बदला लेने उतरेंगे भारत और श्रीलंका
एशियाई क्रिकेट महाशक्तियाँ भारत और श्रीलंका शनिवार को त्रिकोणीय एकदिवसीय टूर्नामेंट का फाइनल खेलने उतरेंगी तो दोनों के जेहन में एक-दूसरे से हाल में मिली करारी हार ताजा होंगी और बदला लेने के लिए दोनों टीमें बेकरार होंगी।यह फाइनल न सिर्फ खिताब की लड़ाई है बल्कि दो पड़ोसी क्रिकेट राष्ट्रों के बीच खुद को बेहतर साबित करने की अहम जंग भी है।टूर्नामेंट में अब तक का सफर देखें तो अंकों में मामले में दोनों मामूली फासले पर हैं लेकिन अपने बल्लेबाजों के शर्मनाक प्रदर्शन के कारण भारत का पलड़ा इस मैच में कमजोर नजर आ रहा है।मजेदार बात यह है कि दोनों टीमों ने हाल में इसी मैदान पर एक-दूसरे की बखिया उधेडी है जहाँ एक बार फिर से वे महामुकाबले को तैयार हैं।श्रीलंका ने 22 अगस्त को भारत को जो ऐतिहासिक हार झेलने को मजबूर किया उससे भारतीय खेमे में बौखलाहट जरूर छाई होगी। इस मैच में मेजबान टीम ने भारत को 209 गेंदे शेष रहते आठ विकेट से हराया था, जो गेंदों के हिसाब से भारत की सबसे बड़ी वनडे हार है।निश्चित रूप से धोनी एंड कंपनी को इसका माकूल जवाब देना चाहिए और वह ऐसा करने के लिए रणनीति बना रही होगी।दूसरी ओर श्रीलंका के सीने पर वह जख्म अब तक हरा है जो भारत ने लगभग दो माह पहले इसी मैदान पर एशिया कप के फाइनल में धूल चटाकर दिया था। मैच के हीरो भारतीय तेज गेंदबाज आशीष नेहरा इस बार भी टीम के साथ हैं और टूर्नामेंट में सात विकेट झटक कर दूसरे सर्वश्रेष्ठ गेंदबाज बने हुए हैं। एशिया कप में भारत को 15 साल बाद खिताबी सफलता मिली थी लेकिन ऐसा लगता है कि मात्र दो माह में उसके खिलाड़ियों का जोश ठंडा पर गया है। मौजूदा भारतीय टीम में कमोबेश वही खिलाड़ी हैं जिन्होंने एशिया कप जीता था।टूर्नामेंट में दोनों टीमों के बीच पहले मुकाबले में जब भारत हावी था तो श्रीलंका के डेलीब्रेट नो बॉलर सूरज रणदीव ने क्रिकेट का माहौल ही बदल डाला था। इसके बाद भारतीय कप्तान महेंद्रसिंह धोनी ने अतिउत्साही दावा कर दिया कि उनके खिलाड़ी इस घटना के कारण आक्रामक हो गए हैं।अगली ही भिडंत में श्रीलंकाई गेंदबाजों ने धोनी के दावों की सारी हेकड़ी निकाल दी और मात्र 103 रन पर टीम का बोरिया बिस्तर बाँध दिया। हालाँकि इससे उबरकर भारतीय स्टार बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग ने अगले मैच में न्यूजीलैंड के खिलाफ संतोषजनक बल्लेबाजी की।इस मैच में भी भारतीय टीम की बल्लेबाजी का सारा दारोमदार सहवाग पर टिका हुआ है। टूर्नामेंट के जिन दो मैचों में वह चले उनमें टीम पर अर्श पर पहुँच गई और जिन दो में वह नाकाम रहे उनमें फर्श पर लुढ़क गई। निश्चित रूप से बल्लेबाजी की यह लचर हालत टीम इंडिया के लिए चिंता का सबब है। (वार्ता)