टेस्ट श्रृंखला तीन मैचों की होनी चाहिए थी:धोनी
भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्रसिंह धोनी ने कहा है कि पहला मैच हारने के बाद इंग्लैंड का मौजूदा टेस्ट श्रृंखला में वापसी का कोई अवसर ही नहीं था। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा कि श्रृंखला तीन टेस्ट मैचों की होनी चाहिए थी।धोनी ने दूसरा और अंतिम टेस्ट ड्रॉ रहने के बाद कहा कि यदि यह श्रृंखला दो के बजाय तीन टेस्ट मैचों की होती तो बेहतर होता। दो मैचों की श्रृंखला में मेहमान टीम यदि पहला मैच हार जाती है तो वापसी बहुत मुश्किल होती है। श्रृंखला में 1-0 से बढ़त बनाने वाली स्थानीय टीम अपने अनुकूल विकेट बनाती है और उसे घरेलू माहौल में खेलने का फायदा भी मिलता है। इंग्लैंड टीम के कप्तान केविन पीटरसन ने भी कहा कि तीन मैचों की श्रृंखला बेहतर होती। तीन मैच ही आदर्श होते, लेकिन हमें इसी शेड्यूल के हिसाब से चलना था। दुर्भाग्यवश हम एक भी मैच नहीं जीत सके। धोनी ने कहा कि यह अच्छी श्रृंखला थी और मुकाबला काँटे का रहा। यह पूछने पर कि दूसरे टेस्ट में इंग्लैंड के प्रदर्शन पर क्या उन्हें ताज्जुब हुआ? धोनी ने कहा नहीं। मैंने पहले भी कहा था कि उनकी गेंदबाजी बहुत उम्दा है। यदि एंड्रयू फ्लिंटॉफ सातवें नंबर पर आते हैं तो उनके पास पाँच विशेषज्ञ गेंदबाज हैं। उन्होंने कहा फ्रेडी सिर्फ हरफनमौला ही नहीं बल्कि कई बार बेहतरीन गेंदबाज भी साबित हो चुके हैं। वह टीम में संतुलन बनाते हैं। मुझे उनकी क्षमता पर कभी संदेह नहीं रहा। पीटरसन ने भी अच्छा खेले। क्या आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में नंबर दो पर आने से क्या टीम दबाव में आएगी? धोनी ने कहा बिलकुल भी नहीं। हम दूसरे नंबर पर आना चाहते थे और अच्छा खेल रहे थे। अभी तक हमारी रणनीति सही साबित हुई है। हम अच्छा खेलेंगे तो रैंकिंग खुद ब खुद बेहतर होती जाएगी। धोनी ने युवराजसिंह के प्रदर्शन पर प्रसन्नता जताते हुए कहा कि उन्हें पूर्व कप्तान सौरव गांगुली की जगह लेने की कोशिश करने की बजाय अपना स्वाभाविक खेल दिखाने की जरूरत थी जो उन्होंने किया। उन्होंने कहा कि युवी काफी प्रतिभाशाली है। बात सौरव की जगह लेने की नहीं थी। हम उन्हें किसी के विकल्प के रूप में नहीं देखते। हम उन्हें युवराजसिंह के रूप में ही चाहते हैं। उनसे ऐसी ही बल्लेबाजी की अपेक्षा थी। निश्तिचत रूप से इन पारियों से उनका आत्मविश्वास बढ़ा होगा।