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Written By WD

सचिन का कमाल, प्रवीण का धमाल

सीबी सिरीज में भारत बना चैंपियन

त्रिकोणीय क्रिकेट सिरीज भारत ऑस्ट्रेलिया वनडे
सचिन तेंडुलकर की कमाल की पारी और युवा प्रवीण कुमार की धमक पैदा करने वाली गेंदबाजी (46/4 विकेट) से भारत ने आज यहाँ रोमांच से भरे दूसरे फाइनल में 9 रन की जीत के साथ ऑस्ट्रेलियाई शानो-शौकत को नेस्तनाबूत करके पहली बार त्रिकोणीय एकदिवसीय क्रिकेट सीबी सिरीज अपने नाम की।

भारतीय जीत की नींव फिर से तेंडुलकर ने रखी जो 17वीं बार नर्वस नाइंटीज के शिकार तो बने लेकिन उनकी 91 रन की पारी से भारत नौ विकेट पर 258 रन का चुनौतीपूर्ण स्कोर खड़ा करने में सफल रहा।

इसके बाद युवा प्रवीण कुमार ने कहर बरपाया और ऑस्ट्रेलिया के चोटी के तीन विकेट जल्दी पैवेलियन भेजकर विश्व चैंपियन पर ऐसा दबाब बनाया, जिससे वह आखिर तक नहीं उबर सका और उसकी पूरी टीम 49.4 ओवर में 249 रन पर सिमट गई। 'मैन ऑफ द मैच' प्रवीण ने 46 रन देकर चार विकेट लिए।

गाबा के मैदान पर दर्शक हालाँकि रोमांच के चरम तक पहुँचे। ऑस्ट्रेलिया को अंतिम दो ओवर में 22 रन चाहिए थे। एस. श्रीसंथ ने अपने ओवर में विकेट लिया लेकिन ऑस्ट्रेलिया की तरफ से सर्वाधिक 63 रन बनाने वाले जेम्स होप्स ने छक्का लगाकर अंतिम छह गेंद पर 12 रन का हिसाब कर दिया।

महेंद्रसिंह धोनी ने तनाव के इन क्षणों में इरफान पठान को जिम्मेदारी सौंपी, जिन्होंने अपनी दूसरी गेंद पर 'मैन ऑफ द सिरीज' रहे नाथन ब्रैकन और चौथी गेंद पर होप्स को आउट करके लगातार दूसरे फाइनल में ही भारत के नाम पर खिताब लिख दिया। भारत ने सिडनी में खेला गया पहला मैच छह विकेट से जीता था।

भारत इससे पहले पाँच बार ऑस्ट्रेलिया में इस त्रिकोणीय श्रृंखला में शिरकत की थी लेकिन वह कभी चैंपियन नहीं बना था। इनमें से तीन अवसरों पर वह ऑस्ट्रेलिया से फाइनल्स में उसे 2-0 से हार गया था लेकिन इस बार धोनी की टीम ने पहले दोनों फाइनल्स जीतकर भारतीय क्रिकेट में नया इतिहास रच दिया। अब तीसरा फाइनल नहीं खेला जाएगा।

तेंडुलकर ने अपनी ख्याति के अनुरूप महत्वपूर्ण मैच में बेहतरीन प्रदर्शन किया। सिडनी में जहाँ उन्होंने शतक जमाया वहीं आज उन्होंने भारतीय पारी की शानदार नींव रखी। तेंडुलकर ने 121 गेंद का सामना किया तथा सात चौके लगाए।

इस स्टार बल्लेबाज ने 40वें ओवर में आउट होने से पहले रॉबिन उथप्पा (30) के साथ पहले विकेट के लिए 94 और युवराज सिंह (38) के साथ तीसरे विकेट के लिए 54 रन की दो उपयोगी साझेदारियाँ की। इनके अलावा धोनी ने भी 36 रन की जुझारू पारी खेली।

प्रवीण ने फिर से महत्वपूर्ण मैचों में अपनी काबिलियत साबित की। इससे पहले श्रीलंका के खिलाफ भारत के अंतिम लीग मैच में उन्होंने चार विकेट लेकर टीम को जीत दिलाने में अहम भूमिका निभायी थी और आज ईशांत शर्मा की अनुपस्थिति में नई गेंद की जिम्मेदारी बखूबी संभाली। उन्होंने 46 रन की कीमत पर चार विकेट लेकर 'मैन ऑफ द मैच' बनने का सम्मान अर्जित किया।

भारत के लिये असल में दिन की शुरुआत ही अच्छी रही और धोनी टॉस जीतने में सफल रहे। इसके बाद भारतीय पारी के 40 ओवर के बाद के पाँच ओवर को छोड़कर बाकी सब कुछ भारत के पक्ष में रहा।

भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 50 ओवर में 9 विकेट खोकर 258 रन बनाए थे। जवाब में ऑस्ट्रेलिया की टीम 49.4 ओवर में 249 रनों पर सिमट गई। होप्स (63) के रूप में अंतिम विकेट गिरा और पूरी भारतीय टीम जश्न में डूब गई।

सबसे ज्यादा प्रतिक्रिया हरभजन की देखने को मिली क्योंकि उन्हें यहाँ काफी बदनाम किया जा रहा था। आज भारत ने ऑस्ट्रेलिया की वन-डे बादशाहत को खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।

