई अभी बाकी है।
जमानत की शर्तें
विशेष एनआईए अदालत ने जमानत की शर्तों के तहत 60 वर्षीय भारद्वाज को अपना पासपोर्ट जमा करने के लिए और मुंबई में ही रहने के लिए कहा है। उन्हें शहर से बाहर जाने के लिए अदालत से अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा उन्हें हर 14 दिन पर पास के पुलिस स्टेशन में खुद जाकर या वीडियो कॉल के जरिए हाजिरी लगानी होगी।
भारद्वाज को इस मामले में अपने सह-आरोपियों के साथ किसी भी तरह का संपर्क स्थापित नहीं करने और कोई अंतरराष्ट्रीय कॉल नहीं करने का भी निर्देश दिया गया है। भारद्वाज को 28 अगस्त, 2018 को गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें नजरबंद कर दिया गया था। उसके बाद 27 अक्टूबर, 2018 को उन्हें हिरासत में ले लिया गया था।