चक दे इंडिया : सोमनाथ
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अच्छे प्रदर्शन का फल मिला-धोनी
मुगदल छोड़कर बल्ला थामा....
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'नर्वस नाइंटीज' से पीछा नहीं छूटा
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धोनी की ऑस्ट्रेलियाई मीडिया को फटकार
भारतीय टीम को 10 करोड़ रुपए का इनाम

आज भाग्य भी भारत के साथ था और तेंडुलकर जब सात रन पर थे तब ब्रेकन की गेंद पर पोंटिंग ने शॉर्ट कवर पर उनका कैच छोड़ा और इसके बाद ऑस्ट्रेलिया को इस चूक का खामियाजा भुगतना पड़ा। तेंडुलकर ने ऑस्ट्रेलिया के किसी भी गेंदबाज को नहीं बख्शा और सभी की गेंद सीमा रेखा पार पहुँचाई।

भारत ने 22वें ओवर में 100 रन तक पहुँचने से पहले उथप्पा का विकेट गँवा दिया जिन्होंने स्टुअर्ट क्लार्क की गेंद पर बिना टाइमिंग के शॉट जमाया और मिड ऑफ पर होप्स ने हवा में लहराता कैच लपका। गौतम गंभीर (15) जल्दी आउट हो गए लेकिन युवराज की आक्रामकता से भारत ने अपनी लय नहीं खोई।

युवराज ने स्टुअर्ट क्लार्क और एंड्रयू साइमंड्स पर छक्के जड़े। हालाँकि ऊँचा शॉट खेलने के प्रयास में वह सीमा रेखा पर कैच दे बैठे। उन्होंने 38 गेंद पर इतने ही रन बनाये जिसमें दो चौके और दो छक्के शामिल हैं।

तेंडुलकर 40वें ओवर में तब पैवेलियन लौटे जब उन्होंने शार्ट मिड ऑफ और गेंदबाज माइकल क्लार्क के बीच खाली स्थान से गेंद निकालनी चाही लेकिन पोंटिंग ने अपनी बायीं तरफ डाइव लगाकर उनके ऊँचे शॉट को कैच में तब्दील कर दिया। माइकल क्लार्क ने युवा रोहित शर्मा के रूप में अपना तीसरा विकेट लिया।

भारत 40वें और 45वें ओवर के बीच लय खो बैठा जब पाँच ओवर में केवल 17 रन बनाए। भारत का स्कोर 45 ओवर बाद पाँच विकेट पर 220 रन था। धोनी ने ली की गेंद पर छक्का जड़कर तेजी दिखाई लेकिन उन्होंने और पठान (12) दोनों ने ब्रैकन के आठवें ओवर में अपने विकेट गँवा दिए।

इसके विपरीत ऑस्ट्रेलियाई पारी उतार-चढ़ावों से गुजरती रही। प्रवीन ने भारत को स्वर्णिम शुरुआत दिलाई तथा पारी की तीसरी गेंद पर ही एडम गिलक्रिस्ट को अपनी चतुर चाल में फँसा दिया। परवीन की ऑफ स्टंप के बाहर से हल्की मूव करती गेंद गिलक्रिस्ट के बल्ले को चूमकर धोनी के दस्तानों में चली गई।

मेरठ के रहने वाले इस तेज गेंदबाज ने अपने अगले ओवर में कप्तान रिकी पोंटिंग को पैवेलियन भेजा। पोंटिंग के पुल शॉट में नियंत्रण नहीं था और युवराज ने मिड ऑन पर आसान कैच लपका।

भारत को मैथ्यू हेडन (55) के रूप में तीसरी सफलता भी मिल जाती लेकिन जब वह पाँच रन पर थे तब उन्हें श्रीसंथ की गेंद पर धोनी और तेंडुलकर से जीवनदान मिला। परवीन हालाँकि पूरे शबाब पर थे और उन्होंने एक निचली गेंद पर माइकल क्लार्क का ऑफ स्टंप उखाड़कर ऑस्ट्रेलिया का स्कोर तीन विकेट पर 32 रन कर दिया।

हेडन ने जीवनदान का फायदा उठाने की कोशिश की और साइमंड्स (42) के साथ चौथे विकेट के लिये 91 रन की साझेदारी की। हेडन आखिर में तेजी से रन लेने के प्रयास में युवराज के थ्रो पर रन आउट हुए जबकि हरभजन सिंह ने अपने इसी ओवर में साइमंड्स को पगबाधा आउट करके भारतीय खेमे में खुशी लौटा दी।

हेडन ने अपनी पारी में 68 गेंद का सामना किया तथा सात चौके लगाए जबकि साइमंड्स ने 56 गेंद खेली तथा दो चौकों के अलावा एक छक्का भी जमाया।

माइकल हसी और जेम्स होप्स ने हालाँकि ऑस्ट्रेलिया की आशाएँ बनाए रखी और छठे विकेट के लिए 76 रन की साझेदारी की। इन दोनों ने किसी तरह का जोखिम नहीं उठाया लेकिन श्रीसंथ की एक गेंद हसी के बल्ले का हल्का किनारा लेकर धोनी के पास चली गई जिसके लिए साइमन टफेल को तीसरे अंपायर की मदद लेनी पड़ी।

इरफान पठान के अगले ओवर में होप्स भी पैवेलियन लौट सकते थे लेकिन उनका कैच छूट गया। बहरहाल भारतीय हावी थे और 'ऑस्ट्रेलियन होप' होप्स की भी उनके आगे एक नहीं चली। पठान ने उन्हें अंतिम बल्लेबाज के रूप में आउट करके भारतीयों के ढाई महीने के लंबे दौरे का बेहतरीन अंत किया।